हाइकु कवयित्री
पूर्णिमा पाटिल
हाइकु
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प्रकृति सीख
जो समझ में आयी
जीना सरल !
प्रदीप्त पथ
प्रस्फुटित आशाएँ
शुभ प्रभात !
खादी के वस्त्र
वस्त्र नहीं विचार
बापू के बोल !
पुस्तक ज्ञान
व्यापक दृष्टिकोण
समझदारी !
वृद्धों की सीख
समृद्ध अनुभव
हो संरक्षण !
एक समान
सूर्योदय सूर्यास्त
रक्ताभ रंग !
तुलसी पत्ती
पवित्र पूजनीय
स्वास्थ्य खज़ाना !
हाइकु क्या है ?
गागर में सागर
जापानी काव्य !
कविता क्या है ?
जीवन का दर्शन
आनंद मार्ग !
मन के भाव
शब्दों का समन्वय
सृजन कार्य !
माँ की भाषा है
भावों का संप्रेषण
अपनापन !
भाषा संस्कृति
धरोहर हमारी
ये अनमोल !
रोज़ व्यायाम
अनुशासित चर्या
सुरक्षा मंत्र !
कोरोना काल
रिश्तों में दूरी नहीं
दूर से रिश्ता !
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□ पूर्णिमा पाटिल
नागपुर (महाराष्ट्र)
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