हाइकु मञ्जूषा (समसामयिक हाइकु संचयनिका)

卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ हाइकु मञ्जूषा (समसामयिक हाइकु संचयनिका) संचालक : प्रदीप कुमार दाश "दीपक" ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐

गुरुवार, 23 नवंबर 2023

~ हिन्दी की महान साध्वी हाइकु कवयित्री स्वर्गीय डॉ. सुधा गुप्ता जी को समर्पित श्रद्धांजलि के हाइकु ~

 *महान हाइकु कवयित्री स्व. डॉ. सुधा गुप्ता जी*

डॉ. सुधा गुप्ता जी
18 मई 1934 :: 18 नवम्बर 2023


🙏 *श्रद्धांजलि के हाइकु* 🙏

स्मृति के वन

दिवंगत सुधा जी

श्रद्धा सुमन ।


रही न दीदी

भाई के पास अब

शेष हैं स्मृति ।


स्नेहिल सुधा 

हाइकु का संसार

धनाढ्य हुआ ।


~ प्रदीप कुमार दाश 'दीपक'


भाव लेखनी

चाँद का कैनवास

सुधा के चित्र ।


प्रकृति मित्र

हाइकु के विन्यास

सुधा के चित्र ।


सुधा कृतित्व

देती है श्रद्धाजंलि

मृत्यु अटल ।


~ सुशील शर्मा


दुखद घड़ी 

विनम्र श्रद्धांजलि

भावों से भरी ।


मन क्रंदन

सुधाजी को हमारा

कोटि वंदन ।


उगता चांद

तारों के घराने में

गुम हो गया ।


मृत्यु अटल

हुआ सुधा के बिना

सूना पटल ।


स्मृतियां शेष

हाइकु रचनाएं

लिखी विशेष ।


~ सुनीता दीक्षित 'श्यामा'


दीदी के खत

मेरी डायरी में ही

याद आयेगी ।


रो नहीं पाया 

शोक समाचार पा

आंसू नैन में ।


नभ से टूटा

चमकीला सितारा

मन तो रोया ।


मेरा नमन

हे महा आत्म प्राण

विदग्ध मन ।


~ देवेन्द्र नारायण दास


ये मोमबत्ती

लेखन अविरत

याद उनकी ।


सुरभिमय

हाइकु सा जीवन

संचित धन ।


श्रद्धा सुमन

सुधा गुप्ता सृजन

व्यथित मन ।


द्रवित मन

करते है मनन

सुधा सृजन ।


लिखे हाइकु

शब्द शब्द संजोय

लो थमे भाव ।


स्मृति ही शेष

बात यह विशेष

सुधा सृजन ।


~ अविनाश बागड़े 


स्मृतियाँ शेष

हाइकु महारानी

श्रद्धा सुमन ।


सुधा बहन

गागर में सागर

हाइकु भरे ।


~ पुरोहित गीता


आशीष चाह

मन में रह गई 

आप जो नहीं ।


दर्द गहरा 

हाइकु वाणी संग 

आप विलुप्त ।


यादें है शेष 

साहित्य परिचय 

डाॅ. सुधा गुप्ता ।


~ कुन्दन पाटिल


अम्मा की छवि

सुधा दीदी में दिखी

गर्दन झुकी ।


~ आर. बी. अग्रवाल


शब्दों की याद

अब है मरीचिका

बुझे न प्यास ।


~ विवेक कवीश्वर


भीगे मन से

श्रद्धांजलि अर्पित

कठिन घड़ी ।

                          

आत्मा की शांति

दिवंगत के प्रति

कृतघ्न धरा ।


हाइकु सूना

मुस्कुराता चेहरा

स्मृतियां शेष ।


~ पूनम भू


दूर देश को

सुधा कलश ले

विलीन आत्मा । 


मन-मंदिर 

यादों में विराजती

नमन उन्हें ।


शब्द मौन हैं 

देते हैं श्रद्धांजलि

भर अंजुलि । 


~ आभा दवे


साहित्य को ही

प्रेरणा स्रोत बना 

जीवन बीता ।


साधना लीन

उत्कृष्ट व्यक्तित्व हो 

जीवन जिया ।


सहज बन

मोह ममता तज

प्रयाण किया ।


मेरा नमन

सुधा नाम विभूति

ज्ञानदीप को ।


~ चन्द्र प्रभा


छीन ली "सुधा"

देवों की शांत हुई

फिर से क्षुधा ।


गयी है "सुधा"

फिर देवों के पास

छोड़ वसुधा ।


यही नियति

देवलोक में ही है

"सुधा" का स्थान ।


~ अलंकार आच्छा


लो रिक्त हुआ !

