हाइकुकार
जाविद हिदायत अली
हाइकु
लगी लगन
सावन की झड़ी से
सृष्टि मगन ।
आत्म चिंतन
जीवन चक्रव्यूह
मलिन मन ।
हुँकार भर
साँसें है जब तक
हिम्मत कर ।
न हो उन्मादी
सभ्य जीवन शैली
बन बैरागी ।
जीवन सार
संस्कार को पा लेना
होगा सत्कार ।
वैभव गान
जग गाने तैयार
ऐसा हो काम ।
मनभावन
श्रृंगारिक धरती
आया सावन ।
चाँद निकला
रुपहले पर्दे से
ज़िन्दगी जीने ।
वही हु ब हु
जो ख्वाब में आई थी
तेरी खुशबू ।
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