हाइकु मञ्जूषा (समसामयिक हाइकु संचयनिका)

卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ हाइकु मञ्जूषा (समसामयिक हाइकु संचयनिका) संचालक : प्रदीप कुमार दाश "दीपक" ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐

सोमवार, 31 जनवरी 2022

হাইকু : অর্চনা মালাকার



অর্চনা মালাকার

হাইকু


পুড়ছে মন

হাত ধরা যাবেনা 

অশুভ ক্ষণ । 


আকাশ দেখে 

উদার হলো মন

মৌন পাহাড় । 


এসো শুভ্রতা

নীল আকাশ থেকে 

ফুলের গন্ধে । 


ফুল ফুটলে 

কেন এতো আনন্দ 

হৃদয় কুঞ্জে । 


হাসবো সবে

নতুন পৃথিবীতে

কালিমা মুছে ।

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~ অর্চনা মালাকার

मंगलवार, 4 जनवरी 2022

निर्मला सुरेन्द्रन जी की अनुपम हाइकु कृति "अनुबंधिता"

 उत्कृष्ट भावों के अनुबंधों से हृदय को स्नेह सराबोर करती हाइकु कवयित्री निर्मला जी की हाइकु कृति "अनुबंधिता"

अनुुुबंंधिता
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               निर्मला सुरेन्द्रन जी उत्कृष्ट भावाभिव्यक्ति की एक समर्थ हाइकु कवयित्री हैं । 'हाइकु से हाइबुन', 'हाइकु मञ्जूषा' तथा वाट्सएप एवं फेसबुक के कई साहित्यिक समूहों के माध्यम से कई वर्षों से जापानी काव्य शैलियों में इनका चिन्तन व सृजन निरंतर जारी है । जापानी शैलियों के कई साझा संग्रहों में भी इनकी रचनाएँ निरंतर प्रकाशित होती रही हैं । प्रस्तावित हाइकु संग्रह "अनुबंधिता" में उत्कृष्ट हाइकुओं की भरमार है एवं इन उत्कृष्ट हाइकुओं की सृजनात्मकता पाठक मन को सहज मोह लेती है । विभिन्न विषयों पर केन्द्रित इनके कुछ उत्कृष्ट हाइकुओं के प्रभाव आप भी देखें व अनुभव करें-


माँ अंतर्गत-


लोरी की धुन 

कानों में रस घोले 

माँ जब बोले  ।


प्रकृति अंतर्गत -


कौमार्य सजी 

फिर नई सी भोर

द्वारे आ गई ।


नैवेद्य रूप

ड्योढ़ी पसरी धूप 

शुद्ध अनूप ।


आध्यात्म अंतर्गत -


लो जल उठी

तेल भीगी वर्तिका 

अंतर दीप ।


ध्यान में केंद्र 

है असीम आकाश 

दिव्य प्रकाश ।


भावना अंतर्गत -

अनुबंधिता

सुगंधित रिश्ते की 

अबोध कड़ी । 


गुन रहा है

मौन स्वयं से कोई 

गूढ़ संवाद  ।


समाज अंतर्गत -


लीक पे चले 

दृष्टि सृजन मन

करे मनन  ।


पर्यावरण अंतर्गत -


कटे हैं धड़ 

पेड़ की यह पीर 

ध्वस्त है नीड़  ।


नारी अंतर्गत  -


नारी मन की 

पृथक सी कहानी 

मौन जुबानी । 


तुलसी चौरा 

आंगन का ये द्वार

नारी संसार ।


           कवयित्री निर्मला सुरेन्द्रन जी द्वारा रचित हाइकु संग्रह "अनुबन्धिता" में माँ, प्रकृति, आध्यात्म, भावना, समाज, पर्यावरण एवं नारी सात विषयों पर केन्द्रित उत्कृष्ट हाइकु संग्रहण हुए हैं । 

          अनुबंधिता के माँ विषयक हाइकुओं में माँ की बोली में छिपी लोरी की धुन जिसमें घुली मिश्री सी मधुरता, प्रकृति से सम्बन्धित हाइकुओं में भोर के आगमन का सुंदर चित्रण, ड्योढ़ी में नैवेद्य सम शुद्ध धूप का पसरते जाना, आध्यात्म अंतर्गत हाइकुओं में अंतः के जागरण रुपी तेल से भीगी बाती जल कर समाज को प्रकाशित कर जाना, ध्यान से ध्यानी मन की अवस्था को प्राप्त कर दिव्य प्रकाश की सान्निध्यता प्राप्त कर पाना, "भावना" अंतर्गत हाइकुओं में भावों के अनुबंध, मौन का गूढ़ संवादीकरण, "समाज" विषय केन्द्रित हाइकुओं में सृजन व मनन के लीक पर चलने की दृष्टि, "पर्यावरण" अंतर्गत हाइकुओं में अंधाधुंध पेड़ कटाई के कारण पेड़ों की सुरक्षा हेतु कवयित्री के मन में उपजी सहज चिंताएं तथा "नारी" विषय पर केन्द्रित हाइकुओं में मौन के माध्यम नारी मन के संवादों का उद्घाटन तथा नारी की विभिन्न विशिष्टताओं से नारी के उज्ज्वल संसार आदि-आदि अनेकों  उत्कृष्ट भावों से हृदय को स्नेह सराबोर करते हुए ये उत्कृष्ट हाइकु पाठकों को इन विभिन्न विषयों पर सोचने हेतु विवश करने में भी सहज समर्थ हैं । हाइकु कवयित्री निर्मला जी निश्चय ही बधाई योग्य हैं ।

