हाइकु मञ्जूषा (समसामयिक हाइकु संचयनिका)

卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ हाइकु मञ्जूषा (समसामयिक हाइकु संचयनिका) संचालक : प्रदीप कुमार दाश "दीपक" ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐

शुक्रवार, 12 अक्तूबर 2018

HINDI HAIKU & KANNAD TRANSLATION

हिन्दी हाइकु एवं कन्नड़ अनुवाद

✍🅿प्रदीप कुमार दाश "दीपक"


हिन्दी हाइकु
-------------

01.
संसार मौन
गूंगे का व्याकरण
पढेगा कौन?

02.
बह जाने दें
ये आँसू ही धोते हैं
मन के मैल ।

03.
चुप्पी क्रांति है
आवाज के विरुद्ध
एक आवाज ।

04.
आओ तोड़ने
रुढ़ियों का आकाश
लगा फैलने ।

05.
दुल्हा बना हूँ
और स्मृतियाँ मेरी
बनी दूल्हन ।

06.
झरी मोतियाँ
मुस्का रहा बादल
सावन आया ।

07.
बता दो तुम
शान्ति ढूँढ रहा हूँ
कहाँ मिलेगी ?

08.
पीड़ाएँ मेरी
भेद पाओगे नहीं
ये हैं अभेद्य ।

09.
संयम छंद
महके ज्यों संबंध
हुआ स्वच्छंद ।

10.
ज्ञान का सूर्य
अज्ञान का अंधेरा
करता दूर ।

11.
धूप की थाली
बादल मेहमान
सूरज रोटी ।

12.
सत्यता जहाँ
खुदा रहता वहाँ
ढूँढता कहाँ ?

13.
आदमी-पंक्ति
मन एक हाइकु
छंद-प्रकृति ।

14.
काँटे तो नहीं
चूभने लगे अब
कोमल फूल ।

15.
रखो आईना
आत्मकथा अपनी
फिर लिखना ।

16. शाश्वत सच
सिक्के के दो पहलू
जन्म व मृत्यु ।

17.
चोट लगी है
यकीनन भीतर
टीसता दर्द ।

18.
भूख से लड़ा
पर ताकतवर
वही निकला ।

19.
व्यवस्था साँचा
ढल न पाया उर
टूटने लगा ।

20.
दूर से फैला
रुढ़ियों का आकाश
कहाँ से तोड़ें ।

21.
घुटता दम
देश अशांत देख
टूटता मन ।

22.
हँसा अतीत
रुलाये वर्तमान
भविष्यत को ।

23.
उड़ती हाय
अभिलाषा की धूल
जलता उर ।

24.
मानव पीटा
मानवता की पीठ
छल्ली हो गयी ।

25.
आँसू छलके
हँसे, फिर पीड़ा के
गीत सुनाये ।

26.
मुस्कान रोए
ठिठौली कर रहे
आँसू मुझ पे ।

27.
काल यंत्र में
मानवता पिरती
गन्ने की भाँति ।

¤ प्रदीप कुमार दाश "दीपक"

कन्नड अनुवाद :

अनुवादक : डाॅ सुरेश पत्तार "सौरभ"


01)

जग मौनविदे
मानव व्याकरण (मातु)
केळुववरारु?

02)
हरियलि
ई कण्णीरु तोळेयुत्त
मनद मैलिगे।

03)
शांति ओंदु क्रांति
शब्दद विरुद्ध
ओंदु ध्वनि।

04)
मुरियोण
मुगिलगल हरडुत्तिरुव
मूढनंबिकेगळ।

05)
नानु वरनागिरुवे
नन्न नेनपुगळे
नन्नय वधु।

06)
सुरियुत्तिवे मुत्तु
नसुनगुत मोड
सुरियितु मळे।

07)
हॆळु नी
ना हुडुकुतिरुव शांति
सिगुवुदेल्लि?

08)
नन्न वॆदनेगळु
भेदिसलारेवॆनो
ई अभेध्य।

09)
संयम-छंदस्सु
सुगंध सुसितु संबंध
स्वच्छंददि।

10)
ज्ञानद रवि
अज्ञानद कत्तलु
माडुवुदु दूर।

11)
विसिल ताट्टे
मोड अथिति
सूर्यने रोट्टि।

12)
सत्यवेल्लिहुदो
अल्लि देवनिरुव
हुडुकुवे एल्लि?

13)
मनुष्य पद
मनस्सु पद्य
छंदस्सु प्रकृति।

14)
मुळ्ळल्ला
चुच्चुतिहुदु
कॊमल हू।

15)
कन्नडियन्निट्टु
निन्न आत्मकथेयन्नु
मत्तोम्मे बरे।

16)
चिर सत्य
नाण्यद एरडु मुख
जन्म-मरण।

17)
नोवागिदे
निजवागलू अंतरगदल्लि
चुच्चि नोवागुत्तिदे।

18)
हसिविनिंद होराडिद
आदरु शालि
अवनॆ आद।

19)
व्यवस्थेय पडियच्चलि
हृदय मूडदे
मुरियलारंभिसितु।

20)
विशालवागि हरडिदे
अंधविश्वासद आकाश
एल्लिंद तोलगिसलि।

21)
मन मरगुत्तिदे
देशद अशांति नोडि
मन कलकुत्तिदे।

22)
भूत नक्कितु
वर्तमान अळिसितु
भविषत्तन्नु।

23)
अय्यो! हरडुत्तिरुवुदु
आशागोपुरुद धूळु
सुडुतिहदु हृदय।

24)
मानवन ऎटु
मनुष्यत्वद बेन्नु
छिद्रवागिसि बिट्टितु।

25)
कंबनि मिडिदु
नक्केवु मत्ते नोविन
हाडु हॆळुत।

26)
मुगुळ्नगु मिडियितु
अवहास्य माडुतिहुदु
नन्न कंबनि ननगे ।

27)
काल कब्बिन यंत्रदलि
मानवते हिंडुत्तिदे
कब्बिन रसदंते ।

अनुवादक : डाॅ. सुरेश. जी. पत्तार "सौरभ"
कन्नड अनुवाद

೧. ಜಗ ಮೌನವಿದೆ
  ಮಾನವ ವ್ಯಾಕರಣ (ಮಾತು)
   ಕೇಳುವವರಾರು.

೨. ಹರಿಯಲಿ
   ಈ ಕಣ್ಣೀರು ತೊಳೆಯುತ್ತ
   ಮನದ ಮೈಲಿಗೆ.

೩. ಶಾಂತಿ ಒಂದು ಕ್ರಾಂತಿ
    ಶಬ್ದದ ವಿರುದ್ಧ
    ಒಂದು ಧ್ವನಿ.

೪.ಮುರಿಯೋಣ
   ಮುಗಿಲಗಲ ಹರಡುತ್ತಿರುವ
   ಮೂಢ ನಂಬಿಕೆಗಳ.

೫. ನಾನು ವರನಾಗಿರುವೆ
   ನನ್ನ ನೆನಪುಗಳೇ
   ನನ್ನಯ ವಧು.

೬.ಸುರುಯುತ್ತಿವೆ ಮುತ್ತು
   ನಸುನಗುತ ಮೋಡ
   ಸುರಿಯಿತು ಮಳೆ.

೭. ಹೇಳು ನೀ
   ನಾ ಹುಡುಕುತಿರುವ ಶಾಂತಿ
   ಸಿಗುವುದೆಲ್ಲಿ?

೮.ನನ್ನ ವೇದನೆಗಳು
    ಭೇದಿಸಲಾರೆವೇನು
   ಈ ಅಭೆಧ್ಯವ.

೯.ಸಂಯಮ - ಛಂದಸ್ಸು
   ಸುಗಂಧ ಸೂಸಿತಿ ಸುಗಂಧ
   ಸ್ವಚ್ಛಂದದಿ.

೧೦. ಜ್ಞಾನದ ರವಿ
    ಅಜ್ಞಾನದ ಕತ್ತಲು
   ಮಾಡುವುದು ದೂರ.

೧೧. ಬಿಸಿಲ ತಟ್ಟೆ
    ಮೊಡ ಅಥಿತಿ
    ಸೂರ್ಯನೆ ರೊಟ್ಟಿ.

೧೨.ಸತ್ಯವೆಲ್ಲಿಹುದೋ
    ಅಲ್ಲಿ ದೇವನಿರುವ
    ಹುಡುಕುವೆ ಎಲ್ಲಿ?

೧೩. ಮನುಷ್ಯ ಪದ
    ಮನಸ್ಸು ಪದ್ಯ
    ಛಂದಸ್ಸು ಪ್ರಕೃತಿ.

೧೪. ಮುಳ್ಳಲ್ಲಾ
   ಚುಚ್ಚುತಿಹುದು
   ಕೋಮಲ ಹೂ.

೧೫. ಕನ್ನಡಿಯನ್ನಿಟ್ಟು
    ನಿನ್ನ ಆತ್ಮಕಥೆಯನ್ನು
    ಮತ್ತೊಮ್ಮೆ ಬರೆ.

೧೬.ಚಿರ ಸತ್ಯ
    ನಾಣ್ಯದ ಎರಡು ಮುಖ
    ಜನನ-ಮರಣ.

೧೭.ನೋವಾಗಿದೆ
    ನಿಜವಾಗಲೂ ಅಂತರಂಗದಲ್ಲಿ
    ಚುಚ್ಚಿ ನೋವಾಗುತ್ತಿದೆ.

೧೮. ಹಸಿವಿನೊಂದಿಗೆ ಹೋರಾಡಿದ
      ಆದರೂ ಶಕ್ತಿಶಾಲಿ
     ಅವನೇ ಆದ.

೧೯.ವ್ಯವಸ್ಥೆಯ ಪಡಿಯಚ್ಚಲಿ
     ಹೃದಯ ಮೂಡದೆ
     ಮುರಿಯಲು ಆರಂಭಿಸಿತು.

೨೦.ವಿಶಾಲವಾಗಿ ಹರಡಿದೆ
     ಅಂಧವಿಶ್ವಾಸದ ಆಕಾಶ
     ಎಲ್ಲಿಂದ ತೊಲಗಿಸಲಿ.

೨೧. ಮನ ಮರಗುತ್ತಿದೆ
     ದೇಶದ ಅಶಾಂತಿ ನೋಡಿ
     ಮನ ಕಲಕುತ್ತಿದೆ.

೨೨. ಭೂತ ನಕ್ಕಿತು
     ವರ್ತಮಾನ ಅಳಿಸಿತು
     ಭವಿಷತ್ತನ್ನು.

೨೩. ಅಯ್ಯೋ! ಹರಡುತ್ತಿರುವುದು
     ಆಶಾಗೋಪುರದ ಧೂಳು
     ಸುಡುತಿಹುದು ಹೃದಯ.

೨೪. ಮಾನವನ ಏಟು
     ಮನುಷ್ಯತ್ವದ ಬೆನ್ನು
     ಛಿದ್ರವಾಗಿಸಿಬಿಟ್ಟಿತು.

೨೫. ಸುರಿಸಿ ಆನಂದ ಭಾಷ್ಪ
      ನಕ್ಕೆವು, ಮತ್ತೆ ನೋವಿನ
      ಹಾಡು ಹೇಳಿತು.

೨೭. ಮುಗುಳ್ನಗು ಮಿಡಿಯಿತು
      ಅಪಹಾಸ್ಯ ಮಾಡುತಿಹುದು
      ನನ್ನ ಕಂಬನಿ ನನಗೆ.

೨೭.ಕಾಲ ಕಬ್ಬಿನ ಯಂತ್ರದಲ್ಲಿ
       ಮಾನವತೆ ಹಿಂಡುತ್ತಿದೆ
        ಕಬ್ಬಿನ ರಸದಂತೆ.

अनुवादक : सुरेश. जी.पत्तार
परिचय : ----

नाम : डॉ. सुरेश जी पत्तार ' सौरभ'
जन्म :०४-०६-१९७९
शिक्षा : M.A.,B.Ed.,M.Phil.,P.hD.
प्रकाशित कृतियाँ :
'नागार्जुन के काव्व में शोषित वर्ग' लघु शोध प्रबंध
'कुंञ निनाद' साझा काव्य संकलन
कई पत्रिकाओं में आलेख, कविताएँ, कहानी प्रकाशित हैं।

व्यवसाय : हिन्दी अध्यापक

गुरुवार, 11 अक्तूबर 2018

HINDI HAIKU & KASHMIRI TRANSLATION

हिन्दी हाइकु एवं कश्मीरी अनुवाद


✍🅿प्रदीप कुमार दाश "दीपक"

हिन्दी हाइकु
----------------
01.
संसार मौन
गूंगे का व्याकरण
पढेगा कौन?

02.
बह जाने दें
ये आँसू ही धोते हैं
मन के मैल ।

03.
चुप्पी क्रांति है
आवाज के विरुद्ध
एक आवाज ।

04.
आओ तोड़ने
रुढ़ियों का आकाश
लगा फैलने ।

05.
दुल्हा बना हूँ
और स्मृतियाँ मेरी
बनी दूल्हन ।

06.
झरी मोतियाँ
मुस्का रहा बादल
सावन आया ।

07.
बता दो तुम
शान्ति ढूँढ रहा हूँ
कहाँ मिलेगी ?

