हाइकुकार
मधुप पांडेय
हाइकु
--0--
किसी का होना
फिर जीवन भर
रोना ही रोना ।
सार्थक जीना
सीख लो हँस कर
आंसू को पीना ।
गरीबी रेखा
कहाँ-किधर-कब
किसने देखा ?
वादे ही वादे
राजाओं के खेल में
पिटते प्यादे ।
आँख लड़ाई
फिर कई रातों की
नींद गंवाई ।
खिले पलाश
नहीं दिखते भौंरे
करो तलाश ।
चूनर धानी
देखकर छुटकी
हुई सयानी ।
वे बैठे ठाले
करते चुटकी में
बड़े घोटाले ।
कोयल गाये
सुन अमराई में
बौर बौराये ।
किसकी भूल
बोया बीज आम का
उगा बबूल ।
---00---
□ मधुप पांडेय
नागपुर (महाराष्ट्र)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें