हाइकुकार
ऋतुराज दवे
हाइकु
--0--
(1)
टूटे भरम
वक़्त की ठोकर से
झुके अहम ।
(2)
हार न मान
ठोकरों ने दिलाया
जीवन ज्ञान ।
(3)
ठोकरें गुरु
संभलना सिखाती
दृढ़ बनाती ।
(4)
परीक्षा पथ
कोई टूटा या उठा
ठोकरें खा के ।
(5)
डरी अवनि
बादलों की ठोकर
गिरी बिजली ।
--0--
□ ऋतुराज दवे
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