हाइकुकार
उपेन्द्र प्रसाद मेहेर
हाइकु
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अन्धा कानून
काला सफेद हुआ
लाचार विधि ।
गोधूली बेला
सब लौट आये हैं
वे नही आये ।
मन धड़का
अनहोनी चिन्तन
विकल मन ।
खामोश क्षण
ट्रैफिक जाम होगा
स्वयं सांत्वना ।
चाँद निकला
प्रिय परदेश में
मन मायूस ।
राम रहीम
धर्म का हुडदंग
त्रस्त शासन ।
सफर में हूँ
दो दिन की जिन्दगी
जल्द लौटूंगा ।
नैहर छूटा
ससुराल पराया
अबला नारी ।
नव वसंत
सरस्वती निश्चल
लक्ष्मी चंचल ।
वृक्ष लगायें
धरा समृद्ध होगा
हम बचेंगे ।
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□ उपेन्द्र प्रसाद मेहेर
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