ग्रीष्म व वर्षा से सम्बन्धित हाइकु
डॉ. मिथिलेश दीक्षित
हाइकु
थम गयी है
हवा की धड़कन
बहुत गर्मी !
*
नयी पौध की
सूखती पल -पल
यह फसल !
*
छाया देकर
हमसे ऊंचा हुआ
हमारा पेड़ !
*
उन्हें बचा लें
जिन पेड़ों की जड़ें
सूखने वाली !
*
सूखे हैं वृक्ष
सूख रही चेतना
जीवन बिना !
*
तीव्र आतप
फिर भी हरे -भरे
स्मृति -पादप !
*
गर्मी का दौर
धूप में सुलगता
पाखी का ठौर !
*
सांस भी लेना
गर्मी के शासन में
मुश्किल है ना !
*
तपन में भी
मुस्कराते नीम ये
कितने हरे !
*
गंगा को दिये
एक दिन तो दिये
फिर कचरे !
*
आते विचार
हरे-भरे वृक्षों की
शोभा निहार !
*
कोशिश होगी
अमर बेल यह
सूख न पाये !
***
~ डॉ. मिथिलेश दीक्षित
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