08.
पीड़ाएँ मेरी
भेद पाओगे नहीं
ये हैं अभेद्य ।

09.
संयम छंद
महके ज्यों संबंध
हुआ स्वच्छंद ।

10.
ज्ञान का सूर्य
अज्ञान का अंधेरा
करता दूर ।

11.
धूप की थाली
बादल मेहमान
सूरज रोटी ।

12.
सत्यता जहाँ
खुदा रहता वहाँ
ढूँढता कहाँ ?

13.
आदमी-पंक्ति
मन एक हाइकु
छंद-प्रकृति ।

14.
काँटे तो नहीं
चूभने लगे अब
कोमल फूल ।

15.
रखो आईना
आत्मकथा अपनी
फिर लिखना ।

16. शाश्वत सच
सिक्के के दो पहलू
जन्म व मृत्यु ।

17.
चोट लगी है
यकीनन भीतर
टीसता दर्द ।

18.
भूख से लड़ा
पर ताकतवर
वही निकला ।

19.
व्यवस्था साँचा
ढल न पाया उर
टूटने लगा ।

20.
दूर से फैला
रुढ़ियों का आकाश
कहाँ से तोड़ें ।

21.
घुटता दम
देश अशांत देख
टूटता मन ।

22.
हँसा अतीत
रुलाये वर्तमान
भविष्यत को ।

23.
उड़ती हाय
अभिलाषा की धूल
जलता उर ।

24.
मानव पीटा
मानवता की पीठ
छल्ली हो गयी ।

25.
आँसू छलके
हँसे, फिर पीड़ा के
गीत सुनाये ।

26.
मुस्कान रोए
ठिठौली कर रहे
आँसू मुझ पे ।

27.
काल यंत्र में
मानवता पिरती
गन्ने की भाँति ।

✍🏻🅿प्रदीप कुमार दाश "दीपक"

कश्मीरी अनुवाद
अनुवादक : डॉ. रमेश निराश

01)
संसाय मौन
कअ्ल सुंद व्याकरण
परि कुस।

02)
लगिनस दार
यि ओशुय छु छलान
मनुक मल।

03)
छोपि् छि अनान क्रांति
आवाज़ि खलाफ
अख आवाज़।

04)
वलिव फुटरावव
रुढिवादी आकाश
लोगुन जाल वहरावुन ।

05)
महाराज़ छुस बनयोमुत
त् म्यानि स्मृति
महारेन बनित।

06)
मोखत् जरित
असान छि ओबरा
श्रावुन आव।

07)
च वन
शान्ती छुस छारान
कति् मेलि।

08)
म्योन दोद
जाह तरिय न फिकरि
यि छु अभेद्य ।

09)
पान् छंद महकान
जन संबंध
गव स्वच्छंद।

10)
ज्ञानुक आफताब
अज्ञानिच अंगटि
करान दूर।

11)
तापुक बाना
बादल पोछ छा
सिरी च़ोटा।

12)
पोज़ येति
भगवान ति छु
छाडान कति् ।

13)
इंसान वार्
मन अख हाइकु
छंद प्रकृति ।

14)
कंड् जन मा
त्रुस दिवान वयन
कोमल पौश ।

15)
थव अ ,नि
आत्मकथ पनिन
पति् लेख ।

16)
शाश्वत पोज़
सिकिक जि पहलू
ज्योन त मरुन ।

17)
दिल छु फुटमुत
यकीनन अंदर्
तडपान तवय ।

18)
बोछि सीत लडि
मगर ताकतवर
सुय द्राव ।

19)
व्ववस्थायि हुंद सांचि
हेकु न संबलिथ
लोग् फुटनि।

20)
दूरि पेठ फैलान
रुढिवादी आकाश
कति् फुटरावव ।    

21)
दम ज़न घुटान
वुछित मुल्क अशांत
फुटान मन ।

22)
असान पोतकाल
वदनावान वर्तमान
ब्रूठिम सूचित।

23)
वुडान छि वन
अभिलाषा धूल
दजान जिगर।

24)
इंसानन मारान वय्न
इंसानस छेपि छारि
लाह खचस।

25)
औश ददरायि
असुना कोर दद्
हतुन गवुन ।

26)
असुन वदान
मजाक करान
ओश म्य पेठ।

27)
काल् यंत्रस मंज
इंसान पिसान
गनिक पय्ठ।
---------●●●--------

कश्मीरी अनुवादक :---
□ डाॅ रमेश "निराश"

HINDI HAIKU & MALYALAM TRANSLATION

हिन्दी हाइकु एवं मलयालम अनुवाद


✍🅿प्रदीप कुमार दाश "दीपक"

हिन्दी हाइकु
----------------
01.
संसार मौन
गूंगे का व्याकरण
पढेगा कौन?

02.
बह जाने दें
ये आँसू ही धोते हैं
मन के मैल ।

03.
चुप्पी क्रांति है
आवाज के विरुद्ध
एक आवाज ।

04.
आओ तोड़ने
रुढ़ियों का आकाश
लगा फैलने ।

05.
दुल्हा बना हूँ
और स्मृतियाँ मेरी
बनी दूल्हन ।

06.
झरी मोतियाँ
मुस्का रहा बादल
सावन आया ।

07.
बता दो तुम
शान्ति ढूँढ रहा हूँ
कहाँ मिलेगी ?

08.
पीड़ाएँ मेरी
भेद पाओगे नहीं
ये हैं अभेद्य ।

09.
संयम छंद
महके ज्यों संबंध
हुआ स्वच्छंद ।

10.
ज्ञान का सूर्य
अज्ञान का अंधेरा
करता दूर ।

11.
धूप की थाली
बादल मेहमान
सूरज रोटी ।

12.
सत्यता जहाँ
खुदा रहता वहाँ
ढूँढता कहाँ ?

13.
आदमी-पंक्ति
मन एक हाइकु
छंद-प्रकृति ।

14.
काँटे तो नहीं
चूभने लगे अब
कोमल फूल ।

15.
रखो आईना
आत्मकथा अपनी
फिर लिखना ।

16. शाश्वत सच
सिक्के के दो पहलू
जन्म व मृत्यु ।

17.
चोट लगी है
यकीनन भीतर
टीसता दर्द ।

18.
भूख से लड़ा
पर ताकतवर
वही निकला ।

19.
व्यवस्था साँचा
ढल न पाया उर
टूटने लगा ।

20.
दूर से फैला
रुढ़ियों का आकाश
कहाँ से तोड़ें ।

21.
घुटता दम
देश अशांत देख
टूटता मन ।

22.
हँसा अतीत
रुलाये वर्तमान
भविष्यत को ।

23.
उड़ती हाय
अभिलाषा की धूल
जलता उर ।

24.
मानव पीटा
मानवता की पीठ
छल्ली हो गयी ।

25.
आँसू छलके
हँसे, फिर पीड़ा के
गीत सुनाये ।

26.
मुस्कान रोए
ठिठौली कर रहे
आँसू मुझ पे ।

27.
काल यंत्र में
मानवता पिरती
गन्ने की भाँति ।

✍🏻🅿प्रदीप कुमार दाश "दीपक"

मलयालम अनुवाद : ----
अनुवाद : श्रीमती एम राजेश्वरी
टायपिंग सहयोगी : रम्या. टी. के.

01)
ഊമയുടെ
വ്യാകരണം ആരു
വായിക്കും?

02)
പോയത് പോട്ടെ,
മനസിലെ മാലിന്യം
കഴുകുവാൻ ഈ കണ്ണുനീർ മാത്രം മതി.

03)
മൗനം കാന്തിയാണ്,
ശബ്ദത്തിനു പകരം
ഒരു ശബ്‍ദം

04)
മാമൂലുകളുടെ
ആകാശം പരന്നു തുടങ്ങി.
വരൂ അറുത്തുമുറിക്കുവാൻ

05)
ഞാൻ വരനും
ഓർമ്മകൾ എന്റെ
വധുവും

06)
മുത്തുകൾ പൊഴിച്ചു
മേഘം പുഞ്ചിരിക്കുന്നു.
ചിങ്ങം പിറന്നു

07)
ശാന്തി അന്വേക്ഷിക്കുന്നവനോട്
എവിടെ കിട്ടുമെന്ന്
പറഞ്ഞുകൊടുക്ക്.

08)
വേദനകൾക് എന്നെ
ദുഃഖിപ്പിക്കാൻ ആവില്ല.
അത് ഞാനായി തീർന്നിരിക്കുകയാണ്

09)
ബന്ധം സ്വച്ഛന്ദമാകുമ്പോൾ
സംയമസുഗന്ധം
നിറയും.

10)
ജ്ഞാന സൂര്യൻ
അജ്ഞാന അന്ധകാരത്തെ
അകറ്റും

11)
വെയിലാകുന്ന പിഞ്ഞാണത്തിൽ
മേഘമാകുന്ന അതിഥിക്ക്
സൂര്യനാകുന്ന റൊട്ടി

12)
സത്യമുള്ളിടത്
ഈശ്വരൻ വസിക്കുന്നു.
മറ്റെവിടെ തിരയണം

13)
മനുഷ്യൻ ഒരു വരി.
മനം ഒറ്റവരികവിത.
വൃത്തം പ്രകൃതി.

14)
മുള്ളല്ല,
പൂവും ഇപ്പോൾ
നോവിക്കാൻ തുടങ്ങി.

15)
കാലയന്ത്രത്തിൽ
കരിമ്പ് പോലെ മാനവത
കോർത്തിരിക്കുന്നു.

16)    
കണ്ണാടി താഴെ
വെയ്കു ആത്മകഥ
പിന്നീടെഴുതാം.

17)
ശാശ്വത സത്യം -
നാണയത്തിന്റെ രണ്ടു വശം -
ജന്മവും മൃത്യുവും

18)
തീർച്ചയായും  മുറിവേറ്റിട്ടുണ്ട്.
അകത്തു തീക്ഷ്ണമായ
വേദനയാണ്.

19)
വിശപ്പിനോട് മല്ലിട്ടു
പക്ഷെ
ബലവാൻ അവനായിരുന്നു.

20)
മൂശയിൽ നിയമം
വാർത്തെടുത്തപ്പോൾ  ശരീരം
ഉടഞ്ഞുപോയി.

21)
ദൂരം ദൂരം പരന്നു
കിടക്കുന്ന ആകാശം
എവിടെനിന്നെങ്കിലും മുറിക്കണം.

22)
വിങ്ങുന്ന മനസ്
നാടിന്റെ അശാന്തി കണ്ടു
തകർന്നുപോയി.

23)
പോയകാലം ചിരിച്ചു
വർത്തമാനം ഭാവിയെ
കരയിപ്പിച്ചു.

24)
ഉയർന്നുപൊങ്ങുന്ന
അഭിലാഷങ്ങളുടെ ധൂളി
ശരീരം പൊള്ളിക്കുന്നു.

25)
മനുഷ്യൻ അടിച്ചപ്പോൾ
മാനവതയുടെ പുറം
പൊളിഞ്ഞു.

26)
കണ്ണുനീർ തുളുമ്പി ചിരിച്ചു.
പിന്നെ ദുഃഖ
ഗാനം ആലപിച്ചു.

27)
പുഞ്ചിരി കരഞ്ഞു.
കണ്ണുനീർ എന്നെ
കളിയാകുകയായിരുന്നു.
--------------●●●--------------

अनुवाद : श्रीमती एम आर राजेश्वरी
मुद्रक परिचय : ----

नाम : रम्या.टी.के
जन्म : 26/05/1990
शिक्षा : एम.फिल. अनुवाद  विज्ञान
व्यवसाय : Assistant professor
पोस्टल पता : flat no.208/Tower A, Lake point Tower Apartment, opp.hosur road, begur lake bay,singasandra post , Bangalore, Karnataka, pin  560068

☆☆☆☆☆☆☆☆☆☆☆☆☆

HINDI HAIKU & GUJRATI TRANSLATION

हिन्दी हाइकु एवं गुजराती अनुवाद


✍🅿प्रदीप कुमार दाश "दीपक"

हिन्दी हाइकु
----------------
01.
संसार मौन
गूंगे का व्याकरण
पढेगा कौन?

02.
बह जाने दें
ये आँसू ही धोते हैं
मन के मैल ।

03.
चुप्पी क्रांति है
आवाज के विरुद्ध
एक आवाज ।

04.
आओ तोड़ने
रुढ़ियों का आकाश
लगा फैलने ।

05.
दुल्हा बना हूँ
और स्मृतियाँ मेरी
बनी दूल्हन ।

06.
झरी मोतियाँ
मुस्का रहा बादल
सावन आया ।

07.
बता दो तुम
शान्ति ढूँढ रहा हूँ
कहाँ मिलेगी ?

08.
पीड़ाएँ मेरी
भेद पाओगे नहीं
ये हैं अभेद्य ।

09.
संयम छंद
महके ज्यों संबंध
हुआ स्वच्छंद ।

10.
ज्ञान का सूर्य
अज्ञान का अंधेरा
करता दूर ।

11.
धूप की थाली
बादल मेहमान
सूरज रोटी ।

12.
सत्यता जहाँ
खुदा रहता वहाँ
ढूँढता कहाँ ?

