हाइकु कवयित्री
सुलोचना सिंह
हाइकु
1
हृदय गली
संवाद की पोटली
प्रेम में पगी ।
2
संवाद जाल
उलझा मन भोला
फँसी चिरैया ।
3
सच बोलता
मन दर्पण न्यारा
भेद खोलता ।
4
झील दर्पण
खिलती कुमुदिनी
विधु को देख ।
5
निशि दर्पण
देखे और तड़पे
चंद्र चकोर ।
6
देख दर्पण
नैनों में पिया हँसे
वधु लजायी ।
7
नैना दर्पण
देख हुई बावरी
प्रेम छलके ।
8
मन दर्पण
बंद आंखे देखती
प्रिय सूरत ।
हृदय गली
संवाद की पोटली
प्रेम में पगी ।
2
संवाद जाल
उलझा मन भोला
फँसी चिरैया ।
3
सच बोलता
मन दर्पण न्यारा
भेद खोलता ।
4
झील दर्पण
खिलती कुमुदिनी
विधु को देख ।
5
निशि दर्पण
देखे और तड़पे
चंद्र चकोर ।
6
देख दर्पण
नैनों में पिया हँसे
वधु लजायी ।
7
नैना दर्पण
देख हुई बावरी
प्रेम छलके ।
8
मन दर्पण
बंद आंखे देखती
प्रिय सूरत ।
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