हाइकु मञ्जूषा (समसामयिक हाइकु संचयनिका)

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सोमवार, 2 मार्च 2020

हाइकु कवयित्री रजनी गुप्ता "पूनम" जी के हाइकु

हाइकु कवयित्री 

रजनी गुप्ता "पूनम"

हाइकु

​वर्ष के पृष्ठ
लिखेगा इतिहास
यादें कलम

यादों के बीज
समय भूमि पर
उगे साहित्य

रेत समान
फिसल गए दिन
यादें ही संग

जीवन-घड़ी
घूमते कर्म काँटे
प्रेम सौगात

सूर्य किरणें
अँधेरा तलाशतीं
लौटीं निराश।

सूरज डूबा
कंबल व रजाई
झट से जागे।

रात बेचैन
गगन संग चाँद
धरा अकेली।

दिन पहाड़
थक के सोई रात
स्वप्न देखती ।

माँ बहनों का 
चीरहरण आम
मन डरता।

दुबकी बैठी
घर के आँगन में
साँझ की धूप

फाल्गुन हवा
मदमाता बसंत 
जी धड़काए

पिय के संग
होलिका की उमंग
मन प्रसन्न

कुछ ख्वाब
पूरा कर दे रब
बने जिंदगी

सुहानी भोर
पंख फैला चिड़िया
नभ में उड़ी

□  रजनी गुप्ता 'पूनम' #चंद्रिका
लखनऊ

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