अमृत से भरा वो –

‘सुधा’ कलश ।

 

क्या कहा – अस्त ?

न...न... कवि रहते 

सदा अमर ! 


सदा ही दिया 

ज्ञान उन्होंने, आज....  

खालीपन भी !


कैसे संभव? 

सुधा स्वयं ही लीन 

पंचतत्त्व में । 


बड़ा कठिन! 

ये बताना – ‘क्या खोया’? 

‘उन्हें’ खोकर ।  


जाना तो तय 

फिर भी घबराता 

मन बाँवरा ।  


रह...रह....के 

दिल को कचोटती 

उनकी यादें ! 


शाख से झड़ा  

सर्वश्रेष्ठ गुलाब  

उजड़ा बाग । 


बिन बताए 

चले वे चुपचाप..

कहीं मिलेंगे ? 


अगली यात्रा!

अपने सूरज को

(वे)ढूँढने चली..


कहे स्वयं को 

प्रबुद्ध होकर भी 

‘मैं निर्गुनिया’ ! 


~ डॉ. पूर्वा शर्मा


चन्दन सुधा 

हाइकु अमृत पी 

अमर हुईं ।


कभी न बुझे 

हाइकु ज्ञान ज्योति 

सुधा से जली ।


कोमल मन 

भावों की निर्झणनी

था तव रूप ।


परम आत्मा 

तुम्हारी प्रिय दीदी 

पाए विश्राम ।


~ पुष्पा मेहरा


श्रद्धा सुमन 

विनम्र श्रद्धांजलि 

भावुक मन ।


~ अरुण आशरी 


धरा को छोड़

स्वर्ग के पथ पर

निस्पृह आत्मा ।


सजल नेत्र

सगे और संबंधी

नेह के बंध ।


सुधा सागर

ससक्त हस्ताक्षर

हाइकु रंग ।


~ मनीष कुमार श्रीवास्तव


स्मृति है शेष

बाकी सब निःशेष

सुधा विशेष ।


जीवन जाना

होता है अनिवार्य

यादें हैं खास ।


स्मृतियां अब

करेंगी परेशान

परिजनों को ।


कैसे बनता

भावना का समुद्र

आंखें सजल ।


~ सतीश राठी


सुधा कलश

सिंचित व पुष्पित 

हाइकु वन ।


सजल नैन 

मार्मिक वर्तमान

द्रवित मन ।


सुधा अमृत 

हाइकु कलाकृति

अमर हुई ।


~ प्रमोदिनी शर्मा


सुधा पहुंचीं

सुधा सागर पास

एक होने को ।


सदा रहूंगी

तुम्हारे आसपास

हाइकु बन ।


माथे चंदन

हृदय सुधा रस

दीदी नमन ।


~ अजय चरणम्


सुधा ही सुधा

जीवन से बरसा

हाइकु रूप ।


स्वर्गारोहण

सुधा कलश सम

जीवन धन्य ।


उमड़ी यादें

बरसता दुलार

सुधा अपार ।


रचे हाइकु

मानवता के हेतु

अमृत रूप ।


~ गंगा पाण्डेय "भावुक"


सुधा जी गईं 

इस लोक को छोड़ा 

हुईं विजयी ।


श्रद्धा - सुमन 

सादर समर्पित 

दु:खी है मन ।


सदा जीवंत 

भव्य सृजनालोक 

कभी न अंत ।


स्मृतियाँ शेष

हाइकु विस्तारित 

हुए विशेष ।


सार्थक नाम 

इतिहास बना है

बोलेगा काम ।


यश धवल 

हिमवंत सदृश 

रहे अचल ।


~ डॉ० विष्णु शास्त्री ' सरल '


