हाइकु मञ्जूषा (समसामयिक हाइकु संचयनिका)

卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ हाइकु मञ्जूषा (समसामयिक हाइकु संचयनिका) संचालक : प्रदीप कुमार दाश "दीपक" ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐

बुधवार, 19 मई 2021

~•~ हाइकु कवयित्री रूबी दास जी के हाइकु ~•~

हाइकु कवयित्री 

रूबी दास 


हाइकु 

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चाँद को लगी

अमावस की दृष्टि

चांदनी रुठी ।

           

गिद्ध ने कहा

बस करो ईश्वर  

खाया न जाय ।


नेता की भूख

लकड़ी बनी प्रजा

सिंकती  रोटी ।


नन्हा बालक 

माँ की मुखाग्नि कर

अकेला लौटा ।


जैविक युद्ध

नहीं बजी दुंदुभि

लाशों का ढेर ।


ईश से भक्ति

मिली अपार शान्ति 

हो जाये मुक्ति ।


वायु विषाक्त 

प्रकृति है अस्वस्थ 

सृष्टि विनाश ।


कली ने देखी

अचला की चमक

खिलने लगी ।


नक्षत्र भरा

बिछौना सुशोभित

शशि मुस्काये ।


चांदी सा चाँद 

चैत्री चंद्र किरण

चमके चीना ।

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□  रूबी दास

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