हाइकु कवयित्री
डॉ. भारती वर्मा बौड़ाई
हाइकु
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धूप के गाँव
झुलसते थकते
ढूँढते छाँव ।
खुश गौरैया
कूदती वृक्ष पर
मुदित भैया ।
वृक्ष की छाँव
मिलते ही आँगन
बना कुबेर ।
बैठते अब
कुर्सी दरियाँ डाल
गप्पाते सब ।
पौधे लगाते
मुदित मन बच्चे
धूम मचाते ।
आँखमिचौली
खेलते धूप मेघ
निहारो जरा ।
□ डॉ. भारती वर्मा बौड़ाई
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