13.
आदमी-पंक्ति
मन एक हाइकु
छंद-प्रकृति ।

14.
काँटे तो नहीं
चूभने लगे अब
कोमल फूल ।

15.
रखो आईना
आत्मकथा अपनी
फिर लिखना ।

16. शाश्वत सच
सिक्के के दो पहलू
जन्म व मृत्यु ।

17.
चोट लगी है
यकीनन भीतर
टीसता दर्द ।

18.
भूख से लड़ा
पर ताकतवर
वही निकला ।

19.
व्यवस्था साँचा
ढल न पाया उर
टूटने लगा ।

20.
दूर से फैला
रुढ़ियों का आकाश
कहाँ से तोड़ें ।

21.
घुटता दम
देश अशांत देख
टूटता मन ।

22.
हँसा अतीत
रुलाये वर्तमान
भविष्यत को ।

23.
उड़ती हाय
अभिलाषा की धूल
जलता उर ।

24.
मानव पीटा
मानवता की पीठ
छल्ली हो गयी ।

25.
आँसू छलके
हँसे, फिर पीड़ा के
गीत सुनाये ।

26.
मुस्कान रोए
ठिठौली कर रहे
आँसू मुझ पे ।

27.
काल यंत्र में
मानवता पिरती
गन्ने की भाँति ।

✍🏻🅿प्रदीप कुमार दाश "दीपक"

गुजराती अनुवाद : -----
अनुवादक -

□ श्रीमती अल्पा जीतेश तन्ना

1)
સંસાર મૌન
મૂંગા નું વ્યાકરણ
વાંચશે કોણ..?
2)
વહી જવા દ્યો
આ આંસુ જ ધોવે છે
મન નો મેલ
3)
મૌન ની ક્રાંતિ
અવાજ ની વિરુદ્ધ
એક અવાજ
4)
ચાલો તોડીએ
રૂઢિઓ નું આકાશ
વિસ્તરી રહ્યું
5)
વર બન્યો છું
અને સ્મૃતિઓ મારી
બની છે વધૂ
6)
ઝરતા મોતી
હસી રહ્યું વાદળ
આવ્યો શ્રાવણ
7)
કહી દ્યો તમે
શાંતિ શોધી રહ્યો છું
તે ક્યાં મળશે..?
8)
પીડાઓ મારી
ભેદી શકશો નહીં
તે છે અભેદ્ય
9)
સંયમ છંદ
સુગંધિત સંબંધ
થયાં સ્વચ્છંદ
10)
જ્ઞાન સૂરજ
અજ્ઞાન અંધકાર
કરે છે દૂર
11)
તાપ ની થાળી
વાદળ છે અતિથિ
સૂર્ય રોટલી
12)
સત્યતા છે જ્યાં
ઈશ્વર નિવાસ ત્યાં
શોધે છે તું ક્યાં..?
13)
માનવ- પંક્તિ
મન એક હાઈકુ
છંદ - પ્રકૃતિ
14)
કંટકો નહીં
ખૂઁચી રહ્યા છે હવે
નાજૂક ફૂલ
15)
જુઓ દર્પણ
આત્મકથા ખુદ ની
પછી લખવી
16)
શાશ્વત સત્ય
સિક્કા ની બે બાજુઓ
જન્મ - મરણ
17)
જખ્મી થયું છે
નક્કી કંઈ ભીતર
ચિત્કારે દર્દ
18)
ભૂખ થી લડ્યો
તો પણ શક્તિશાળી
તે જ નિકળ્યો
19)
વ્યવસ્થા ઢાંચો
ઉર ઢળી ન શક્યું
તૂટવા લાગ્યું
20)
ખૂબ વિસ્તર્યું
રૂઢિઓ નું આકાશ
ક્યાંથી તોડવું
21)
વ્યથિત મન
જોઈ અશાંત દેશ
ખંડિત મન
22)
અતીત હઁસે
વર્તમાન રડાવે
ભવિષ્ય ને તે
23)
હાય રે..ઉડી
અભિલાષા ની ધૂળ
બળતું ઉર
24)
માનવ પીટે
માનવતા ની પીઠે
સોળ ઉઠી ગ્યાં
25)
અશ્રુ છલકે
હઁસે , પછી પીડા નાં
ગીત સુણાવે
26)
ઉમંગ રડે
મશ્કરી કરી રહ્યાં
આઁસુઓ મારી
27)
કાળ ચિચોડે
માનવતા પિલાતી
શેરડી સમ

देवनागरी लिप्यंतरित गुजराती अनुवाद : -----

1)
संसार मौन
मूंगा नुं व्याकरण
वांचशे कोण..?
2)
वही जवा द्यो
आ आँसू ज धोवे छे
मन नो मेल
3)
मौन नी क्रांति
अवाज़ नी विरुद्ध
एक अवाज़
4)
चालो तोडीए
रूढ़िओं नुं आकाश
विस्तरी रह्युं
5)
वर बन्यो छुं
अने स्मृतिओं मारी
बनी छे वधू
6)
झरता मोती
हँसी रह्युं वादण
आव्यो श्रावण
7)
कही द्यो तमे
शांति शोधी रह्यो छुं
ते क्यां मणशे..?
8)
पिडाओं मारी
भेदी शकशो नहीं
ते छे अभेद्य
9)
संयम छंद
सुगंधित संबंध
थयां स्वच्छंद
10)
ज्ञान सूरज
अज्ञान अंधकार
करे छे दूर
11)
ताप नी थाणी
वादण छे अतिथि
सूर्य रोटली
12)
सत्यता छे ज्यां
ईश्वर निवास त्यां
शोधे छे तुं क्यां..?
13)
मानव - पंक्ति
मन एक हायकू
छंद - प्रकृति
14)
कंटको नहीं
खूँची रह्या छे हवे
नाजूक फूल
15)
जुओ दर्पण
आत्मकथा खुद नी
पछी लखवी
16)
शाश्वत सत्य
सिक्का नी बे बाजुओ
जन्म - मरण
17)
जख्मी थयुं छे
नक्की कंई भीतर
चित्कारे दर्द
18)
भूख थी लड्यो
तो पण शक्तिशाणी
ते ज निकण्यो
19)
व्यवस्था ढांचों
उर ढणी न शक्युं
तूटवा लाग्युं
20)
खूब विस्तर्युं
रूढ़िओ नुं आकाश
क्यांथी तोडवुं
21)
व्यथित मन
जोई अशांत देश
खंडित मन
22)
अतीत हँसे
वर्तमान रडावे
भविष्य ने ते
23)
हाय रे..उडी
अभिलाषा नी धूण
बणतुं उर
24)
मानव पिटे
मानवता नी पीठे
सोण उठी ग्यां
25)
अश्रु छलके
हँसे, पछी पीडा नां
गीत सुणावे
26)
उमंग रडे
मश्करी करी रह्यां
आँसुओं मारी
27)
काण चिचोडे
मानवता पिलाती
शेरडी सम
----------●●●-----------

गुजराती अनुवाद :-----
□ श्रीमती अल्पा जीतेश तन्ना

--------------●●●-------------

HINDI HAIKU & DOGRI TRANSLATION

हिन्दी हाइकु एवं डोगरी अनुवाद

✍🅿प्रदीप कुमार दाश "दीपक"

हिन्दी हाइकु
----------------
01.
संसार मौन
गूंगे का व्याकरण
पढेगा कौन?

02.
बह जाने दें
ये आँसू ही धोते हैं
मन के मैल ।

03.
चुप्पी क्रांति है
आवाज के विरुद्ध
एक आवाज ।

04.
आओ तोड़ने
रुढ़ियों का आकाश
लगा फैलने ।

05.
दुल्हा बना हूँ
और स्मृतियाँ मेरी
बनी दूल्हन ।

06.
झरी मोतियाँ
मुस्का रहा बादल
सावन आया ।

07.
बता दो तुम
शान्ति ढूँढ रहा हूँ
कहाँ मिलेगी ?

08.
पीड़ाएँ मेरी
भेद पाओगे नहीं
ये हैं अभेद्य ।

09.
संयम छंद
महके ज्यों संबंध
हुआ स्वच्छंद ।

10.
ज्ञान का सूर्य
अज्ञान का अंधेरा
करता दूर ।

11.
धूप की थाली
बादल मेहमान
सूरज रोटी ।

12.
सत्यता जहाँ
खुदा रहता वहाँ
ढूँढता कहाँ ?

13.
आदमी-पंक्ति
मन एक हाइकु
छंद-प्रकृति ।

14.
काँटे तो नहीं
चूभने लगे अब
कोमल फूल ।

15.
रखो आईना
आत्मकथा अपनी
फिर लिखना ।

16. शाश्वत सच
सिक्के के दो पहलू
जन्म व मृत्यु ।

17.
चोट लगी है
यकीनन भीतर
टीसता दर्द ।

18.
भूख से लड़ा
पर ताकतवर
वही निकला ।

19.
व्यवस्था साँचा
ढल न पाया उर
टूटने लगा ।

20.
दूर से फैला
रुढ़ियों का आकाश
कहाँ से तोड़ें ।

21.
घुटता दम
देश अशांत देख
टूटता मन ।

22.
हँसा अतीत
रुलाये वर्तमान
भविष्यत को ।

23.
उड़ती हाय
अभिलाषा की धूल
जलता उर ।

24.
मानव पीटा
मानवता की पीठ
छल्ली हो गयी ।

25.
आँसू छलके
हँसे, फिर पीड़ा के
गीत सुनाये ।

26.
मुस्कान रोए
ठिठौली कर रहे
आँसू मुझ पे ।

27.
काल यंत्र में
मानवता पिरती
गन्ने की भाँति ।

✍🏻🅿प्रदीप कुमार दाश "दीपक"

डोगरी अनुवादक : -----
अजीत पाल शर्मा

1
संसार मौन
गूंगे दा व्याकरण्
पड़ग् कुन

2
बगी जान दे
अत्थरू गै तो्दें न
मनै दे मैल

3
चुप्पी क्रातिं ऐ
अबाजै दे खलाफ
इक अबाज्

4
आबो तोडन्
रूढियें दा गाह्श
लग्गा् फैलन

5
लाडा् बनेआं मै
ते यादगिरिआं जो
मेरी लाह्डी्

6
झडी मोतीयें
ह्सदा बद्दलु दिक्ख
सौह्न आया ऐ

7
दस्सी दे तूं
शांति  लब्बै करना
कुत्थै मिलग्

8
पीडा्ं मेरीआं
भेद पाई नी सकै्ं
ऐ न अभेद्ध

9
संजम छंद
महकै  जीं सरबंध
होआ स्वछंद

10
ज्ञान दा सूरज
अज्ञान दा नेहरा
करदा दूर

11
धुप्पै दी थाली
बद्दलु परौणा् जो
सूरज रूट्टी

12
सच्चाई ऐ जुत्थै
खुदा बसदा ऊत्थै
लब्बाना कुत्थै

13
माह्नु कतार
मन इक हाइकु
छंद प्रकिृति

14
कंड्डे ते नेई
चुब्बन लगीपे
कोमल फुल्ल

15
रक्ख शीशा
अात्म कथा अपनी
फिर लिखेआं

16
शाश्वत सच्च
सिक्के दे दौं पहलु
जनम ते मौत

17
चोट लग्गी ऐ
यकीनन अंदर
तुखदा दर्द

18
भुक्खा ने लडेआ
पर ताकतवर
ऊयै निकलेआ

19
व्यबसता सांचा              
ढली नी पाया उर
टुटन लग्गा

20
दूरा दा फैलेआ
रूढीयें दा गाह्श
कुतुथुं तौडचै

21
घुटदा मन
देश अशांत दिक्ख
टुटदा मन

22
ऊडदी हाय
अभिलाषा दी धूल
जलदा उर

23
हस्से अतीत
रलादां वर्तमान
भविखय्त गी

24
अत्थरू बगे
हस्सीपे फी पीडें दे
गीत सनांदे

25
मुसकान रोदीं
टेटीआं करादे न
अत्थरू मिगी

26
कालजैंत्र च
मानबता पडोदीं
गन्ने दी चाली्

27
माह्नु पिटेआ
मानवता दी पिट्ठ
छलनी होई

------●●●-----

अजीत पाल शर्मा (डोगरी)
शहजादपुर , रामगड़, जिला सांबा

जम्मु व कश्मीर

HINDI HAIKU & ENGLISH TRANSLATION

हिन्दी हाइकु एवं अंग्रेजी अनुवाद

✍🅿प्रदीप कुमार दाश "दीपक"

हिन्दी हाइकु
----------------
01.
संसार मौन
गूंगे का व्याकरण
पढेगा कौन?

02.
बह जाने दें
ये आँसू ही धोते हैं
मन के मैल ।

03.
चुप्पी क्रांति है
आवाज के विरुद्ध
एक आवाज ।

04.
आओ तोड़ने
रुढ़ियों का आकाश
लगा फैलने ।

05.
दुल्हा बना हूँ
और स्मृतियाँ मेरी
बनी दूल्हन ।

06.
झरी मोतियाँ
मुस्का रहा बादल
सावन आया ।

07.
बता दो तुम
शान्ति ढूँढ रहा हूँ
कहाँ मिलेगी ?

