हाइकु कवयित्री : सुधा राठौर
हाइकु
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भोर होते ही
रजनी ने बांध लीं
काली अलकें ।
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प्राची के गाँव
सूर्य ने सुलगाया
सुर्ख़ अलाव ।
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विहँस उठी
कोमलांगी सी धूप
किलक उठी ।
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बाँटने लगी
सूरज की केतली
उष्मा की प्याली ।
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धूप ने छुआ
अलसाये से पेड़
जागने लगे ।
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सिमट गये
सर्द हवा के पाखी
पत्तों के बीच ।
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□ सुधा राठौर
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