हाइकुकार
बलजीत सिंह
हाइकु
फागुन मास
धरा पर चाँदनी
करे विलास ।
फूलों की झोली
बिखर जाने पर
बने रंगोली ।
खेत सुहाने
उड़ती हैं चिड़ियाँ
खाकर दाने ।
हल्की फुहार
सौन्दर्य का दर्पण
देती निखार ।
कैसा समाज
शरीफों को ठोकर
चोरों को ताज ?
कैसा दस्तूर
बेगाने नजदीक
अपने दूर ।
कैसी लड़ाई
मुस्कुराये पड़ोसी
झगड़ें भाई ?
कैसी नादानी
थोड़ा सा आकर्षण
बड़ी कुर्बानी ?
कैसी संतान
मिले न दौलत तो
निकाले जान ?
□ बलजीत सिंह
ग्राम / पोस्ट - राजपुरा ( सिसाय )
जिला - हिसार, पिन - 125049 ( हरियाणा )
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