हाइकु मञ्जूषा (समसामयिक हाइकु संचयनिका)
卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ हाइकु मञ्जूषा (समसामयिक हाइकु संचयनिका) संचालक : प्रदीप कुमार दाश "दीपक" ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐
बुधवार, 31 जनवरी 2018
रविवार, 28 जनवरी 2018
रेंगा
विश्व के प्रथम रेंगा संग्रह "कस्तूरी की तलाश" एवं संग्रह के संपादक
आ. प्रदीप कुमार दाश "दीपक" जी की
उपलब्धियों की शान में आयोजित रेंगा सृजन ।
प्रस्तुति : अविनाश बागड़े
संचालक : हाइकु ताँका प्रवाह
13 जनवरी 2018
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दीपक सदा
प्रकाशित ही रहा
राह दिखाते - अविनाश बागड़े
नित नवीन पथ
कल्पनाएँ साकार - सुधा राठौर
एक दीपक
हमको मिल गया
सम्भाले इसे - अविनाश बागड़े
स्नेह साथ विश्वास
कस्तूरी की तलाश - प्रदीप कुमार
हम सब है
पांच सात व पांच
सात - सात है - अविनाश बागड़े
हां साथ साथ चलें
साहित्य पथ रचें - हेमलता मानवी
सृजन पथ
होता रहे विस्तृत
पूर्ण आश्वस्त - सुधा राठौर
शब्द ब्रम्ह चढ़ाएं
अक्षत चंदन से - हेमलता मानवी
हाइकु ताँका
कहीं पे रेंगा रचें
चोका भी साथ - सुधा राठौर
मिल कर कदम
बढ़ाएँ साथ-साथ - प्रदीप कुमार
समूह बढे,
हाइकु पहचान,
फैलता जाल - पूनम
शाम की यह बेला
रेंगा ये अलबेला - अविनाश बागड़े
चला अथक
मिलते गए राही
बना कारवाँ - सुधा राठौर
महक चला पथ
मिले
हमसफर - प्रदीप कुमार
शब्द बुनते,
रेंगा बनते चले
साहित्य रूचि - पूनम
कल्पना व साधना
कृति की आराधना - निर्मल सुरेन्द्र
शब्दों के मोती
चुनते चलें सभी
बुनें सृजन - पूर्णिमा
कुछ भाव पिरोएँ
कुछ बिम्ब सजाएँ - सुधा राठौर
कुछ अक्षर
थोड़े बहुत शब्द
भाव प्रवल - अविनाश बागड़े
होते गहरे अर्थ
देते हमें रोशनी - रामेश्वर बंग
दीप निःस्वार्थ
जला करे जाँबाज
तम परास्त - राकेश गुप्ता
मिटता है अँधेरा
मिलता है प्रकाश - रामेश्वर बंग
ज्ञान प्रदीप्त
बने आकाशदीप
आत्मा उज्ज्वल - मधु सिंघी
मन करे शीतल
महकता चंदन - रामेश्वर बंग
सुखानुभूति
सदा रहे स्वीकृति
होती प्रगति - मधु सिंघी
निरंतर चलना
सुखद अनुभूति - प्रदीप कुमार
शब्दो की माला,
पांच सात पांच ये,
अर्थ है पूर्ण - पूनम
हाइकु और रेंगा
प्रवाह बना रहे - अविनाश बागड़े
मन सरिता
शब्द शब्द के मोती
कृति है काव्य - रामेश्वर बंग
ऊर्जावान बनाये
ये प्रदीप दीपक - अविनाश बागड़े
शिक्षार्थी हम
गुरुजन सम्मुख
नतमस्तक - सुधा राठौर
गुरु देते आशीष
शब्द शब्द का ज्ञान - रामेश्वर बंग
ज्ञान की पूँजी
अमूल्य धरोहर
करें अर्जित - सुधा राठौर
निखारे मन भाव
जीवन मे आलोक - रामेश्वर बंग
जीवन पथ
भर देता उजास
ज्ञान -प्रकाश - सुधा राठौर
देता नव चेतना
खिले खुशी के फूल - रामेश्वर बंग
वैश्विक रूप
कस्तूरी की तलाश
मिला स्वरुप - अविनाश बागड़े
रचा है इतिहास
विश्व पटल पर - रामेश्वर बंग
होवे प्रशस्त
सृजन का ये पथ
नित सतत - सुधा राठौर
मिल जाये कस्तूरी
तलाश हो सफल - अविनाश बागड़े
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