हाइकुकार
सुनील पुरोहित
हाइकु
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औरत से माँ
अमा में उगा चाँद
कोख का मोती ।
घट क्यों सूखा
पानी की नहीं कमी
क्षीण संस्कार ।
बढ़ते भाव
भेड़ों की है नीलामी
चुनावी रैली ।
गंदा तालाब
मारनी है मछली
जाग अर्जुन ।
रिश्ते नाज़ुक
मर्यादा ही कवच
रखे तो रहे ।
मौसम मस्त
हालात प्रतिकूल
सर्दी में स्वेद ।
पड़ी दरारें
मरहम चाहिए
मुँह न छिपा ।
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□ सुनील पुरोहित
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