अनभिज्ञ हूँ

सुधा का अस्तित्व 

जान न पाई ।


जान पाई मैं

पहचान तुम्हारी

जाने के बाद ।


भाग्यहीन मैं

श्रद्धा अर्पण कर

करूँ नमन ।


~ रुबी दास "अरु"


दीप कलश

एक बार खो गया

अब न मिले ।


वह रोशनी 

हाइकू मे रहेगी 

बन भविष्य ।


याद बनी है

हाइकु में रहेगी 

एक रोशनी ।


~ कश्मीरी लाल चावला


शनिवार, 18 नवंबर 2023

~ माया वसन्दानी जी के सिंधी हाइकु ~

~ माया वसन्दानी जी के सिंधी हाइकु ~


माया वसन्दानी जी 


सिंधी हाइकु 


1.

ततलु सिजु

टुॿंदो समुंड्र में

सीतलु थींदो ।


2.

राति जी राणी

सिज सां छो लॼाए

मुंहुं लिकाए ।


~ माया वसन्दानी

जयपुर


हिन्दी अनुवाद 


1. 

तपा सूरज

सिन्धु में डूब लगाए

शीतल होवे ।


2.

रात की रानी

सूरज से क्यों शर्माए

मुंहुं छिपाए ।


~ माया वसन्दानी

जयपुर

शनिवार, 11 नवंबर 2023

इंदिरा किसलय जी की हाइकु कृति 'हाइकु हरसिंगार'

 हृदय किसलय के सुंदर उद्गार - 'हाइकु हरसिंगार'


हाइकु हरसिंगार 

         विदूषी हाइकु कवयित्री आ. इंदिरा किसलय जी का प्रथम हाइकु संग्रह 'हाइकु हरसिंगार' प्राप्त हुआ, मन बाग-बाग हो उठा । मेरे प्रिय हाइकु रचनाकारों की श्रेणी में इंदिरा किसलय जी प्रथम पंक्ति की हाइकु कवयित्री हैं । दिवस आज बेहद खास हुआ क्योंकि इस संग्रह को पढ़ने की बेहद प्रतीक्षा मुझे पहले से थी । कवयित्री इंदिरा किसलय जी के कई हाइकु मेरे द्वारा संपादित हाइकु पत्रिका 'हाइकु मञ्जूषा' में प्रकाशित हुए हैं । आ. इंदिरा किसलय जी हाइकु, ताँका, सेदोका, चोका, हाइबुन आदि जापानी शैलियों की पारखी कवयित्री हैं । अविशा प्रकाशन, नागपुर से प्रकाशित 48 पृष्ठीय 'हाइकु हरसिंगार' प्रकाशन वर्ष 2023, बहुत ही सुंदर, आकर्षक कलेवर, उत्कृष्ट छपाई युक्त मोटे कागजों में बहुत ही सुंदर-सुंदर 346 हाइकु पुष्पों से पुष्पित व सुवासित होता हुआ सुसज्जित है । देश के प्रख्यात व्यंग शिल्पी आदरणीय गिरीश पंकज जी एवं नवोदित प्रवाह के संपादक आदरणीय रजनीश त्रिवेदी 'आलोक' जी जैसे विद्वान रचनाकारों द्वारा प्राक्कथन एवं भूमिका रुपी आशीष प्राप्त होना संग्रह के लिए एवं कवयित्री के लिए निश्चय ही गर्व एवं सौभाग्य का विषय है । 

    हाइकु हरसिंगार के हाइकुओं में प्रकृति, प्रणय, नारी, अध्यात्म, राजनीति, हिन्दी आदि किसी भी विषय पर क्यों न हो, इन सबमें कवयित्री की पारखी भावाभिव्यंजना की अनुपम शैली पाठकों के मन को सहज मोह रही है । संग्रह के हाइकुओं में प्रकृति के प्रति सूक्ष्मावलोकन की दृष्टि के साथ साथ मुख्यतः हृदय पक्ष की प्रधानता दृष्टिगोचर है । संग्रह का प्रथम हाइकु देखें - 