08.
पीड़ाएँ मेरी
भेद पाओगे नहीं
ये हैं अभेद्य ।

09.
संयम छंद
महके ज्यों संबंध
हुआ स्वच्छंद ।

10.
ज्ञान का सूर्य
अज्ञान का अंधेरा
करता दूर ।

11.
धूप की थाली
बादल मेहमान
सूरज रोटी ।

12.
सत्यता जहाँ
खुदा रहता वहाँ
ढूँढता कहाँ ?

13.
आदमी-पंक्ति
मन एक हाइकु
छंद-प्रकृति ।

14.
काँटे तो नहीं
चूभने लगे अब
कोमल फूल ।

15.
रखो आईना
आत्मकथा अपनी
फिर लिखना ।

16. शाश्वत सच
सिक्के के दो पहलू
जन्म व मृत्यु ।

17.
चोट लगी है
यकीनन भीतर
टीसता दर्द ।

18.
भूख से लड़ा
पर ताकतवर
वही निकला ।

19.
व्यवस्था साँचा
ढल न पाया उर
टूटने लगा ।

20.
दूर से फैला
रुढ़ियों का आकाश
कहाँ से तोड़ें ।

21.
घुटता दम
देश अशांत देख
टूटता मन ।

22.
हँसा अतीत
रुलाये वर्तमान
भविष्यत को ।

23.
उड़ती हाय
अभिलाषा की धूल
जलता उर ।

24.
मानव पीटा
मानवता की पीठ
छल्ली हो गयी ।

25.
आँसू छलके
हँसे, फिर पीड़ा के
गीत सुनाये ।

26.
मुस्कान रोए
ठिठौली कर रहे
आँसू मुझ पे ।

27.
काल यंत्र में
मानवता पिरती
गन्ने की भाँति ।

✍🏻🅿प्रदीप कुमार दाश "दीपक"

English translation : -----
Translater : URMILA KOUL

01)
Ecstasy of world
Grammar of dum
Who will read ?

02)
Let'em flow away
Only tears flush out
lnner dirt .

03)
In silence
Brews revolution - A VOICE
Against voice .

04)
Come -n- Break
Spreading sky of
Mal-practice .

05)
I - a Bridegroom
& my Memories are
My Bride .

06)
Pearls shower
Cloud's smiling
Sawan set's-in .

07)
Please tell me
Where to get PEACE
l'm looking for .

08)
You can't stab
My pains-n-pangs
They're tough to pierce .

09)
Self control
A song - fragment relation
- Unrestrained .

10)
Knowledge - a sun
Swabs off the Darkness
Of Ignorance .

11)
A plate of light
Clouds guest
Sun - a chapati .

12)
God abides there
Where Truth resides
Where to search ?

13)
Man - in queue
Heart - a Haiku
Nature - a Song .

14)
Not Thorns
Even Silky flowers
Now prick .

15)
Like Sugarcane
Humanity is crushed
In time - Machine .

16)
Keep aside Mirror
Then write thy
Autobiography .

17)
Eternal Truth
Two sides of a coin
Birth - n - Death .

18)
Sure - injury
on heart - n - mind
Sharp pain .

19)
Fought against
Hunger, it proved more
Powerful.

20)
The system
couldn't be moulded
A heart-break.

21)
Mal practices
Horizon - touching
Where is strike?

22)
Suffocation -
My turbulant Country
Heart - ache.

23)
Past smiles
Present makes the Future
Weep - n - cry.

24)
Ah, there
Blow Desire's ashes
Heart - Burn.

25)
Man Whipped
Humanity - back
To Shreds.

26)
Over flowed
Tears smiled, then
Sang laments.

27)
Smiles sobbed
Tears are joking
With me.

Translater :

URMILA KOUL

HINDI HAIKU & BANGLA TRANSLATION

हिन्दी हाइकु एवं बंगला अनुवाद

✍🅿प्रदीप कुमार दाश "दीपक"

हिन्दी हाइकु
----------------
01.
संसार मौन
गूंगे का व्याकरण
पढेगा कौन?

02.
बह जाने दें
ये आँसू ही धोते हैं
मन के मैल ।

03.
चुप्पी क्रांति है
आवाज के विरुद्ध
एक आवाज ।

04.
आओ तोड़ने
रुढ़ियों का आकाश
लगा फैलने ।

05.
दुल्हा बना हूँ
और स्मृतियाँ मेरी
बनी दूल्हन ।

06.
झरी मोतियाँ
मुस्का रहा बादल
सावन आया ।

07.
बता दो तुम
शान्ति ढूँढ रहा हूँ
कहाँ मिलेगी ?

08.
पीड़ाएँ मेरी
भेद पाओगे नहीं
ये हैं अभेद्य ।

09.
संयम छंद
महके ज्यों संबंध
हुआ स्वच्छंद ।

10.
ज्ञान का सूर्य
अज्ञान का अंधेरा
करता दूर ।

11.
धूप की थाली
बादल मेहमान
सूरज रोटी ।

12.
सत्यता जहाँ
खुदा रहता वहाँ
ढूँढता कहाँ ?

13.
आदमी-पंक्ति
मन एक हाइकु
छंद-प्रकृति ।

14.
काँटे तो नहीं
चूभने लगे अब
कोमल फूल ।

15.
रखो आईना
आत्मकथा अपनी
फिर लिखना ।

16. शाश्वत सच
सिक्के के दो पहलू
जन्म व मृत्यु ।

17.
चोट लगी है
यकीनन भीतर
टीसता दर्द ।

18.
भूख से लड़ा
पर ताकतवर
वही निकला ।

19.
व्यवस्था साँचा
ढल न पाया उर
टूटने लगा ।

20.
दूर से फैला
रुढ़ियों का आकाश
कहाँ से तोड़ें ।

21.
घुटता दम
देश अशांत देख
टूटता मन ।

22.
हँसा अतीत
रुलाये वर्तमान
भविष्यत को ।

23.
उड़ती हाय
अभिलाषा की धूल
जलता उर ।

24.
मानव पीटा
मानवता की पीठ
छल्ली हो गयी ।

25.
आँसू छलके
हँसे, फिर पीड़ा के
गीत सुनाये ।

26.
मुस्कान रोए
ठिठौली कर रहे
आँसू मुझ पे ।

27.
काल यंत्र में
मानवता पिरती
गन्ने की भाँति ।

✍🏻🅿प्रदीप कुमार दाश "दीपक"

बंगला अनुवादक : ------
सुनील कुमार दे
বাংলা অনুবাদ : ----

01)
সংসার ণৌব
মূকের ব্যকরণ
কে পঢবে ?

02)
ও গেতে দাংব
এই অশ্রুঈ ধূযে দেয
মনের মলিনতা ।

03)
নীরব সংগ্রাম
হলো আবাজের বিরুদ্ধে
এক আবাজ ।

04)
ভাংগতে ঐসো
অন্ধবিশ্বাসের আকাশ
বিস্ত্রৃত হলো ।

05)
বর সেজেছি আমি
আর স্মৃতি আমার
সেজেছি কনে ।

06)
মোতি ঝরলো
বাদল হাঁসলো
শ্রাবণ এলো ।

07)
বলেদাও তুমি
শান্তি খুঁজছি
কোথায পোবো ?

08)
পীড়াতে আমার
গভীরতা পাবেনা
কারণ তা অভেদ্য ।

09)
সংযম ছন্দ
ছডাযে জেমন্ত সম্বন্ধ
হোলো স্বচ্ছেন্দ ।

10)
জ্ঞানের সূর
অজ্ঞানতায় অন্ধকার
করে দূর ।

11)
রৌদ্রের থালা
বাদল অতিথি
সূর্য রূটি ।

12)
সত্যতা জেখানে
খোদা থাকে সেখানে
খোজো কোথায ?

13)
মানুষ পংক্তি
মন এক হাইকূ
ছন্দ প্রকৃতি ।

14)
কান্টা তো নয
চুম্বন করছে
কোমল ফূল ।

15)
কালচক্রে
মানবতা পিষন্ত
আখের মতো ।

16)
আইনা রখো
নিজের আত্মকথা
আবার লিখো ।

17)
এটা চিরন্তন
সত্য জে জন্ম-মৃত্যু
টাকার এপিঠ ওপিঠ ।

18)
আঘাত লেগেছে
বিশ্বাসের ভেতরে
কশ্ট ঢুকছে ।

19)
খিদের সাথে লডাঈ
কিন্তু শক্তিশালী
সেঈ হোলো ।

20)
ব্যবস্থা ভিত্তি
ঢলে পডলো না হ্রুদয
ভাংগতে লাগলো ।

21)
দৃরথে কে প্রসারিত
অন্ধবিশ্বাসর আকাশ
ভাঙ্গি কেমনে ?

22)
ব্যথিত মন
দেশে অশান্তি দেখে
মন ভাঙ্গখে ।

23)
অতীত হাঁসলো
বর্তমান কান্দায
ভবিষ্যতকে ।

24)
হায উডছে
অভিলাষের ধূলি
জলে হ্রুদয ।

25)
মানুষ মারে
মানবতার পীঠে
ছাল পডে ।

26)
অশ্রু ছলছল করে
হাসে আবার ব্যথায়
গান সোনায ।

27)
মুচকি হাসি কান্দে
বিদ্রূপ করে
অস্রু আমাকে ।

अनुवादक :

□ सुनील कुमार दे

□ সুনীল কুমার দে

HINDI HAIKU & NEPALI TRANSLATION

हिन्दी हाइकु एवं नेपाली अनुवाद


✍🅿प्रदीप कुमार दाश "दीपक"

हिन्दी हाइकु
----------------
01.
संसार मौन
गूंगे का व्याकरण
पढेगा कौन?

02.
बह जाने दें
ये आँसू ही धोते हैं
मन के मैल ।

03.
चुप्पी क्रांति है
आवाज के विरुद्ध
एक आवाज ।

04.
आओ तोड़ने
रुढ़ियों का आकाश
लगा फैलने ।

05.
दुल्हा बना हूँ
और स्मृतियाँ मेरी
बनी दूल्हन ।

06.
झरी मोतियाँ
मुस्का रहा बादल
सावन आया ।

07.
बता दो तुम
शान्ति ढूँढ रहा हूँ
कहाँ मिलेगी ?

08.
पीड़ाएँ मेरी
भेद पाओगे नहीं
ये हैं अभेद्य ।

09.
संयम छंद
महके ज्यों संबंध
हुआ स्वच्छंद ।

10.
ज्ञान का सूर्य
अज्ञान का अंधेरा
करता दूर ।

11.
धूप की थाली
बादल मेहमान
सूरज रोटी ।

12.
सत्यता जहाँ
खुदा रहता वहाँ
ढूँढता कहाँ ?

13.
आदमी-पंक्ति
मन एक हाइकु
छंद-प्रकृति ।

14.
काँटे तो नहीं
चूभने लगे अब
कोमल फूल ।

15.
रखो आईना
आत्मकथा अपनी
फिर लिखना ।

16. शाश्वत सच
सिक्के के दो पहलू
जन्म व मृत्यु ।

17.
चोट लगी है
यकीनन भीतर
टीसता दर्द ।

18.
भूख से लड़ा
पर ताकतवर
वही निकला ।

19.
व्यवस्था साँचा
ढल न पाया उर
टूटने लगा ।

20.
दूर से फैला
रुढ़ियों का आकाश
कहाँ से तोड़ें ।

21.
घुटता दम
देश अशांत देख
टूटता मन ।

22.
हँसा अतीत
रुलाये वर्तमान
भविष्यत को ।

23.
उड़ती हाय
अभिलाषा की धूल
जलता उर ।

24.
मानव पीटा
मानवता की पीठ
छल्ली हो गयी ।

25.
आँसू छलके
हँसे, फिर पीड़ा के
गीत सुनाये ।

26.
मुस्कान रोए
ठिठौली कर रहे
आँसू मुझ पे ।

27.
काल यंत्र में
मानवता पिरती
गन्ने की भाँति ।

✍प्रदीप कुमार दाश "दीपक"


नेपाली भाषानुवाद :-----
अनुवादक :----
✍मजीद मियाँ नेपाली

1)
संसार मौन छ
गूंगा को व्याकरण
पढ़ने छ को ?

