हाइकु कवयित्री
शगुफ्ता यास्मीन क़ाज़ी
हाइकु
१)
नाराज़ रवि
बादलों की ओट में
छिप के बैठा ।
२)
रिम-झिम सी
लगी सावन झड़ी
फुहार पड़ी ।
३)
रवि बेचारा
आराम कर रहा
थक के बैठा ।
४)
कभी नाराज़
कभी मेहरबान
है मेघराज ।
५)
कहीं है सूखा
कहीं पे अतिवृष्टि
ईश्वर मर्ज़ी ।
६)
पवित्र रिश्ता
रेशमी डोर संग
प्रीत के रंग ।
७)
इंद्रधनुष
सात रंगों के संग
मस्त मलंग ।
८)
सुमन खिले
लहकी सी पवन
महकी धरा ।
९)
निखर गई
बारिश से धुलके
सँवरी धरा ।
१०)
लाज शर्म से
अधखिली है धूप
सुंदर रूप ।
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