अनोखी कृति/वर्षा की हर बूँद/है गणपति । (पृष्ठ क्र. 12 )

   हाइकु रचना प्रवृत्ति में कवयित्री प्रकृति के साथ बिल्कुल तल्लीन हैं, रचना देखें - 

अजन्मे गीत/नदी और जंगल/हैं मेरे मीत । (पृष्ठ क्र. - 13) 

 नभ तरु से/बरसे धारासार/हरसिंगार । (संग्रह का केंद्रीय हाइकु : पृष्ठ क्र. - 14 ) 

रजनी का सुंदर चित्र प्रस्तुत करता हुआ एक हाइकु - 

'चुप है चाँद/बड़बोले जुगनू/साक्षी रजनी । (पृष्ठ क्र. 15)

स्वयं महकता एवं अग-जग को महकाता सा एक सुंदर हाइकु देखें -

'गीत महका/मोगरे के फूल सा/हवा बौराई । (पृष्ठ क्रमांक - 17)

जल रूपी दर्पण में प्रतिबिंबित स्वयं के बिंब को देखकर कवयित्री का मन स्वयं को खोजने लग जाता है - 'जल दर्पण/प्रतिबिंबित बिंब/उर्मिल मन । (पृष्ठ क्रमांक - 18)

     संग्रह के बहुत सारे हाइकु मन को सहज लुभाते जा रहे हैं, लोभ संवरण नहीं कर पा रहा हूँ, हाइकु देखें और गुनें -  

मन में हूक/अमराई से उठी/कुहू की हूक (पृष्ठ क्रमांक - 20) 

अमृत झरा/चाँद जैसा हाइकु/रचती धरा । (पृष्ठ क्रमांक - 22) 

खिली है रात/नील कमलिनी सी/ऋतु सरसी । (पृष्ठ क्रमांक - 24, द्विक्रिय हाइकु) 

प्रणय के हाइकु -

तुम्हारी हँसी/धूप में बरखा सी/दुविधा कैसी । (पृष्ठ क्रमांक - 25) 

पुराने खत/क्यों सहजे हैं मैंने/पूछना मत । (पृष्ठ क्रमांक - 26) 

बूँदों का जाल/नैन हैं समंदर/गीला रुमाल । (पृष्ठ क्रमांक - 28, भाव बिम्ब)

तुम्हारे खत/तिजोरी में रखे हैं/चुराना मत । (हृदय पक्ष - पृष्ठ क्रमांक - 28) 

ताजी पंखुड़ी/रखी थी किताब में/है सूखी पड़ी । (स्मृति बिंब - पृष्ठ क्रमांक - 29)

प्रीत कस्तूरी/मृग मन की कथा/सदा अधूरी । (पृष्ठ क्रमांक - 30) 

आंखें हैं म्यान/आंसू और मुस्कान/दोनों कृपाण । (पृष्ठ क्रमांक - 30)

धूप का गांव/रुक जाओ दो घड़ी/यादों की छांव । (पृष्ठ क्रमांक - 32) 

नारी पर -

धरा सी धीरा/गंगा सी सदानीरा/नारी तापसी । (पृष्ठ क्रमांक - 33)

नभ छू चला/बेटियों का हौसला/वक्त बदला । (पृष्ठ क्रमांक - 34)

अध्यात्म पर शब्द चित्र -

तन दीपक/मन दीप्त वर्तिका/सूफी क्षणिका । (पृ.क्र. - 37) 

रूप निर्झर/ऋचाएं झरती हैं/नित्य भू पर (पृष्ठ क्रमांक - 41)

राजनीति पर - 

विधि के हाथ/फकीरों सी लकीरें/श्रम के साथ । (पृष्ठ क्रमांक - 44) 

श्रम की स्याही/मजदूर का ख्वाब/रोटी किताब । (पृष्ठ क्रमांक - 45 )

हिंदी भाषा पर -

दीपक तले/तम विगलित हो/मंजिल मिले । (पृष्ठ क्रमांक - 47)

