हाइकु मञ्जूषा (समसामयिक हाइकु संचयनिका)

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बुधवार, 7 अगस्त 2019

हाइकु कवयित्री रेशम मदान जी के हाइकु


हाइकु कवयित्री 

रेशम मदान

हाइकु 


मेरा श्रृंगार
मन मोह भावन
रीझे बालम ।

बनूं मैं राधा
मनमोहक दृश्य
कृष्ण प्रीतम ।

काली बदरी
झिलमिल तारे औ
चली बारात ।

सुन्दर पौधे
मन के आंगन में
मैंने सजाए ।

कंगना मेरा 
अंगना सजन का
खनखनाती ।

हाथ रचे हैं
लाल लाल मेहंदी
पग आलता ।

सुहागन का
सिंदुरी श्रृंगार और
करवाचौथ ।

धीरे न बोल
इशारे से टटोल
मन की बात ।

मैं भी पतंग
छु कर आसमान
चुरा लु रंग ।

छोटी सी बुँदे
बारिश लगातार
नदी की धार ।

□ रेशम मदान

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