2)
बगनु देउ
यो आंसू ले त धुन्छ
मन को मैल

3)
चुप्प क्रांति छ
आवाज को विरोध मा
एक आवाज

4)
आउ तोड़ी देऊ
रूढ़ि को आकाश
फैलिनु लाग्यौ

5)
बेउला भएको छु
अनि समझना मेरो
बन्यो बेऊलि

6)
झड़ी मोती हरू
मुसुक्य भयो बादल
सावन आयो

7)
भनी देउ तिमि
शांति खौज्दै छु
कहाँ पाइनछ

8)
पीड़ाहरू मेरो
भेदनु पाउन्दै नौ
यो छ अभेद

9)
संयम को छंद
गमकाउन्दैछ ज्यों संबंध
भयो स्वच्छंद

10)
ज्ञान को सूर्य
अज्ञान को अंधेरो
करदाछ दूर

11)
धूप को थाली
बादल मेहमान
सूरज ओढ़ी

12)
सत्य जहां
खुदा बस्छ त्यहाँ
खोजद छऊ कहाँ

13)
मान्छे पंछी
मन एक हाईकु
छंद प्रकृति

14)
काँटा त छैंन
बिरहनु लाग्यो अब
कोमल फूल

15)
राख आईना
आत्म कथा आक्नु
फेरी लेखनु

16)
शाश्वत साँच
सिक्का को दुई पहलु
जन्म र मृत्यु

17)
चोट लागेको छ
साच्चैने भीतर
टीस छ व्यथा

18)
भोख सित लड़े
तर बलशाली
त्यों नै निस्क्यो

19)
व्यवस्था सांचों
ढल्णु न पायो मुटु
टुटणु लाग्यो

20)
ताढो मा फैलिएको
रूढ़ि को आकाश
कहाँ बटा तोरणु

21)
छूटदई छ मन
देश अशांत देखि
टुटद छ मन

22)
हांसदा छ अतीत
रुलायो वर्तमान
भविष्य लाई

23)
उरैको हाय
अभिलाषा को धूल
जलैको मुटु

24)
मानव पिट्यो
मानवता को पीठ
छल्ली नै भयो

25)
आँसू छ्ल्क्यौ
हास्यो, फेरि पीड़ा को
गीत सुनायो

26)
मुस्कान काद्यो
ठीठौलो गरीरहे छ
आँसू मलाई

27)
काल यंत्र मा
मानवता पिरौयौ
उख को जस्तो.

----●●●----

नेपाली भाषानुवाद
अनुवादक :

नाम - डॉ. मो. मजीद मियाँ
जन्म- 04/01/1980
प्रकाशित कृतियाँ - चार पुस्तक एवं कई पुस्तकों मे साझेदारी साथ ही बहुत सारे रिसर्च पेपर
व्यवसाय - सहायक प्राचार्य  (पश्चिम बंगाल)

HINDI HAIKU & URDU TRANSLATION

हिन्दी हाइकु एवं उर्दू अनुवाद

✍🅿प्रदीप कुमार दाश "दीपक"

हिन्दी हाइकु
----------------
01.
संसार मौन
गूंगे का व्याकरण
पढेगा कौन?

02.
बह जाने दें
ये आँसू ही धोते हैं
मन के मैल ।

03.
चुप्पी क्रांति है
आवाज के विरुद्ध
एक आवाज ।

04.
आओ तोड़ने
रुढ़ियों का आकाश
लगा फैलने ।

05.
दुल्हा बना हूँ
और स्मृतियाँ मेरी
बनी दूल्हन ।

06.
झरी मोतियाँ
मुस्का रहा बादल
सावन आया ।

07.
बता दो तुम
शान्ति ढूँढ रहा हूँ
कहाँ मिलेगी ?

08.
पीड़ाएँ मेरी
भेद पाओगे नहीं
ये हैं अभेद्य ।

09.
संयम छंद
महके ज्यों संबंध
हुआ स्वच्छंद ।

10.
ज्ञान का सूर्य
अज्ञान का अंधेरा
करता दूर ।

11.
धूप की थाली
बादल मेहमान
सूरज रोटी ।

12.
सत्यता जहाँ
खुदा रहता वहाँ
ढूँढता कहाँ ?

13.
आदमी-पंक्ति
मन एक हाइकु
छंद-प्रकृति ।

14.
काँटे तो नहीं
चूभने लगे अब
कोमल फूल ।

15.
रखो आईना
आत्मकथा अपनी
फिर लिखना ।

16. शाश्वत सच
सिक्के के दो पहलू
जन्म व मृत्यु ।

17.
चोट लगी है
यकीनन भीतर
टीसता दर्द ।

18.
भूख से लड़ा
पर ताकतवर
वही निकला ।

19.
व्यवस्था साँचा
ढल न पाया उर
टूटने लगा ।

20.
दूर से फैला
रुढ़ियों का आकाश
कहाँ से तोड़ें ।

21.
घुटता दम
देश अशांत देख
टूटता मन ।

22.
हँसा अतीत
रुलाये वर्तमान
भविष्यत को ।

23.
उड़ती हाय
अभिलाषा की धूल
जलता उर ।

24.
मानव पीटा
मानवता की पीठ
छल्ली हो गयी ।

25.
आँसू छलके
हँसे, फिर पीड़ा के
गीत सुनाये ।

26.
मुस्कान रोए
ठिठौली कर रहे
आँसू मुझ पे ।

27.
काल यंत्र में
मानवता पिरती
गन्ने की भाँति ।

✍🏻🅿प्रदीप कुमार दाश "दीपक"

उर्दू अनुवाद :
अनुवादक : डाॅ मनाज़िर आशिक़ हरगानवी

۱
دنیا خاموش ہے
گونگے قاعدہ
پڑےگا کون؟

۲
بہ جانے دیں
آنسو ہی دھوتے ہیں
من کی غبازت

۳
خاموشی کرانتی ہی
آواز کے خلاف
ایک آواز

۴
آؤ توڑنے
رشیوں کا آکاش
لگا پھیلنے

۵
دولہا بنا ہوں
اور یاد میری
دلہن بنی ہی

۶
جہادی موتیوں
مسکراتا بادل
ساون آیا

۷
بتا دو تم
شانتی ڈھونڈھ رہا ہوں
کہیں ملےگی؟

۸
درد میرا
ستاروں کا مطالعہ
نکابتے برداشت

۹
تقویٰ کی خواہش
مہک گئے رشتے
متلکلانان

۱۰
علم  دیوتا
جہالت  اندھیرا
کرتا ہے دور

۱۱
دھوپ کی بحالی
بادل مہمان بنا
سورج روٹی

۱۲
صداقت جہاں
خدا ہی وہاں
ڈھونڈو مت

۱۳
آدمی-قطار
من ایک جالم
نظم فطرت

۱۴
کانٹے تو نہیں
چبھنے لگے اب
کومل پھول

۱۵
امتِ داد زمانہ
انسانیت کراہت ہے
گننے کی طرح

۱۶
رکھو آئینہ
آپ بیتی اپنی
فر لکھنا

۱۷
ابدی سچ
سکے  دو پہلو
زندگی اور موت

۱۸
چھوٹ لگی
یکینن اندر
تیسری درد

۱۹
بھوک سے لدا
مگر طاقت ار
وہی نکلا

۲۰
نظام  ڈھانچہ
ڈھل ن پایا
ار ٹوٹنے لگا

۲۱
دور تک پھیلا
روایت آکاش
خان سے توڑیں

۲۲
گھٹتا دم
بیسکنی دیکھ
ٹوٹتا من

۲۳
ہنسا ماضی
رُلائے حال
مستقبل کو

۲۴
اُڑاتے ہای
چاہت کے ڈھول
جلاتے اُر

۲۵
انسان پیتا
انسانیت کی پیٹھ
چھلی ہو گئی
۲۶

آنسو چھلکے
ہنسی، فر درد کے
گیت سنائے

۲۷
مسکان روی
ٹھٹھاولی کرتے
آنسو  ہم پی

अनुवादक : डाॅ. मनाज़िर आशिक़ हरगानवी
शिक्षा : एम.ए. (द्वय), पी.एच.डी.
प्रोफेसर : स्नातकोत्तर  (उर्दू विभाग)
भागलपुर (बिहार)

उर्दू टंकण सहयोगी : -----
परिचय : ----
नाम : जयंत पटेल
जन्म : 11/06/1992
शिक्षा : बी. कॉम.
व्यवसाय : नौकरी

रायगढ़ (छत्तीसगढ़)

HINDI HAIKU & PUNJABI TRANSLATION (TRANSLATION BY URILA KOUL)

हिन्दी हाइकु एवं पंजाबी अनुवाद

✍🅿प्रदीप कुमार दाश "दीपक"


हिन्दी हाइकु
----------------
01.
संसार मौन
गूंगे का व्याकरण
पढेगा कौन?

02.
बह जाने दें
ये आँसू ही धोते हैं
मन के मैल ।

03.
चुप्पी क्रांति है
आवाज के विरुद्ध
एक आवाज ।

04.
आओ तोड़ने
रुढ़ियों का आकाश
लगा फैलने ।

05.
दुल्हा बना हूँ
और स्मृतियाँ मेरी
बनी दूल्हन ।

06.
झरी मोतियाँ
मुस्का रहा बादल
सावन आया ।

07.
बता दो तुम
शान्ति ढूँढ रहा हूँ
कहाँ मिलेगी ?

08.
पीड़ाएँ मेरी
भेद पाओगे नहीं
ये हैं अभेद्य ।

09.
संयम छंद
महके ज्यों संबंध
हुआ स्वच्छंद ।

10.
ज्ञान का सूर्य
अज्ञान का अंधेरा
करता दूर ।

11.
धूप की थाली
बादल मेहमान
सूरज रोटी ।

12.
सत्यता जहाँ
खुदा रहता वहाँ
ढूँढता कहाँ ?

13.
आदमी-पंक्ति
मन एक हाइकु
छंद-प्रकृति ।

14.
काँटे तो नहीं
चूभने लगे अब
कोमल फूल ।

15.
रखो आईना
आत्मकथा अपनी
फिर लिखना ।

16. शाश्वत सच
सिक्के के दो पहलू
जन्म व मृत्यु ।

17.
चोट लगी है
यकीनन भीतर
टीसता दर्द ।

18.
भूख से लड़ा
पर ताकतवर
वही निकला ।

19.
व्यवस्था साँचा
ढल न पाया उर
टूटने लगा ।

20.
दूर से फैला
रुढ़ियों का आकाश
कहाँ से तोड़ें ।

21.
घुटता दम
देश अशांत देख
टूटता मन ।

22.
हँसा अतीत
रुलाये वर्तमान
भविष्यत को ।

23.
उड़ती हाय
अभिलाषा की धूल
जलता उर ।

24.
मानव पीटा
मानवता की पीठ
छल्ली हो गयी ।

25.
आँसू छलके
हँसे, फिर पीड़ा के
गीत सुनाये ।

26.
मुस्कान रोए
ठिठौली कर रहे
आँसू मुझ पे ।

27.
काल यंत्र में
मानवता पिरती
गन्ने की भाँति ।

✍🏻🅿प्रदीप कुमार दाश "दीपक"