रोटी से जुड़े/मिट्टी की और मुड़े/हिंदी का यान (पृष्ठ क्रमांक - 48)

       प्रकृति, प्रणय, नारी, अध्यात्म, राजनीति एवं हिंदी इन छः विषयों पर आधारित एक से बढ़ कर एक सुंदर उत्कृष्ट हाइकु 'हाइकु हरसिंगार' में संग्रहित हुए हैं, इन हाइकुओं को पढ़ने, गुनने, गुनगुनाने से निश्चय पाठक का मन आनंद से आप्लावित हो उठेगा । इसमें कोई संदेह नहीं कि इस अनुपम उत्कृष्ट हाइकु कृति से निश्चय ही हिंदी हाइकु संसार धनाढ्य हुआ है । कृति की विदूषी कवयित्री आदरणीया इंदिरा किसलय जी को इस उत्कृष्ट हाइकु संग्रह 'हाइकु हरसिंगार' के प्रकाशन की अनेकानेक शुभकामनाएं व हार्दिक बधाइयां ज्ञापित करता हूँ ।


~ प्रदीप कुमार दाश 'दीपक'

संपादक : हाइकु मञ्जूषा

शुक्रवार, 3 नवंबर 2023

हाइकु मञ्जूषा का हाइबुन विशेषांक

 ~ हाइकु मञ्जूषा का हाइबुन विशेषांक ~

अक्तूबर-दिसम्बर : 2023

हाइकु मञ्जूषा (हाइबुन विशेषांक)

आपके प्रतिभाव...


प्रदीप कुमार जी,

   आप कितनी लगन व समर्पण से हिन्दी-साहित्य, विशेषतः हाइकु विधा के लिए सेवारत हैं, उसके लिए आप को जितना भी साधुवाद दिया जाये, कम होगा ।

 आपने हाइकु मंजूषा को, जो ऊँचाई प्रदान की है, वह स्तुत्य है ।

  सारे हाइबुन अत्यंत उच्चकोटि के हैं । इनमें, मेरे हाइबुन को स्थान देकर मुझे अत्यंत सम्मान दिया है । जिसके लिए हृदय से आभार व्यक्त करता हूँ ।

  सादर अभिवादन ।

~ राधा बल्लभ अग्रवाल 

(नयी दिल्ली)


आदरणीय प्रदीप कुमार जी,

हिन्दी साहित्य की सेवा साधना के साथ साथ हमारे जैसे अनगढ़ पत्थरों को भी तराश रहे हैं । इस अनमोल अंक में मेरे हाइबुन को स्थान दे कर मान दिया है । उसके लिए दिल से बहुत बहुत आभार व धन्यवाद ।

~ राजेन्द्र सिंह राठौड़


आदरणीय सर, 

आपके संपादन में उत्कृष्ट सृजन 🙏🙏

~ मनीष कुमार श्रीवास्तव


आदरणीय Pradeep Kumar Dash जी सादर अभिवादन,

आप धुन के पक्के हैं

जो सोचते

साकार कर ही छोड़ते ।


लो 

हा इ बु न

अंक प्रकाशित

अभिनंदन...


एक कदम

हा इ बु न के नाम

सही पैगाम ।

~ अविनाश बागड़े


आदरणीय प्रदीप कुमार दाश जी, आपका श्रम व साहित्य निष्ठा नमनीय है । नव विशेषांक हेतु बहुत-बहुत बधाई । मेरी रचना को स्थान देने हेतु हृदयतल से आभार ..

~ पुष्पा सिंघी


बहुत ही सुंदर विशेषांक बन पड़ा है । आदरणीय प्रदीप जी जिस निष्ठा से हाइकु विधा के लिए समर्पित हैं, उसके लिए उन्हें सहस्त्र प्रणाम करता हूँ। एक और बेहतरीन अंक के लिए आपको बधाई एवं असीमित शुभकामनाएं....  

