🎋 हाइकु मंच छत्तीसगढ़ 🎋
समसामयिक हाइकु संचयनिका
जुलाई 2019 के श्रेष्ठ हाइकु
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कुएँ की खोल
घोंसले पास जगा
पीपल पेड़ ।
□ माधुरी डड़सेना
हवा चली है
खुशबू भरकर
साँसें महकीं ।
□ ऋषिकांत राव
पड़े फुहार
तन-मन निहाल
बुझती प्यास ।
□ पूनम दुबे
छाये बादल
नीलगगन पर
बिजुरी नाचे ।
□ सुधा शर्मा
खुशी के बीज
वसुधा के आंगन
बोता सावन ।
□ सुलोचना सिंह
नीली ओढ़नी
छन कर आ रही
बारीक बूंदें ।
□ नरेन्द्र मिश्रा
देखे रोटियाँ
जाति न मजहब
रोटी है रब ।
□ धनेश्वरी देवांगन "धरा"
भोर सुहानी
मेघ संग मुस्काती
भू हरियाई ।
□ पूर्णिमा सरोज
पहली वर्षा
घर में अंडे लाते
चींटी के झुंड ।
□ सविता बरई "वीणा"
हरितालिका-
मेंहदी देख रही
शहीद प्रिया ।
□ सविता बरई "वीणा"
संवाद जाल
उलझा मन भोला
फँसी चिरैया ।
□ सुलोचना सिंह
लम्बी सी छाया
व्यथित दोपहरी
पराई काया ।
□ रंजन कुमार सोनी
पीपल वृक्ष
चमकते जुगनू
परिधि बन ।
□ सुधा शर्मा
जल बरसे
पी को मन तरसे
आया सावन ।
□ मधु गुप्ता "महक"
रवि उज्वल
शुभ दिन धवल
देता सम्बल ।
□ पूर्णिमा सरोज
बूँदें टपकीं
मेघ का उपहार
महकी मिट्टी ।
□ प्रदीप कुमार दाश "दीपक"
भरी उमस
जब चली हवाएं
मिला सुकून ।
□ मंजुलता गुप्ता
आँसू की बूँद
सुख दुख का क्षण
पावन जल ।
□ धनेश्वरी देवांगन "धरा"
लुभाते दृश्य
घने बादलों मध्य
तड़ित नृत्य ।
□ सुधा शर्मा
घन गर्जन
चपला थिरकन
झूमे सावन ।
□ सुधा शर्मा
पेड़ में खोह-
काट रहे हैं बच्चे
तोते के पंख ।
□ माधुरी डड़सेना
धरती प्यासी
मेघ नहीं बरसा~
पौधे उदास !
□ अनिता मंदिलवार सपना
मस्ती उमड़ी
नौका पानी में चले
बच्चे खुश हैं ।
□ गीतांजली सुपकार
तृषित धरा
प्यासी वह तरसे
बूँद न गिरे ।
□ वृंदा पंचभाई
तपे सूरज
बंजर है धरती
रोता किसान।
□ अमिता रवि दुबे
हाय वसुधा
बूंद को तरसती
रुठी बरखा ।
□ मधु गुप्ता "महक"
कटते वन
मुरझाई प्रकृति
खुशियाँ गुम ।
□ गनेश राय
आई बारिश
मुरझाए अंखुए
मिला जीवन ।
□ शशि मित्तल
प्यार के बोल
कंठ से जो निकले
दूर शिकवे ।
□ ए.ए.लूका
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