हाइकु मञ्जूषा (समसामयिक हाइकु संचयनिका)

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गुरुवार, 8 अगस्त 2019

हाइकु कवयित्री सुलोचना सिंह जी के हाइकु

हाइकु कवयित्री 

सुलोचना सिंह 

हाइकु 


1
हृदय गली
संवाद की पोटली
प्रेम में पगी ।
2
संवाद जाल
उलझा मन भोला
फँसी चिरैया ।
3
सच बोलता
मन दर्पण न्यारा
भेद खोलता ।
4
झील दर्पण
खिलती कुमुदिनी
विधु को देख ।
5
निशि दर्पण
देखे और तड़पे
चंद्र चकोर  ।
6
देख दर्पण
नैनों में पिया हँसे
वधु लजायी ।
7
नैना दर्पण
देख हुई बावरी
प्रेम छलके ।
8
मन दर्पण
बंद आंखे देखती
प्रिय सूरत ।

□ सुलोचना सिंह
भिलाई, दुर्ग (छत्तीसगढ़)

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