हाइकु मञ्जूषा (समसामयिक हाइकु संचयनिका)

卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ हाइकु मञ्जूषा (समसामयिक हाइकु संचयनिका) संचालक : प्रदीप कुमार दाश "दीपक" ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐

मंगलवार, 18 मई 2021

~•~ हाइकुकार हेमन्त जकाते जी के उत्कृष्ट हाइकु ~•~

हाइकुकार

हेमन्त जकाते 


हाइकु

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सूर्य की आग

ठंडक के लिए है 

भागमभाग ।


न रोक पाया 

मन पंछी को कभी 

पिंजरा काया ।


रात हो गई 

पहाड़ी राह पर 

आँखें खो गई ।


रोये कोयल 

बसंत के जाने से 

मन घायल ।


नन्ही सी कली 

कांटो के बीच पली 

फिर भी खिली ।


अरी तितली 

ये रंगों की दौलत 

कहाँ से मिली ?


खिलती रही 

बारिश में भी धूप 

मिलती रही ।


चढ़ते रहे 

काग़ज़ की नाव पे 

डूबते रहे । 


बोलते नहीं 

जानवर मूक हैं 

छलते नहीं ।


जीवन जीना 

अंत तक ये सांस 

पड़ेगा खोना ।

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□  हेमन्त जकाते 

नागपुर (महाराष्ट्र)

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