हाइकु कवयित्री
रेशम मदान
हाइकु
मेरा श्रृंगार
मन मोह भावन
रीझे बालम ।
बनूं मैं राधा
मनमोहक दृश्य
कृष्ण प्रीतम ।
काली बदरी
झिलमिल तारे औ
चली बारात ।
सुन्दर पौधे
मन के आंगन में
मैंने सजाए ।
कंगना मेरा
अंगना सजन का
खनखनाती ।
हाथ रचे हैं
लाल लाल मेहंदी
पग आलता ।
सुहागन का
सिंदुरी श्रृंगार और
करवाचौथ ।
धीरे न बोल
इशारे से टटोल
मन की बात ।
मैं भी पतंग
छु कर आसमान
चुरा लु रंग ।
छोटी सी बुँदे
बारिश लगातार
नदी की धार ।
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