हाइकु मञ्जूषा (समसामयिक हाइकु संचयनिका)

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बुधवार, 7 अगस्त 2019

हाइकुकार आर्विली आशेन्द्र लूका जी के हाइकु


हाइकुकार

आर्विली आशेन्द्र लूका


हाइकु 


वक़्त की मार
आवाज़ न करती
निपटा देती ।

न बिखरना
ज़िंदगी को आज़मा
रख हौसला ।

मुस्कुराकर
जो गम पीना सीखा
सफल हुआ ।

भूखा न सोये
फुटपाथों में कोई
मुहिम छेड़ें ।

प्रभु ने दिया
आशीष बेशूमार
हम भी बाटें ।

आग उगला
सूरज का ये गोला
तपती धरा ।

कटते वन
कांक्रीट की सड़कें
वजह बना ।

जल संचय
कर न पाएं हम
ये सोचें जरा ।

कटते वन 
न खेलें प्रकृति से
बचायें वृक्ष ।

पौधे लगायें
सीचें जीवन भर
चैन से रहें ।

माता का स्पर्श
पाते ही आया हर्ष
मिला उत्कर्ष ।

माँ का आँचल
सुरक्षित रखता
हरेक पल ।

माँ का चरण
सुन्दर अंजुमन
करूँ नमन ।

मिली सुरक्षा
माता के आँचल में 
बच्चे निडर ।

पिता का हाथ
सिर पर जिसके
करता नाज़ ।

ममत्व प्रेम 
चिरस्थायी रहता
सुरक्षा देता ।

□  आर्विली आशेन्द्र लूका

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