हाइकु कवयित्री अनिता गोयल जी के हाइकु
अनिता गोयल
हाइकु
शुभ प्रभात
भोर लाई सौगात
बढ़ते रहो ।
भीषण गर्मी
ठंडी हवा का झोंका
आनंद आया ।
काली बदली
उमड़ के है आई
नहीं बरसी ।
गुजरी रात
आई शुभ प्रभात
नमन करो ।
नदिया चली
सागर को मिलने
मंज़िल मिली ।
यह जीवन
है नदिया की धारा
चलना होगा ।
व्यापार बढ़ा
कछुए की खाल का
कष्ट में जाति ।
छप्प छपाक
बगुले का झपटा
फिर सन्नाटा ।
नीड़ बनाया
तिनका चुन चुन
बंदर तोड़ा ।
नौतपा मस्त
मौसम आशिक़ाना
गाए तराना ।
बहुत किया
प्रकृति का शोषण
लोभी मानव ।
~ अनिता गोयल
पंचकूल, हरियाणा (भारत)
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