       मेरे हाइबुन को इस प्रतिष्ठित एवं ऐतिहासिक अंक में स्थान देने हेतु ह्रदयतल से आपके प्रति आभारी हूँ ।

        हाइकु मंजूषा में इस बार जापानी विधा "हाइबुन" पर आधारित विशेषांक प्रकाशित हुआ है । पचास रचनाकारों की रचनाओं से सुसज्जित सम्भवतः विश्व के इस प्रथम हाइबुन विशेषांक में मेरी रचना को स्थान देने के लिए संपादक श्री प्रदीप कुमार दाश दीपक जी के प्रति हार्दिक आभारी हूँ। पत्रिका के उन्नयन के लिए असीमित शुभकामनाएं   ....

~ अलंकार आच्छा


विविध भाव

संजोए है मंजूषा

हाइकु धन ।


दिली बधाई

मंजूषा का खज़ाना

खुशियाँ  लाई ।

~ अमिता शाह-'अमी'


हाइबुन विशेषांक के रचनाकारों के बीच स्वयं का नाम देख कर बहुत खुशी हुई इसके लिए प्रदीप दाश जी का ह्रदय से आभार व्यक्त करती हूँ, साथ ही सभी रचनाकारों को बधाई प्रेषित करती हूँ । 

~ प्रतिभा त्रिपाठी


        आदरणीय प्रदीप कुमार दाश 'दीपक' जी,

जापानी विधा की कविताएँ जैसे हाइकु, ताँका,कतौता, चौका इत्यादि विधा लेखन में सिद्ध हस्त है। वे बहुत ही कर्मठ एवं जुझारू व्यक्तित्व के धनी है। सदैव नित नवीन जापानी विधा की कविताएं सीखने में उनका मार्गदर्शन हमें समूह में मिलता रहता है। इसबार उनका हाइबुन विधा में साझा संकलन प्रकाशित हुआ है, जिसमें मेरे हाइबुन को भी स्थान मिला है। हाइबुन में पहले एक यात्रावृत्तांत गद्य में लिखकर उस पर हाइकु लिखना होता है। सर्वप्रथम प्रदीप कुमार दाश दीपक जी को हार्दिक बधाई एवं साधुवाद।आप इसी तरह प्रगतिपथ पर अग्रसर रहें। सभी हाइबुनकारों को बहुत बहुत बधाइयाँ ।

~ मधु सिंघी


नमस्कार दोस्तों,

    हाइकु मंजूषा के हाइबुन विशेषांक में, मेरे लिखे हाइबुन को स्थान देने हेतु संपादक आदरणीय प्रदीप दाश सर का हृदय से आभार प्रकट करती हूँ ।

        किसी यात्रा का वर्णन कम शब्दों में करते हुए, एक मनोरम दृश्य को हाइकु में प्रस्तुत करने की विधा हाइबुन, का यह अंक बहुत खूबसूरत है ।

~ शर्मिला चौहान


भाव की नदी

है मंजूषा किताब

गोता लगाएं ।


गुलाब जैसी 

मंजूषा की सुगंध

चहुं फैलाएं ।

~ सुनीता दीक्षित


बहुत ही शानदार अंक...

आ. प्रदीप सर साहित्य के लिये पूर्णतः समर्पित....

सभी रचनाकारों को खूब बधाई...

~ विद्या चौहान


अब आ गई

हाइबुन पुस्तक

खुशियां लिए

यात्राओं की स्मृतियां

खट्टी मीठी है

यादें संजोए हुए

लगती मानो

विशाल नभ पर

शब्द सितारे

हाइकुकारों ने ही

टाँक दिए हैं सारे ।।

~ प्रमोदिनी शर्मा

आगरा


प्रदीप जी नमस्कार,

अक्टूबर-दिसंबर का हाइबुन विशेषांकPdf पर पढ़ा, बहुत अच्छा लगा। एक-एक रचनाकार को इतना अच्छा योगदान देने के लिए बधाई

   मैंने अभी तक दक्षिण में रामेश्वरम, कन्याकुमारी, पूर्व में दार्जिलिंग, नेपाल

उत्तर में अटलटनल, सिस्सु, दारचा

पश्चिम में पूरा राजस्थान, द्वारका

मध्य में भोपाल आदि की अनेकों यात्राएं की हैं । ढेरों यादें व सुंदर स्मृतियाँ मन-मस्तिष्क में कुलबुला रही हैं, पर अफ़सोस ! मैं इस अनूठी कृति का हिस्सा न बन सकी । जिसका मुझे ताउम्र पछतावा रहेगा । शायद आगे कोई अवसर मिलेगा तो कोशिश करूंगी ।

शुभकामनाओं सहित ।

~ आशा ज्योति

गाजियाबाद


मेरी रचना सम्मिलित करने के लिए धन्यवाद ।

बधाई संपादक प्रदीप कुमार दाश 'दीपक ' जी को.. 

