हाइकु मञ्जूषा (समसामयिक हाइकु संचयनिका)

卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ हाइकु मञ्जूषा (समसामयिक हाइकु संचयनिका) संचालक : प्रदीप कुमार दाश "दीपक" ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐

बुधवार, 19 मई 2021

~•~ हाइकुकार अनिल मालोकर जी के हाइकु ~•~

हाइकुकार 

अनिल मालोकर 

हाइकु

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ज़माना नया 

खुदगर्ज़ों का मेला 

गुम है दया ।


गरीब गति 

भूख से बुरा हाल 

रात यूं बीती । 


करम करें 

साधु-संतों ने कहा 

रहम करें ।


जुल्म सहती 

गीली आंखें बहू की 

गंगा बहती ।


चमन सूखा 

सेठ बुदबुदाया 

माली है भूखा ।

 

आकांक्षा छोटी 

ग़रीब को चाहिए 

केवल रोटी ।


हुई नादानी 

लो आ गई है याद 

बातें पुरानी 


लोक कला थी 

परिवर्तन भारी 

अब है डिस्को ।


कौन तारेगा 

आत्मा अविनाशी है 

कौन मारेगा ।


कोयला काला 

अफसोस न कर 

हाथ क्यों डाला ?

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□  अनिल मालोकर

रघुजी नगर, नागपुर (महाराष्ट्र)

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