हाइकु मञ्जूषा (समसामयिक हाइकु संचयनिका)

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बुधवार, 4 दिसंबर 2019

कवयित्री सुरेखा अग्रवाल "स्वरा" जी के हाइकु

कवयित्री 

सुरेखा अग्रवाल "स्वरा"


(हाइकु प्रथम प्रयास) 

हाइकु 

सुनो जिंदगी
मत लो इम्तिहान
छूटती आस ।
--0--

जिंदगी  जंग 
जब हो सब संग
सब आसान ।
--0--

टूटता मन
दरकते जज्बात
छुटते हाथ ।
--0--

उम्मीदी आस
बेशुमार फासले
टूटता मन ।
--0--

एक जिंदगी
भरपूर रौशनी
गुम अँधेरा ।
--0--

 ख़ुशी के पल
 रहते वक्त संग
 जी लो जिंदगी ।
--0--

जिंदगी  संग
बिना सोचे समझे
लगाया दिल ।
--0--

हाथों में हाथ
हरदम हो साथ
सुनो जिंदगी ।
--0--

तेरे ख़्याल में
उम्र गुज़र जाए
जिंदगी वही ।
--00--

□ सुरेखा अग्रवाल "स्वरा"

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