हाइकु मञ्जूषा (समसामयिक हाइकु संचयनिका)

卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ हाइकु मञ्जूषा (समसामयिक हाइकु संचयनिका) संचालक : प्रदीप कुमार दाश "दीपक" ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐

बुधवार, 31 जुलाई 2019

~ समसामयिक हाइकु संचयन (जुलाई-2019) ~


🎋 हाइकु मंच छत्तीसगढ़ 🎋

समसामयिक हाइकु संचयनिका 

  जुलाई 2019 के श्रेष्ठ हाइकु 

~ • ~


कुएँ की खोल
घोंसले पास जगा
पीपल पेड़ ।

□ माधुरी डड़सेना

हवा चली है
खुशबू भरकर
साँसें महकीं ।

□ ऋषिकांत राव

पड़े फुहार
तन-मन निहाल
बुझती प्यास ।

□ पूनम दुबे

छाये बादल
नीलगगन पर
बिजुरी नाचे ।

□ सुधा शर्मा

खुशी के बीज
वसुधा के आंगन
बोता सावन ।

□ सुलोचना सिंह

नीली ओढ़नी
छन कर आ रही
बारीक बूंदें ।

□ नरेन्द्र मिश्रा

देखे रोटियाँ
जाति न मजहब
रोटी है रब ।

□ धनेश्वरी देवांगन "धरा"

भोर सुहानी
मेघ संग मुस्काती
भू हरियाई ।

□ पूर्णिमा सरोज

पहली वर्षा
घर में अंडे लाते
चींटी के झुंड ।
           
□ सविता बरई "वीणा"

हरितालिका-
मेंहदी देख रही
शहीद प्रिया ।
         
□ सविता बरई  "वीणा"

संवाद जाल
उलझा मन भोला
फँसी चिरैया ।

□ सुलोचना सिंह

लम्बी सी छाया
व्यथित दोपहरी
पराई काया ।

□  रंजन कुमार सोनी

पीपल वृक्ष
चमकते जुगनू
परिधि बन ।

□ सुधा शर्मा

जल बरसे
पी को मन तरसे
आया सावन ।

□ मधु गुप्ता "महक"

रवि उज्वल
शुभ दिन धवल
देता सम्बल ।

□ पूर्णिमा सरोज

बूँदें टपकीं
मेघ का उपहार
महकी मिट्टी ।

□ प्रदीप कुमार दाश "दीपक"

भरी उमस
जब चली हवाएं
मिला सुकून ।

□ मंजुलता गुप्ता

आँसू की बूँद
सुख दुख का क्षण
पावन जल ।

□ धनेश्वरी देवांगन "धरा"

लुभाते दृश्य
घने बादलों मध्य
तड़ित नृत्य ।

□ सुधा शर्मा

घन गर्जन
चपला थिरकन
झूमे सावन ।

□ सुधा शर्मा

पेड़ में खोह-
काट रहे हैं बच्चे
तोते के पंख ।

□ माधुरी डड़सेना

धरती प्यासी
मेघ नहीं बरसा~
पौधे उदास !

□ अनिता मंदिलवार सपना

मस्ती उमड़ी
नौका पानी में चले
बच्चे खुश हैं ।

□ गीतांजली सुपकार

तृषित धरा
प्यासी वह तरसे
बूँद न गिरे ।

□ वृंदा पंचभाई

तपे सूरज
बंजर है धरती
रोता किसान।

□ अमिता रवि दुबे

हाय वसुधा
बूंद को तरसती
रुठी बरखा ।

□ मधु गुप्ता "महक"

कटते वन
मुरझाई प्रकृति
खुशियाँ गुम ।

□ गनेश राय

आई बारिश
मुरझाए अंखुए
मिला जीवन ।

□ शशि मित्तल

प्यार के बोल
कंठ से जो निकले
दूर शिकवे ।

□ ए.ए.लूका

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गुरुवार, 25 जुलाई 2019

परछाइयाँ : हाइकु संग्रह



                              परछाइयाँ 

          हर्फ़ पब्लिकेशन नई दिल्ली द्वारा प्रकाशित हाइकु संग्रह  "परछाइयाँ " ISBN - 978-93-87757-24-0 प्रथम संस्करण - 2018, पुस्तक मूल्य - 200/-, पृष्ठ -186

        मेरे चुने हुए उत्कृष्ट सत्ताईस हाइकुओं के सोलह भारतीय भाषाओं व विभिन्न सात बोलियों के अनुवादों का देवनागरी लिप्यंतरण व मूल लिपियों में आकर्षक हार्डबाउण्ड कवर पृष्ठ, मोटे कागज युक्त, गुणवत्ता पूर्ण छपाई, सुन्दर बाइण्डिंग से सुसज्जित पुस्तक की प्रस्तुति हेतु पुस्तक के प्रकाशक स्नेहिल मित्र आ. जलज मिश्र जी, विशेष सहयोगी मित्र सर्वभाषा ट्रस्ट के संयोजक आ. केशव मोहन पांडेय जी, पुस्तक के समस्त भाषानुवादक महानुभावों एवं आप सभी मित्रों के स्नेहिल सहयोग का मनःपूर्वक हार्दिक आभार व्यक्त करता हूँ ।

                  □ प्रदीप कुमार दाश "दीपक"

CHARU CHINMAY CHOKA

   

                      चारु चिन्मय चोका 

   साझा चोका संग्रह  : प्रकाशन वर्ष - 2018
        प्रकाशन  :  उत्कर्ष प्रकाशन मेरठ

                         संपादक 
          □ प्रदीप कुमार दाश "दीपक"

ORIYA HAIKU BOOK : "KASHATANDEER HASHA"

            ଓଡିଆ ହାଇକୁ ସଂଗ୍ରହ  "କାଶତଣ୍ଡୀର ହସ"  

                              ପ୍ରକାଶନ ବର୍ଷ : 2019
                              ନୁଆଁ ସକାଳ ପ୍ରକାଶନ
                                 
                                    ହାଇକୁକାର

                       □ ପ୍ରଦୀପ କୁମାର ଦାଶ "ଦୀପକ"

शनिवार, 13 जुलाई 2019

सेदोका

सेदोका


01.

कांक्रीट जाल
अंधाधुंध कटाई 
पेड़ बने लाचार
करें आभार
छायादार दरख्त 
प्रकृति उपहार ।

     --00--

02.

आद्य दिवस
आषाढ़ का प्रवेश
भाव हुए व्याकुल
दिखे जो मेघ
प्रेम का अतिरेक 
भेजे यक्ष संदेश ।

     --00--

03.

बीता आषाढ़
मेघ हुए निठुर  
सूखे पड़े हैं कुएँ 
दुःखी नदिया
जल की क्षीण धार
ओह.. हुई लाचार ।

     --00--

04.

सघन वन
बरसात मौसम 
पाट के सम्मोहन 
फँसे नयन
उल्टे पानी की धार
निसर्ग पे निहाल ।
     --00--

05.

आद्य आषाढ़ 
वर्षा का जन्मोत्सव 
छाये मेघ अपार
सुधा की बूंदें
वसुधा में करतीं 
शीतल का संचार ।

     --00--

06.

आया पावस
कलकल करती
फूट पड़ी धाराएँ 
गिरि शिखर 
तोड़ चली चट्टानें 
बह उठा निर्झर ।

     --00--

□ प्रदीप कुमार दाश "दीपक"

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