गगन- सिंधु से वसुंधरा,कश्मीर से कन्याकुमारी,पर्वतों से समंदर,वनों से रेत तक की यात्राएं एक ही पैकेज में! 'स्थिर-यायावरी'कहूँ तो अधिक सटीक लगेगा! एक स्थान से इतनी यात्राएँ कर लीं अनोखे वाहन पर बैठकर! वाहन का नाम है --हाइकु मंञ्जूषा 'हाइबुन- विशेषांक ' अक्तूबर- दिसम्बर 2023 ।

ऐसा वाहन जो स्थिर है किंतु यायावर भी!

संपादक प्रदीप कुमार दाश 'दीपक' जी को बधाई, जिन्होंने अनोखे वाहन की स्टीयरिंग सीट पर बैठकर यात्राएँ करवायीं---


यात्राएँ हुईं 

अनोखा है वाहन

आनंद-यात्रा ।

~ अर्चना यदु 'अनुपम'

रायपुर छत्तीसगढ़


     "हाइबुन" महीन मलमल सी नर्म कोमल मोरपंखिया ,उतने ही आत्मीय स्पर्श से संवारने वाली विधा है ।डाॅ मिथिलेश दीक्षित जी की प्रेरणा एवं प्रदीप कुमार दाशजी की अभिनव पहल सर्वथा स्तुत्य है।

51 हाइबुनकारों की अनुभूति का ऐश्वर्य "हाइकु मञ्जूषा "में देखा जा सकता है।  

         इसमें न केवल भारत के विभिन्न प्रदेशों के, वरन कनाडा एवं अरब देशों के हाइबुनकार भी अपने हस्ताक्षर दर्ज कर रहे हैं।

 डाॅ मिथिलेश दीक्षित द्वारा संपादित कृति"प्रकृति एवं हाइबुन" की समीक्षा भी एक आकर्षण है।

      मुखपृष्ठ दूरागत संगीत सा हृदय को आन्दोलित करता है ।

~ इन्दिरा किसलय


अनुपम और अभूतपूर्व विशेषांक ! बहुत सुन्दर कलेवर में हाइबुन की एक बहुत स्तरीय, उपयोगी और महत्वपूर्ण  प्रस्तुति !

   हाइकु मंजूषा के हाइबुन विशेषांक को अवश्य ही उपलब्ध कर लें । प्रतियाँ समाप्त हो जाती हैं । दोबारा छापना कठिन होता है ।

~ मिथिलेश दीक्षित


आदरणीय मान्यवर, 

     आज ही हाइकु मंजूषा का हाइबुन विशेषांक प्राप्त हुआ । बहुत सुन्दर  मुखपृष्ठ है ।आपकी मेहनत को सलाम करती हूँ ।आपने इतनी अच्छी सौगात  हम सब को दी है इसलिए आपकी आभारी हूँ ।

~ रूबी दास


   आद. प्रदीप कुमार दाश 'दीपक' जी  द्वारा प्रकाशित "हाइकु मंजूषा का अक्तूबर-दिसम्बर अंक आज प्राप्त हुआ । शानदार मुखपृष्ठ के साथ । कई मंजे हुए हाइबुन लेखकों की लेखनी से सजा हुआ । बहुत धन्यवाद, सर मुझे समय पर प्रेषित करने के लिए । साधुवाद एवम् शुभकामनाएँ ।

~ अमिता शाह 'अमी'


   बहुप्रतीक्षित, स्तरीय देश विदेश के रचनाकारों द्वारा सृजित हाइबुन विशेषांक, जिसे करीने से सजाया डॉ.मिथिलेश दीक्षित जी व प्रदीप कुमार दाश ''दीपक' जी ने । जिसमें ५१ हाइबुनकारों के हाइबुन संग्रहित हैं ।