पंजाबी अनुवाद
अनुवादक : ----
उर्मिला कौल

01)
ਸੰਸਾਰ ਮੌਜ
ਗੂੰਗੇ ਦਾ ਵਯਾਕਰਣ
ਪੜੇਗਾ ਕੌਣ
-----------
02)
ਵਗ ਜਾਣਦੇ
ਅਥਰੂ ਈ ਧੋੰਦੇ ਨੇ
ਮਨ ਦਾ ਮੈਲ
-----------
03)
ਚੁਪ ਕਰਾੰਤੀ
ਅਵਾਜ ਦੇ ਵਿਰੁਧ
ਇੱਕ ਆਵਾਜ
-------------
04)
ਆਓ ਤੋੜਨੇ
ਰੂੜੀਯਾੰ ਦਾ ਅਕਾਸ਼
ਫੈਲਨ ਲੱਗਾ
----------
05)
ਦੂਲਾ ਬਨਿਯਾੰ ਵਾੰ
ਅਤੇ ਯਾਦਾੰ ਮੇਰੀਆੰ
ਬਣੀਯਾੰ ਦੁਲਨ
----------
06)
ਵਰੇ ਨੇ ਮੋਤੀ
ਮੁਸਕਾ ਰਿਹਾ ਬੱਦਲ
ਸਾਵਨ ਆਯਾ
--------------
07)
ਦਸੋ ਨਾ ਤੁਸੀੰ
ਲੱਭ ਰਿਹਾ ਹਾ ਸ਼ਾੰਤੀ
ਕਿੱਥੇ ਮਿਲੇਗੀ
-----------
08)
ਮੇਰੀਯਾੰ ਪੀੜਾੰ
ਬੋਧ ਪਾਅੋਗੇ ਨਹੀੰ
ਇਹ ਅਬੋਧ
--------------
09)
ਸੰਜਮ ਛੰਦ
ਖੁਸ਼ਬੂ ਦੇ ਰਿਸ਼ਤਾ
ਹੋਯਾ ਬੇਕਾਬੂ
-------------
10)
ਗਿਯਾਨ -ਰਵਿ
ਅਗਿਯਾਨ-ਹਨੇਰਾ
ਕਰਦਾ ਦੂਰ
---------------
11)
ਧੁੱਪ ਦੀ ਥਾਲੀ
ਬੱਦਲ ਮੇਹਮਾਨ
ਸੂਰਜ ਰੋਟੀ
-------------
12)
ਸੱਚ ਹੈ ਜਿੱਥੇ
ਰੱਬ ਰਹਿੰਦਾ ਉੱਥੇ
ਲਭਦਾ ਕਿੱਥੇ
------------
13)
ਆਦਮੀ-ਲੈਣ
ਮਨ ਇੱਕ ਹਾਇਕੁ
ਛੰਦ-ਸੁਭਾਓ
-----------
14)
ਕੰਡੇ ਤਾ ਨਹੀ
ਚੁਭਨ ਲਗੇ ਹੁਣ
ਕੋਮਲ ਫੁੱਲ
----------
15)
ਕਾਲ ਚੱਕਰ
ਮਨੁੱਖਤਾ ਪੀੰਹਦੀ
ਗੰਨੇ ਦੇ ਵਾੰਗ
------------
16)
ਰੱਖ ਦੇ ਸ਼ੀ਼ਸ਼ਾ
ਆਤਮਕਥਾ ਆਪਣੀ
ਫੇਰ ਲਿਖੀੰ
-------------
17)
ਸ਼ਾਸ਼ਵਤ ਸੱਚ
ਸਿੱਕੇ ਦੇ ਦੋ ਪਹਿਲੂ
ਜਨਮ-ਮਰਨ
-------------
18)
ਸੱਟ ਲਗੀ ਹੈ
ਯਕੀਨਨ ਭੀਤਰ
ਟੀਸਦੀ ਪੀੜ
----------
19)
ਭੁੱਖਾੰ---ਲੜਿਆ
ਪਰ ਤਗੜਾ ਉਹੀ
ਉਹੀ ਨਿਕਲਯਾ ਨਾ
--------
20)
ਵਸਵਸਥਾ ਸਾੰਚਾ
ਢਲ ਨਾ ਪਾਯਾ ਮਨ
ਟੁੱਟਣ ਲੱਗਾ
-----------
21)
ਦੂਰੋੰ ਫੈਲਿਯਾ
ਰੂੜੀਯਾੰ ਦਾ ਆਕਾਸ਼
ਕਿਥੋੰ ਤੋੜੀਯੇ
------------
22)
ਘੁਟਦਾ ਦਮ
ਦੇਸ ਅਸ਼ਾੰਤੀ ਵੇਖ
ਟੁਟਦਾ ਦਮ
------------
23)
ਹੱਸਿਆ ਕੱਲ
ਰੁਆੰਦਾ ਵਰਤਮਾਨ
ਭਵਿਸ਼ਤ ਨੂੰ
------------
24)
ਉਡਦੀ ਹਾਯ
ਅਭਿਲਾਖਾ ਦੀ ਧੂੜ
ਸਾੜਦੀ ਦਿਲ
-------------
25)
ਮਨੁਖ ਪਿੰਜੇ
ਮਾਨਵਤਾ ਦੀ ਿਪੱਠ
ਛਾਣਨੀ ਹੋਈ
-----------
26)
ਹੰਜੂ ਛਲਕੇ
ਹੱਸੇ ਫੇਰ ਦਰਦੀ
ਗੀਤ ਸੁਣਾਏ
-----------
27)
ਮੁਸਕਾਨ ਰੋਯੇ
ਠਿਠੋਲੀ ਕਰ ਰਹੇ
ਅਥਰੂ ਮੇਰੇ
------------

पंजाबी अनुवाद : ------
स्व. उर्मिला कौल
दक्षिण रमना, आरा (बिहार)
पिन - 802301

टंकण सहयोगी : -----

जसदीप मोहन जी

HINDI HAIKU & ORIYA TRANSLATION

हिन्दी हाइकु एवं ओड़िया अनुवाद


✍🅿प्रदीप कुमार दाश "दीपक"

हिन्दी हाइकु
----------------
01.
संसार मौन
गूंगे का व्याकरण
पढेगा कौन?

02.
बह जाने दें
ये आँसू ही धोते हैं
मन के मैल ।

03.
चुप्पी क्रांति है
आवाज के विरुद्ध
एक आवाज ।

04.
आओ तोड़ने
रुढ़ियों का आकाश
लगा फैलने ।
05.
दुल्हा बना हूँ
और स्मृतियाँ मेरी
बनी दूल्हन ।

06.
झरी मोतियाँ
मुस्का रहा बादल
सावन आया ।

07.
बता दो तुम
शान्ति ढूँढ रहा हूँ
कहाँ मिलेगी ?

08.
पीड़ाएँ मेरी
भेद पाओगे नहीं
ये हैं अभेद्य ।

09.
संयम छंद
महके ज्यों संबंध
हुआ स्वच्छंद ।

10.
ज्ञान का सूर्य
अज्ञान का अंधेरा
करता दूर ।

11.
धूप की थाली
बादल मेहमान
सूरज रोटी ।

12.
सत्यता जहाँ
खुदा रहता वहाँ
ढूँढता कहाँ ?

13.
आदमी-पंक्ति
मन एक हाइकु
छंद-प्रकृति ।

14.
काँटे तो नहीं
चूभने लगे अब
कोमल फूल ।

15.
रखो आईना
आत्मकथा अपनी
फिर लिखना ।

16. शाश्वत सच
सिक्के के दो पहलू
जन्म व मृत्यु ।

17.
चोट लगी है
यकीनन भीतर
टीसता दर्द ।

18.
भूख से लड़ा
पर ताकतवर
वही निकला ।

19.
व्यवस्था साँचा
ढल न पाया उर
टूटने लगा ।

20.
दूर से फैला
रुढ़ियों का आकाश
कहाँ से तोड़ें ।

21.
घुटता दम
देश अशांत देख
टूटता मन ।

22.
हँसा अतीत
रुलाये वर्तमान
भविष्यत को ।

23.
उड़ती हाय
अभिलाषा की धूल
जलता उर ।

24.
मानव पीटा
मानवता की पीठ
छल्ली हो गयी ।

25.
आँसू छलके
हँसे, फिर पीड़ा के
गीत सुनाये ।

26.
मुस्कान रोए
ठिठौली कर रहे
आँसू मुझ पे ।

27.
काल यंत्र में
मानवता पिरती
गन्ने की भाँति ।

✍🏻🅿प्रदीप कुमार दाश "दीपक"

ओड़िया अनुवाद : -----
अनुवादक : - प्रदीप कुमार दाश "दीपक"

उड़िया अनुवाद  ଓଡିଆ ଅନୁବାଦ  Oriya translation

01)
ଜଗ ମଉନ
ମୂକର ବ୍ୟାକରଣ
ପଢିବ କିଏ ?

02)
ଭାସିବାକୁ ଦିଅ
ଏଇ ଅଶ୍ରୁ ଧୋଇବ
ମନର ମଳି ।

03)
ମଉନ ହିଁ କ୍ରାନ୍ତି
ଧ୍ବନିର ବିରୁଦ୍ଧରେ
ଗୋଟିଏ ଧ୍ବନି ।

04)
ଆସ ଭାଙ୍ଗିବା
ଅନ୍ଧବିଶ୍ୱାସର ଆକାଶ
ହୁଏ ବିସ୍ତୃତ ।

05)
ବର ସାଜିଛି
ଓ ସ୍ମୃତି ସବୁ ମୋର
ଆଜି କନିଆଁ ।

06)
ଝରିଲା ମୋତି
ମେଘ ହଁସେ ମୁରୁକି
ଆସେ ଶ୍ରାବଣ ।

07)
କହିଳ ତମେ
ମୁଁ  ଖୋଜୁଅଛି ଶାନ୍ତି
ମିଳେ କେଉଁଠି ?

08)
ବେଦନା ମୋର
ପାରିବ ନାହିଁ ଭେଦି
ଏ ଯେ ଅଭେଦ।

09)
ସଂଯମ ଛନ୍ଦ
ସୁବାସିତ ସମ୍ବନ୍ଧ
ହେଲା ସ୍ୱଚ୍ଛନ୍ଦ ।

10)
ଜ୍ଞାନ ସୂରୁଜ
ଅଜ୍ଞାନର ତିମିର
କରଇ ଦୂର ।

11)
ଖରାର ଥାଳି
ମେଘ ମାନେ ଅତିଥି
ସୂରୁଜ ରୁଟି ।

12)
ସତ୍ୟ ଯେଉଁଠି
ଭଗବାନ ସେଇଠି
ଖୋଜୁ କେଉଁଠି ?

13)
ମଣିଷ ଧାଡି
ମନ ଏକ ହାଇକୁ
ଛନ୍ଦ ପ୍ରକୃତି ।

14)
କଣ୍ଟା ନୁହଁନ୍ତି
ଗଡିଲେଣି ଏବେ
କଁଅଳ ଫୂଲ।

15)
କାଳର ଯନ୍ତ୍ର
ମାନବତା ଖଞ୍ଜୁଛି
ଆଖୁ ସଦୃଶ ।

16)
ଦର୍ପଣ ରଖ
ଆତ୍ମକଥା ନିଜର
ପରେ ଲେଖିବ ।

17)
ଶାଶ୍ଵତ ସତ୍ୟ
ମୁଦ୍ରାର ଦୁଇ ପାଖ
ଜନ୍ମ ଓ ମୃତ୍ୟୁ ।

18)
ମାଡ ବାଜିଛି
ନିଶ୍ଚିତ ଅନ୍ତରାପୃଷ୍ଠ
ବଢେ ଦରଦ ।

19)
ଭୋକ ସଂଗରେ
ଲଢିଲି, କିନ୍ତୁ ଏକା
ସେ ଶକ୍ତିଶାଳୀ ।

20)
ବ୍ୟବସ୍ଥା ଛାଞ୍ଚ
ଗଢି ହେଲା ନି ହୃଦୟ
ଭାଙ୍ଗି ଚାଲିଲା ।

21)
ଦୂର ବ୍ୟାପକ
ଅନ୍ଧବିଶ୍ୱାସର ନଭ
ଭାଙ୍ଗିବା କେଉଁଠୁ ?

22)
ରୁଦ୍ଧ ଜୀବନ
ଦେଶ ଅଶାନ୍ତି ଦେଖି
ଭାଙ୍ଗୁଛି ମନ।

23)
ହସିଲା ଗତ
କନ୍ଦାଏ ବର୍ତ୍ତମାନ
ଅନାଗତ କୁ ।

24)
ଉଡୁଛି ହାୟ
ଅଭିଳାଷାର ଧୂଳି
ଜଳୁଛି ଛାତି ।

25)
ମଣିଷ ବାଡଇ
ମଣିଷତାର ପିଠି
ଫାଟି ଉଠିଛି ।

26)
ଅଶ୍ରୁ ଛଳଛଳ
ହସେ, ପୁଣି ବେଦନାର
ସୁଣାଏ ଗୀତ ।

27)
କାନ୍ଦୁଛି ହସ
କରନ୍ତି ଉପହାସ
ମୋତେ ଯେ ଲୁହ ।

□ ପ୍ରଦୀପ କୁମାର ଦାଶ "ଦୀପକ"

☆☆☆☆☆☆☆☆☆☆☆☆

HINDI HAIKU & SANTALI TRANSLATION

  1. हिन्दी हाइकु एवं संताली अनुवाद

✍🅿 प्रदीप कुमार दाश "दीपक"

हिन्दी हाइकु
----------------
01.
संसार मौन
गूंगे का व्याकरण
पढेगा कौन?

02.
बह जाने दें
ये आँसू ही धोते हैं
मन के मैल ।

03.
चुप्पी क्रांति है
आवाज के विरुद्ध
एक आवाज ।

04.
आओ तोड़ने
रुढ़ियों का आकाश
लगा फैलने ।
05.
दुल्हा बना हूँ
और स्मृतियाँ मेरी
बनी दूल्हन ।

06.
झरी मोतियाँ
मुस्का रहा बादल
सावन आया ।

07.
बता दो तुम
शान्ति ढूँढ रहा हूँ
कहाँ मिलेगी ?

08.
पीड़ाएँ मेरी
भेद पाओगे नहीं
ये हैं अभेद्य ।

09.
संयम छंद
महके ज्यों संबंध
हुआ स्वच्छंद ।

10.
ज्ञान का सूर्य
अज्ञान का अंधेरा
करता दूर ।

11.
धूप की थाली
बादल मेहमान
सूरज रोटी ।

12.
सत्यता जहाँ
खुदा रहता वहाँ
ढूँढता कहाँ ?

13.
आदमी-पंक्ति
मन एक हाइकु
छंद-प्रकृति ।

14.
काँटे तो नहीं
चूभने लगे अब
कोमल फूल ।

15.
रखो आईना
आत्मकथा अपनी
फिर लिखना ।

16. शाश्वत सच
सिक्के के दो पहलू
जन्म व मृत्यु ।

17.
चोट लगी है
यकीनन भीतर
टीसता दर्द ।

18.
भूख से लड़ा
पर ताकतवर
वही निकला ।

19.
व्यवस्था साँचा
ढल न पाया उर
टूटने लगा ।

20.
दूर से फैला
रुढ़ियों का आकाश
कहाँ से तोड़ें ।

21.
घुटता दम
देश अशांत देख
टूटता मन ।

22.
हँसा अतीत
रुलाये वर्तमान
भविष्यत को ।

23.
उड़ती हाय
अभिलाषा की धूल
जलता उर ।

24.
मानव पीटा
मानवता की पीठ
छल्ली हो गयी ।

25.
आँसू छलके
हँसे, फिर पीड़ा के
गीत सुनाये ।

26.
मुस्कान रोए
ठिठौली कर रहे
आँसू मुझ पे ।

27.
काल यंत्र में
मानवता पिरती
गन्ने की भाँति ।

✍🅿प्रदीप कुमार दाश "दीपक"

संताली अनुवाद : -----
अनुवादक : चन्द्रमोहन किश्कू

1)
ᱥᱚᱝᱥᱟᱨ ᱛᱷᱤᱨᱛᱷᱟᱨ
ᱠᱚᱸᱫᱟ ᱠᱚᱣᱟᱜ ᱨᱚᱱᱚᱲ
ᱯᱟᱲᱦᱟᱣᱟᱭ ᱚᱠᱚᱭ?