             कवयित्री निर्मला सुरेन्द्रन जी को हाइकु सृजन की ओर तथा कृति प्रकाशन की ओर प्रवृत्त करने में अविशा प्रकाशन एवं अविशा प्रकाशन के प्रकाशक, हाइकु के सशक्त हस्ताक्षर आदरणीय मित्रवर हाइकुकार अविनाश बागड़े जी का महत्वपूर्ण योगदान है । इनके योगदान व अवदान निश्चय चिर स्मरणीय रहेंगे । उत्कृष्ट हाइकु संग्रह अनुबन्धिता के प्रकाशन की बेला में हाइकु कवयित्री आ. निर्मला सुरेन्द्रन जी तथा अविशा प्रकाशन की पूरी टीम के साथ आदरणीय मित्रवर अविनाश बागड़े जी को अशेष शुभकामनाएं व हार्दिक बधाइयाँ ज्ञापित करता हूँ । आशा करता हूँ आने वाले दिनों में इसी तरह अनेकों अनमोल हाइकु कृतियों के प्रकाशन से माँ भारती को समृद्ध करते रहेंगे । शेष शुभ ....

                 28 नवम्बर 2021   

     ~ प्रदीप कुमार दाश "दीपक"

        संपादक - हाइकु मञ्जूषा 

       साँकरा, जिला- रायगढ़ 

      (छत्तीसगढ़)

       Mob. 7828104111

शनिवार, 1 जनवरी 2022

ହାଇକୁ : ନୂତନ ବର୍ଷ ୨୦୨୨

ସାରସ୍ଵତ ହାଇକୁ କାବ୍ୟ ଯାତ୍ରା 

ନୂତନ ବର୍ଷ ହାଇକୁ 

ଜାନୁଆରୀ - ୨୦୨୨


୧)

ନୂତନ ବର୍ଷ

ନବ ଉନ୍ମାଦନାରେ

ମନ ହରଷ ।


୨)

ନବବର୍ଷର

ସ୍ଵାଗତ ଜଣାଏ ମୁଁ

ସହସ୍ର ଥର ।


୩)

ଆଗାମୀ କାଲି

ସର୍ବଦା ନୂତନତା

ରହିଛି ଭରି ।


୪)

କର ସମୀକ୍ଷା

କାଲି ଆଜି ମଧ୍ୟରେ

ଫରକ କେତେ ।


୫)

ପ୍ରଭୁ ସ୍ମରଣେ

ଆଧ୍ୟାତ୍ମିକ ଚେତନା

ଗୁରୁ କଲ୍ୟାଣେ ।


~ ବାସନ୍ତୀ ଦେଈ, ଖୋର୍ଦ୍ଧା


୬)

ନୂଆ ବରଷ

ପ୍ରୀତିଭରା ଶୁଭେଚ୍ଛା 

ଆଣୁ ହରଷ ।


~ ପ୍ରଦୀପ କୁମାର ଦାଶ 'ଦୀପକ'


୭)

ନୂତନ ବର୍ଷ

ଦେଉ ମନେ ହରଷ

ଘେନ ଶୁଭେଚ୍ଛା ।


~ ଜ୍ୟୋତି ପ୍ରଭା ପଟ୍ଟନାୟକ


୮)

ନୂଆ ସକାଳ

ଉତ୍ସାହ ଊଦ୍ଦୀପନା

ଚିତ୍ତ ଚଞ୍ଚଳ । 


~ ସସ୍ମିତା ବାରିକ୍, ବୋଲଗଡ଼


୯)

ଶୁଭଗ ହେଉ

ନୂତନ ସମ୍ଵତ୍ସର

ଆସୁ ସମୃଦ୍ଧି ।


~ ଆରତୀ ମଞ୍ଜରୀ ଦାଶ


୧୦)

ନୂଆ ବରଷ

ହୃଦୟ ପୁଲକିତ

ମନ ହରଷ ।


୧୧)

ନବ ବରଷ

ହେଉ ଦିବ୍ୟ ପ୍ରକାଶ

ଅମା ନିଃଶେଷ ।


୧୨)

ହେ ନୂଆବର୍ଷ

ହୁଅ ଆଶୀଷ ଦାୟୀ

ଝରୁ ପୀୟୂଷ ।


 ୧୩)

ନଵ ପ୍ରଭାତ

ପ୍ରୀତି ଭରା ସୁମନ

କରେ ଅର୍ପିତ ।


~ ମଧୁଛନ୍ଦା ଦାଶ, ଭୁବନେଶ୍ୱର


୧୪)

ନୂତନ ବର୍ଷ

ସଭିଙ୍କ ମନେ ଖୁସି

ମଉଜ ମସ୍ତି ।


~ ରାଜେଶ କୁମାର ମୁଣ୍ଡ 


ନୂଆ ବରଷ

କୋଭିଡ଼ି ହେଉ ଶେଷ

ହସୁ ଜଗତ ।


~ ରଞ୍ଜନ କୁମାର ଜେନା 


ନୂଆ ବରଷ

ମନେ ଅଛି ସାହସ

ଜିତିବ ଦେଶ ।


~ ସୁଧୀର କୁମାର ପଣ୍ଡା 

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