हाइकु मञ्जूषा (समसामयिक हाइकु संचयनिका)

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सोमवार, 17 मई 2021

~ हाइकुकार मधुप पांडेय जी के हाइकु ~

हाइकुकार 

मधुप पांडेय


हाइकु

--0-- 


किसी का होना

फिर जीवन भर 

रोना ही रोना ।


सार्थक जीना 

सीख लो हँस कर 

आंसू को पीना ।


गरीबी रेखा 

कहाँ-किधर-कब 

किसने देखा ?


वादे ही वादे 

राजाओं के खेल में 

पिटते प्यादे ।


आँख लड़ाई 

फिर कई रातों की 

नींद गंवाई । 


खिले पलाश 

नहीं दिखते भौंरे 

करो तलाश ।


चूनर धानी 

देखकर छुटकी 

हुई सयानी ।


वे बैठे ठाले 

करते चुटकी में 

बड़े घोटाले ।


कोयल गाये 

सुन अमराई में 

बौर बौराये ।


किसकी भूल 

बोया बीज आम का 

उगा बबूल ।

---00---


□ मधुप पांडेय 

नागपुर (महाराष्ट्र)

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