हाइकु मञ्जूषा (समसामयिक हाइकु संचयनिका)

卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ हाइकु मञ्जूषा (समसामयिक हाइकु संचयनिका) संचालक : प्रदीप कुमार दाश "दीपक" ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐

मंगलवार, 10 जून 2025

~ हाइकु कवयित्री अनिता गोयल जी के हाइकु ~

हाइकु कवयित्री अनिता गोयल जी के हाइकु 

अनिता गोयल

हाइकु 


शुभ प्रभात 

भोर लाई सौगात 

बढ़ते रहो ।


भीषण गर्मी

ठंडी हवा का झोंका 

आनंद आया ।


काली बदली

उमड़ के है आई 

नहीं बरसी ।


गुजरी रात

आई शुभ प्रभात 

नमन करो ।


नदिया चली

सागर को मिलने

मंज़िल मिली ।


यह जीवन 

है नदिया की धारा

चलना होगा ।


व्यापार बढ़ा

कछुए की खाल का

कष्ट में जाति ।


छप्प छपाक 

बगुले का झपटा

फिर सन्नाटा ।


नीड़ बनाया

तिनका चुन चुन

बंदर तोड़ा ।


नौतपा मस्त 

मौसम आशिक़ाना

गाए तराना ।


बहुत किया

प्रकृति का शोषण 

लोभी मानव ।


~ अनिता गोयल

पंचकूल, हरियाणा (भारत)

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