          दीदी मिथिलेश दीक्षित जी व प्रदीप कुमार दाश 'दीपक' जी  कोटि-कोटि बधाइयां ।

~  डॉ. आनंद प्रकाश शाक्य


बहुत सुन्दर हाइबुन विशेषांक ।

प्रदीप दाश 'दीपक' जी के सम्पादन  में  निर्गत  हाइकु मंजूषा का बहुत ही उपयोगी और  इस विधा का प्रथम  विशेषांक ।

    प्रदीप जी की जितनी प्रशंसा  की जाये, कम ही होगी ।

~ मिथिलेश दीक्षित


   भाई प्रदीप कुमार दास जी की साहित्यिक साधना के परिणाम स्वरूप एक नई जापानी विधा हाइबुन शैली का विशेषांक हम सब साथियों को दीप पर्व पर एक नवीन काव्य पुष्प के रूप में प्राप्त हुआ, जिससे जीवन सुरभित मय हो उठा, भाई को असीम स्नेह सह मेरा आशीष । साधना मय जीवन में सदैव पग बढ़ते रहे मेरी शुभकामनाएं ।

~ देवेन्द्र नारायण दास


    सृजनरत छत्तीसगढ़ के भाई प्रदीप कुमार दाश दीपक द्वारा संपादित हाइकु मंजूषा संचयनिका अक्तूबर, नवंबर, दिसंबर 2023 हाइबुन विशेषांक आज ही प्राप्त हुआ । नितनूतन प्रयोगों के धनी रचनाकार ने मेरे मन वैशिष्ट्य में इतने कोहनूर भर दिए कि सब जुगुनू द्वारा विखेरित मन माणिक्य सा मेरे पुस्तकालय में दीपित हो रहे हैं । सभी रचनाकार बंधुओ को बधाई और मेरा भी हाइबुन 'भागतेपथ' प्रकाशित किया है आपका नैष्ठिक श्रम नमस्य है आपके सातत्व की शुभकामना ।

~ रामनिवास पंथी


हाइकु मंजूषा का हाइबुन विशेषांक  आ गया है । सभी से आग्रह है, हस्तगत करें । प्रतियाँ समाप्त हो गयीं, तो दोबारा प्रकाशित होना सम्भव नहीं  है । यह हिन्दी में हाइबुन पर पहला विशेषांक है, जिसे प्रदीप कुमार  दाश जी ने बहुत परिश्रम से सम्पादित  किया है ।

~ मिथिलेश दीक्षित


आदरणीय संपादक श्री प्रदीप कुमार दाश 'दीपक'  जी, 'हाइबुन विशेषांक' मिला, बहुत आभार । शायद, हिन्दी जगत ही नहीं, विश्व में किसी पत्रिका का यह पहला 'हाइबुन विशेषांक' होगा । अंक संग्रहणीय तो है ही, लेकिन जब जब फुर्सत मिले तब तब बार-बार पढ़ने लायक है । हाइकु जगत में आपका यह कार्य कोई भूल नहीं सकता । आपको तहे दिल से बधाई ।

~ तुकाराम पुंडलिक खिल्लारे


आदरणीय प्रदीप जी, हाइबुन विशेषांक प्राप्त हुआ । यह पत्रिका अपने आप में निराली है ऐसा लगा मानो सभी रचनाकारों ने अपनी यात्राओं के विभिन्न सुगंधियों वाले पुष्पों को सजा कर, एक विशाल गुलदस्ता भेजा है । आपकी पूरी टीम व सभी रचनाकार बधाई के पात्र हैं । 

धन्यवाद ।

~ प्रमोदिनी शर्मा


  आदरणीय मान्यवर, आज हाइकु मञ्जूषा मुझे प्राप्त हुई ।

अति सुंदर.. संग्रहणीय अंक मेरी रचना को पत्रिका में स्थान देने हेतु हार्दिक आभार ।

~ मनीष कुमार श्रीवास्तव

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