2)
ᱡᱚᱨᱚ ᱦᱚᱪᱚᱣᱟᱜ ᱢᱮ
ᱱᱚᱣᱟ ᱢᱮᱫ ᱫᱟᱜ ᱜᱮᱭ ᱟ.ᱨᱩᱵᱟ
ᱢᱚᱱᱮ ᱨᱮᱭᱟᱜ ᱢᱟ.ᱭᱞᱟ. |

3)
ᱱᱤᱥᱩᱱ ᱦᱩᱞ ᱠᱟᱱᱟ
ᱟᱲᱟᱝ ᱵᱤᱨᱩᱫ ᱨᱮ
ᱢᱤᱫᱴᱟᱝ ᱟᱲᱟᱝ |

4)
ᱦᱤᱡᱩᱜ ᱢᱮ ᱨᱟ.ᱯᱩᱫ
ᱟᱸᱫᱷᱟ ᱯᱟ.ᱛᱭᱟ.ᱣ ᱨᱮᱭᱟᱜ ᱥᱮᱨᱢᱟ
ᱯᱟᱥᱱᱟᱣᱚᱜ ᱠᱟᱱᱟ |

5)
ᱡᱟᱸᱣᱟᱭᱤᱧ ᱵᱮᱱᱟᱣ ᱟᱠᱟᱱᱟ
ᱟᱨ ᱩᱭᱦᱟ.ᱨ ᱠᱚ ᱤᱧᱟᱜ
ᱵᱮᱱᱟᱣ ᱟᱠᱟᱱᱟᱭ ᱵᱟ.ᱦᱩ ᱠᱩᱲᱤ |

6)
ᱡᱟ.ᱲᱤ ᱠᱟᱛᱮ ᱢᱳᱛᱤ
ᱞᱟᱸᱫᱟᱭᱮᱫᱟᱭ ᱨᱤᱢᱤᱞ
ᱥᱟᱱ ᱦᱮᱡ ᱮᱱᱟ |

7)
ᱢᱮᱱ ᱢᱮ ᱟᱢ
ᱥᱟᱱᱛᱤᱢ ᱯᱟᱸᱡᱟᱭᱮᱫᱟ
ᱟᱠᱟᱨᱮ ᱧᱟᱢᱚᱜ-ᱟ |

8)
ᱦᱟᱸᱥᱩ ᱠᱚ ᱤᱧᱟᱜ
ᱵᱟᱢ ᱛᱟᱯᱟᱵ ᱫᱟᱲᱮᱭᱟᱜ-ᱟ
ᱱᱚᱣᱟ ᱫᱚ ᱵᱟᱝ ᱛᱟᱯᱟᱵᱟᱱᱟᱜ ᱠᱟᱱᱟ |

9)
ᱥᱚᱝᱭᱚᱢ ᱨᱮᱭᱟᱜ ᱪᱷᱟᱸᱫᱟᱣ
ᱫᱚᱲᱦᱚᱜ-ᱟ ᱥᱟ.ᱜᱟ.ᱭ ᱡᱟᱸᱦᱟᱛᱮ
ᱦᱩᱭᱮᱱᱟ ᱯᱷᱩᱨᱜᱟ.ᱞ |

10)
ᱜᱮᱭᱟᱱ ᱨᱤᱱᱤᱡ ᱵᱮᱲᱟ
ᱚᱜᱮᱭᱟᱱ ᱨᱮᱱᱟᱜ ᱧᱩᱛᱟ.ᱛ
ᱞᱟᱜᱟ ᱯᱷᱟᱨᱟᱠᱟᱭ

11)
ᱥᱤᱛᱩᱢ ᱨᱮᱭᱟᱜ ᱛᱷᱟ.ᱨᱤ
ᱨᱤᱢᱩᱞ ᱯᱮᱲᱟ
ᱵᱮᱲᱟ ᱨᱩᱴᱤ |

12)
ᱥᱟ.ᱨᱤ ᱡᱟᱸᱦᱟᱨᱮ
ᱠᱷᱩᱫᱟ ᱛᱟᱸᱦᱮᱱᱟᱭ ᱚᱸᱰᱮ
ᱯᱟᱸᱡᱟᱭᱮᱠᱟᱱᱟᱢ ᱚᱠᱟᱨᱮ?

13)
ᱢᱟ.ᱱᱢᱤ ᱞᱟ.ᱭᱤᱱ
ᱢᱚᱱᱮ ᱢᱤᱫᱴᱟᱝ ᱦᱟᱭᱠᱩ
ᱪᱷᱚᱱᱫᱚ ᱥᱟᱪᱟᱨᱦᱮ |

14)
ᱡᱟᱱᱩᱢ ᱛᱚ ᱵᱟᱝ
ᱯᱟᱜ-ᱴᱤ ᱠᱟᱱᱟ ᱱᱤᱛᱚᱜ
ᱩᱯᱟ.ᱞ ᱵᱟᱦᱟ |

15)
ᱫᱚᱦᱚᱭ ᱢᱮ ᱟ.ᱨᱥᱤ
ᱡᱤᱭᱚᱱᱠᱟᱛᱷᱟ ᱟᱢᱟᱜ
ᱤᱱᱟ.ᱛᱟᱭᱚᱢ ᱚᱞ ᱢᱮ |

16)
ᱠᱷᱟᱸᱴᱤ ᱥᱟ.ᱨᱤ
ᱥᱤᱠᱠᱟ. ᱨᱮᱭᱟᱜ ᱵᱟᱨᱭᱟ ᱯᱟᱦᱴᱟ
ᱡᱟᱱᱟᱢ ᱟᱨ ᱜᱩᱨ |

17)
ᱵᱟᱡᱟᱣ ᱟᱠᱟᱱᱟ.ᱧ
ᱥᱟ.ᱨᱤ ᱩᱛᱟ.ᱨ ᱵᱷᱤᱛᱨᱤ ᱨᱮ
ᱨᱟᱠᱟᱵ ᱠᱟᱱᱟ ᱦᱟᱸᱥᱩ |

18)
ᱨᱮᱸᱜᱮᱡ ᱥᱟᱞᱟᱜ ᱤᱧ ᱞᱟ.ᱲᱦᱟ.ᱭ ᱠᱮᱜ-ᱟ
ᱢᱮᱱᱠᱷᱟᱱ ᱫᱟᱲᱮᱭᱟᱱ ᱫᱚ
ᱩᱱᱤᱜᱮᱭ ᱜᱚᱴᱟᱭᱮᱱᱟ |

19)
ᱵᱮᱵᱚᱥᱛᱷᱟ ᱨᱮᱭᱟᱜ ᱯᱷᱟᱨᱢᱟ
ᱵᱟᱭ ᱥᱟᱦᱚᱵ ᱫᱟᱲᱮᱭᱟᱜ-ᱱᱟ ᱨᱤᱫᱚᱭ
ᱨᱟ.ᱯᱩᱫ ᱮᱱᱟ |

20)
ᱥᱟ.ᱜᱤᱧ ᱠᱷᱚᱱᱟᱜ ᱯᱟᱥᱱᱟᱣ
ᱟᱸᱫᱷᱟ ᱯᱟ.ᱛᱭᱟ.ᱣ ᱨᱮᱭᱟᱜ ᱥᱮᱨᱢᱟ
ᱚᱠᱟ ᱠᱷᱚᱱᱟᱜ ᱤᱧ ᱨᱟ.ᱯᱩᱫᱟ |

21)
ᱩᱠᱵᱩᱠᱟ.ᱜ ᱢᱚᱱᱮ
ᱫᱤᱥᱚᱢ ᱚᱥᱟᱱᱛᱤ ᱧᱮᱞᱛᱮ
ᱨᱟ.ᱯᱩᱫᱚᱜ-ᱟ ᱢᱟᱥᱮ |

22)
ᱞᱟᱸᱫᱟ ᱠᱮᱜ-ᱟᱭ ᱱᱟᱜᱟᱢ
ᱨᱟᱜᱦᱚᱪᱚ ᱠᱮᱫᱮᱭᱟᱭ ᱱᱤᱛᱚᱜ
ᱟᱜᱟᱢ |

23)
ᱚᱴᱟᱝᱚᱜ ᱠᱟᱱ ᱦᱟᱭᱪᱚᱜ
ᱥᱟᱱᱟ ᱨᱮᱭᱟᱜ ᱫᱷᱩᱲᱤ
ᱟᱛᱟᱨᱚᱜ ᱠᱟᱱ ᱨᱤᱫᱚᱭ |

24)
ᱢᱟ.ᱱᱢᱤᱭ ᱫᱟᱞ ᱦᱚᱪᱚᱭᱮᱱᱟ
ᱢᱟ.ᱱᱣᱟ.ᱨᱤ ᱨᱮᱭᱟᱜ ᱫᱮᱭᱟ
ᱯᱚᱴᱟᱜ ᱩᱛᱟ.ᱨᱮᱱᱟ |

25)
ᱢᱮᱫ ᱫᱟᱜ ᱡᱚᱨᱚᱭᱮᱱᱟ
ᱞᱟᱸᱫᱟ ᱠᱮᱜ-ᱟᱭ, ᱛᱟᱭᱱᱚᱢ ᱛᱮ
ᱦᱟᱸᱥᱩ ᱨᱮᱭᱟᱜ ᱮ ᱥᱮᱨᱮᱧ ᱠᱮᱜ-ᱟ |

26)
ᱢᱩᱞᱩᱡ ᱮ ᱨᱟᱜ ᱠᱮᱜ-ᱟ
ᱴᱤᱴᱠᱟ.ᱨᱤᱧ ᱠᱟᱱᱟᱭ
ᱢᱮᱫ ᱫᱟᱜ |

27)
ᱠᱟᱞ ᱨᱮᱭᱟᱜ ᱭᱚᱱᱛᱨᱚ ᱨᱮ
ᱢᱟ.ᱱᱣᱟ.ᱨᱤ ᱯᱤᱥᱟ.ᱜ-ᱟ
ᱟᱸᱠᱷ ᱞᱮᱠᱟ |

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संताली अनुवादक : -----

नाम :-  चंद्र मोहन किस्कू
जन्म:-  22.02.1982
शिक्षा:-  स्नातक
प्रकाशित कृतियां :----
सबरनाखा (हिंदी कविता पुस्तक ईबुक & पेपरबैक्स)
फूलों की खेती (  हिंदी कविता पुस्तक & ईबुक)
मुलुज लांदा (  संताली कविता पुस्तक )
फेसबुक (  संताली कहानी संग्रह )
सिदू कान्हू  तिकिनाग होहोते (  महाश्वेता देवी कृत बांग्ला उपन्यास का संताली अनुवाद )
आँगरा (  जसिंता केरकेट्टा कृत हिंदी कविता पुस्तक का संताली अनुवाद )
व्यवसाय :-  रेल कर्मचारी
डाक पता :-
ग्राम :-  बेहड़ा, पोस्ट - हल्दाजुड़ी , जिला - पूर्वी सिंहभूम , झारखण्ड - 832303

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HINDI HAIKU & PUNJABI TRANSLATION

हिन्दी हाइकु एवं पंजाबी अनुवाद
  ✍प्रदीप कुमार दाश "दीपक"


मूल हिन्दी हाइकु
---------------------
01.
संसार मौन
गूंगे का व्याकरण
पढेगा कौन?

02.
 बह जाने दें
ये आँसू ही धोते हैं
मन के मैल ।

03.
चुप्पी क्रांति है
आवाज के विरुद्ध
एक आवाज ।

04.
आओ तोड़ने
रुढ़ियों का आकाश
लगा फैलने ।

05.
दुल्हा बना हूँ
और स्मृतियाँ मेरी
बनी दूल्हन ।

06.
झरी मोतियाँ
मुस्का रहा बादल
सावन आया ।

07.
 बता दो तुम
शान्ति ढूँढ रहा हूँ
कहाँ मिलेगी ?

08.
 पीड़ाएँ मेरी
भेद पाओगे नहीं
ये हैं अभेद्य ।

09.
संयम छंद
महके ज्यों संबंध
हुआ स्वच्छंद ।

10.
ज्ञान का सूर्य
अज्ञान का अंधेरा
करता दूर ।

11.
धूप की थाली
बादल मेहमान
सूरज रोटी ।

12.
सत्यता जहाँ
खुदा रहता वहाँ
ढूँढता कहाँ ?

