हाइकुकार
~ प्रदीप कुमार दाश "दीपक"
हाइकु
{01}
चली कुल्हाड़ी
रोते देख पेड़ों को
रुठे हैं मेघ ।
☆☆☆
{02}
बोला न दीप
परिचय उसका
प्रकाश गीत ।
☆☆☆
{03}
बुलाते पेड़
सूख गई पत्तियाँ
बरसो मेघ ।
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{04}
आहत मन
काटे लकड़हारा
पेड़ का तन ।
☆☆☆
{05}
ठूँठ हैं आज
कोंपलें फूटेंगी
जीवित आस ।
☆☆☆
{06}
पेड़ हैं सूखे
अनगिनत यादें
रखे सहेजे ।
☆☆☆
{07}
प्रिय पावस
नयी पत्तियाँ सजीं
करें स्वागत ।
☆☆☆
{08}
पावस रात
हवा, मेघों के संग
पेड़ों की बात ।
☆☆☆
{09}
पेड़ों के ऋणी
प्राण वायु ले कर
जीवित प्राणी ।
☆☆☆
{10}
सघन वन
चट्टानों से निःसृत
निर्झर तन ।
☆☆☆
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