~ हाइकुकार ~
श्रवण चोरनेले श्रवण
~ हाइकु ~
सांझ की बेला
~ 1 ~
सांझ की बेला
गगन अलबेला
मन अकेला ।
~ 2 ~
एक कहानी
गाय उड़ाती धूल
शाम सुहानी ।
~ 3 ~
उड़ती धूर
धुंधलाया गगन
गाय के खुर ।
~ 4 ~
सांझ की लाली
छोटा सा ठहराव
लौटे मवाली ।
~ 5 ~
खुशियाँ लाती
मवेशियों की वाणी
कल्याण गाती ।
~ 6 ~
मन मीत के
गाते हैं हर शाम
गीत प्रीत के ।
~ 7 ~
एक कतार
पंछियों की वापसी
नीड़ के द्वार ।
~ 8 ~
अंबर स्याही
छुप जाये सूरज
लौटते राही ।
~ 9 ~
चौरा तुलसी
दीप जले स्नेह के
गाये आरती ।
~ 10 ~
कभी न थके
अपने अपने नीड़
पहुँच चुके ।
~ 11 ~
संध्या समय
गाये जाते हैं राग
कल्याण ठाट ।
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□ श्रवण चोरनेले 'श्रवण'
रायपुर (छत्तीसगढ़)
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