13.
आदमी-पंक्ति
मन एक हाइकु
छंद-प्रकृति ।

14.
काँटे तो नहीं
चूभने लगे अब
कोमल फूल ।

15.
रखो आईना
आत्मकथा अपनी
फिर लिखना ।

16.
शाश्वत सच
सिक्के के दो पहलू
जन्म व मृत्यु ।

17.
चोट लगी है
यकीनन भीतर
टीसता दर्द ।

18.
भूख से लड़ा
पर ताकतवर
वही निकला ।

19.
व्यवस्था साँचा
ढल न पाया उर
टूटने लगा ।

20.
दूर से फैला
रुढ़ियों का आकाश
कहाँ से तोड़ें ।

21.
घुटता दम
देश अशांत देख
टूटता मन ।

22.
हँसा अतीत
रुलाये वर्तमान
भविष्यत को ।

23.
उड़ती हाय
अभिलाषा की धूल
जलता उर ।

24.
 मानव पीटा
मानवता की पीठ
छल्ली हो गयी ।

25.
आँसू छलके
हँसे, फिर पीड़ा के
गीत सुनाये ।

26.
मुस्कान रोए
ठिठौली कर रहे
आँसू मुझ पे ।

27.
काल यंत्र में
मानवता पिरती
गन्ने की भाँति ।

✍प्रदीप कुमार दाश "दीपक"

पंजाबी अनुवाद :-----
अनुवादक :
जसदीप मोहन जी

01)
ਸੰਸਾਰ ਮੌਨ
ਗੂੰਗੇ ਦਾ ਵਿਆਕਰਣ
ਪੜੇਗਾ ਕੌਣ
------
02)
ਵਗ ਜਾਣ ਦੇ
ਇਹ ਹੰਝੂ ਹੀ ਧੋੰਦੇ ਨੇ
ਮਨ ਦੇ ਮੈਲ
------
03)
ਮੌਨ ਇੱਕ ਕ੍ਰਾੰਤੀ
ਆਵਾਜ਼ ਦੇ ਖਿਲ਼ਾਫ਼
ਇੱਕ ਆਵਾਜ਼
-------
04)
ਆਓ ਤੋੜੀਏ
ਰੂੜੀਆੰ ਦਾ ਅਕਾਸ਼
ਫੈਲਦਾ ਜਾੰਦਾ
-----
05)
ਲਾੜਾ ਬਣ ਬੈਠਾ
ਤੇ ਯਾਦਾੰ ਮੇਰੀਆੰ
ਬਣੀਆੰ ਲਾੜੀ
-----
06)
ਵਰਸੇ ਮੋਤੀ
ਹੱਸਦਾ ਹੈ ਬੱਦਲ
ਸਾਵਣ ਆਇਆ
-----
07)
ਦੱਸੋ ਖਾੰ
ਲੱਭ ਰਿਹਾ ਹਾੰ ਸ਼ਾੰਤੀ
ਕਿੱਥੋੰ ਮਿਲੂ
-------
08)
ਪੀੜ ਮੇਰੀ
ਤੇਰੇ ਵੱਸ ਦੀ ਨਹੀੰ
ਇਹ ਹੈ ਅਪਾਰ
-------
09)
ਸੰਜਮ ਛੰਦ
ਮਹਿਕੇ ਜਿਉੰ ਸੰਬੰਧ
ਹੋਕੇ ਮਸਤਾਨਾ
-------
10)
ਗਿਆਨ ਦਾ ਸੂਰਜ
ਅਗਿਆਨ ਦਾ ਹਨੇਰਾ
ਦੂਰ ਕਰੇ
-------
11)
ਧੁੱਪ ਦੀ ਥਾਲੀ
ਬੱਦਲ ਪ੍ਰਾਹੁਣਾ
ਸੂਰਜ ਰੋਟੀ
------
12)
ਸੱਚਾਈ ਜਿੱਥੇ
ਰੱਬ ਰਹੇ ਉੱਥੇ
ਲੱਭਦਾ ਕਿੱਥੇ?
------
13)
ਆਦਮੀ -ਵਾਕ
ਮਨ ਇੱਕ ਹਾਈਕੂ
ਛੰਦ-ਸੁਭਾਅ
-------
14)
ਕੰਡੇ ਤਾੰ ਨਹੀੰ
ਚੁੱਭਣ ਲੱਗੇ ਹੁਣ
ਕੋਮਲ ਫੁੱਲ
-----
15)
ਛੱਡ ਸ਼ੀਸ਼ਾ
ਜੀਵਨੀ ਆਪਣੀ
ਫੇਰ ਲਿਖੀੰ
-------
16)
ਅਟੱਲ ਸੱਚਾਈ
ਸਿੱਕੇ ਦੇ ਦੋ ਪਹਿਲੂ
ਜੀਵਨ ਤੇ ਮਰਨ
------
17)
ਸੱਟ ਲੱਗੀ ਏ
ਸੱਚੀੰ ਅੰਦਰੋ
ਉੱਠਦੀ ਦਰਦ
-------
18)
ਭੁੱਖ ਨਾਲ ਲੜਿਆ
ਤਾਕਤਵਰ ਵੀ
ਓਹੀ ਖੜਿਆ
-------
19)
ਪ੍ਰਬੰਧ ਸੱਚਾ
ਹਿਰਦਾ ਢਲ ਨਾ ਸਕਿਆ
ਟੁੱਟਣ ਕਿਨਾਰੇ
-----
20)
ਮੀਲਾੰ-ਬੱਧੀ ਫੈਲਿਆ
ਰੂੜੀਆੰ ਦਾ ਅਕਾਸ਼
ਕਿਵੇੰ ਤੋੜੀਏ
-----
21)
ਮਨ ਘੁਟਦਾ
ਦੇਖਕੇ ਅਸ਼ਾਤ ਦੇਸ਼
ਮਨ ਟੁੱਟਦਾ
------
22)
ਅਤੀਤ ਹੱਸਿਆ
ਰਵਾਉੰਦਾ ਵਰਤਮਾਨ
ਭਵਿੱਖਤ ਨੂੰ
-------
23)
ਉੱਡਦੀ ਹਾਅ
ਆਸਾੰ ਦੀ ਧੂੜ
ਸਾੜਦੀ ਹਿਰਦਾ
-------
24)
ਦੂਰਦ਼ਸ਼ਾ
ਮਨੁੱਖਤਾ ਦੀ ਪਿੱਠ
ਛੱਲਣੀ ਹੋਈ
--------
25)
ਹੰਝੂ ਛਲਕੇ
ਹੱਸੇ, ਫਿਰ ਦਰਦਾੰ ਦੇ
ਗੀਤ ਸੁਣਾਏ
-------
26)
ਮੁਸਕਾਨ ਰੋਵੇ
ਠੱਠਾ ਕਰ ਰਹੇ
ਹੰਝੂ ਮੇਰੇ ਵੱਲ
-------
27)
ਕਾਲ ਯੰਤਰ ਵਿੱਚ
ਮਾਨਵਤਾ ਪੀੜਦੀ
ਗੰਨੇ ਦੇ ਵਾੰਗਰਾੰ
----------

देवनागरी लिप्यंतरण : ------

01)
संसार मौन
गूंगे दा विआकरण
पड़ेगा कौण ?
--------
02)
वग जाण दे
ऐह हंझू ही धोंदे ने
मन दे मैल
---------
03)
मौन इक क्रान्ति
आवाज़ दे खिलाफ
इक आवाज़
---------
04)
आओ तोड़िए
रूड़ियां दा अकाश
फैलदा जांदा
--------
05)
लाड़ा बण बैठा
ते यादां मेरिआं
बणीआं लाड़ी
---------
06)
बरसे मोती
हस्सदा है बद्दल
सावण आया
--------
07)
दस्सो खां
लभ्भ रेहा हां शान्ति
कित्थों मिलू ?
---------
08)
पीड़ मेरी
तेरे वस्स दी नहीं
ऐह है अपार
---------
09)
संजम छन्द
महके ज्यों सम्बन्ध
होके मसताना
----------
10)
ज्ञान दा सूरज
अज्ञान दा हनेरा
दूर करे
---------
11)
धुप्प दी थाली
बद्दल पराहुणा
सूरज रोटी
--------
12)
सच्चाई जित्थे
रब्ब रहे उत्थे
लभ्भदा कित्थे
----------
13)
आदमी-वाक
मन इक हाईकू
छन्द सुभाअ
-----------
14)
कण्डे ता नहीं
चुभ्भण लग्गे हुण
कोमल फुल्ल
---------
15)
छड्ड शीशा
जीवनी आपणी
फेर लिखीं
---------
16)
अट्टल सच्चाई
सिक्के दे दो पैहलू
जीवन ते मरन
----------
17)
सट्ट लग्गी ऐ
सच्चीं अन्दरों
उट्ठदी दरद
-----------
18)
भुक्ख नाल लड़ेया
ताकतवर भी
ओही खड़ेया
----------
19)
प्रबन्ध सच्चा
हिरदा ढल ना सकेआ
टुट्टण किनारे
-------------
20)
मीलां बध्धी फैलेया
रूड़ियां दा अकाश
किवें तोड़िऐ
------------
21)
मन घुटदा
देखके अशाँत देश
मन टुटदा
-------------
22)
अतीत हस्सेया
रवाउंदा वरतमान
भविक्खत नूँ
------------
23)
उडदी हाअ
आसां दी धूड़
साड़दी हिरदा
-------------
24)
दुरदशा
मनुक्खता दी पिट्ठ
छल्लणी होई
------------    
25)
हँझू छलके
हस्से, फिर दरदां दे
गीत सुणाए
---------  
26)  
मुसकान रोवे
ठट्ठा कर रहे
हँझू मेरे वल्ल
-------------
27)
काल यंतर विच्च
मानवता पीड़दी
गन्ने दे वांगरां ।
-----●●●-----

अनुवादक : जसदीप मोहन जी    
पिता का नाम : श्री राम सरन मोहन
जन्म : 03.04.1971
शिक्षा : -------
     एम.ए.(हिन्दी,पंजाबी,राजनीति शास्त्र) एम.एड.,एम.फिल.,पी-एच.डी.(हिन्दी)
प्रकाशित कृतियाँ : -------
कविता साधना
लेख साधना
शेख़ फरीद-एक पुन:पाठ
मेरी अविस्मरणीय यादें (अनूदित)
व्यवसाय : ------
         कार्यकारी प्रिंसीपल
लायलपुर खालसा सीनियर सैकण्डरी स्कूल
जालन्धर, पंजाब
पोस्टल पता : ------
          लक्की जनरल स्टोर
लाम्बड़ा, ज़िला : जालन्धर (पंजाब)

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PRADEEP KUMAR DASH (HAIKU BOOK)

PRADEEP KUMAR DASH

01.)

Pradeep Kumar Dash "Deepak"
● Mainshe ke peera ( मइनसे के पीरा )
First Chhattishgarhi Haiku book of India [2000]
● Publisher : Chhattishgarh lekhak sangh saria, (c.g.) INDIA
● Price :  ₹ 25
● Availability :
          • pkdash399@gmail.com
          • download PDF online
          • read online  (kavitakosh)
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02.)

Pradeep kumar Dash "Deepak"
● Haiku Chatushk (हाइकु चतुष्क)
Hindi, Oriya, Chhattishgarh & Sambalpuri haiku  (2000)
● Publisher : Rashtradeep prakashan sankara (c.g) INDIA
● Price : ₹ 20
● Availability :
         • pkdash399@gmail.com
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03.)

Pradeep kumar Dash "Deepak"
● Rudhiyo ka aakash ( रुढ़ियों का आकाश)
First senryu book of Hindi [2003]
● Publisher : Mandavi prakashan gajiabad (U.P.)
● Price : ₹ 35
● Availability :
     • pkdash399@gmail.com
     • mandavi prakashan gajiavad.
     • Download PDF online.
     • Read online.
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04.)

Pradeep kumar Dash "Deepak"
● Haiku Vatika ( हाइकु वाटिका )
   A great collection of 371 haiku poet from India. [2004]
● Publisher : mandavi prakashan gajiavad.
● Price : ₹ 100
● Availability :
      • pkdash399@gmail.com
      • mandavi prakashan gajiavad.

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05.)

Pradeep kumar Dash "Deepak"
● Haiku Saptak ( हाइकु सप्तक )
    Haiku, Introductions & thought of Seven gratest hindi haikukar. [2006]
● Publisher : mandavi prakashan gajiavad.
● Price : ₹ 100
● Availability :
      • pkdash399@gmail.com
      • mandavi prakashan gajiavad.
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06.)

Pradeep kumar Dash "Deepak"
● Prakriti ki god me (प्रकृति की गोद में)
   Hindi haiku book [2017]
● Publisher : Ayan prakashan Delhi
● Price : ₹ 240
● Availability :
      • pkdash399@gmail.com
      • Ayan prakashan Delhi
      • Download PDF online
      • read online  (Kavitakosh)
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07.)

Pradeep kumar Dash "Deepak"
● Jhankta Chand ( झाँकता चाँद )
    A haiku collection of 40 hindi haikukar  [2017]
● Publisher : Ayan prakashan Delhi
● Price : ₹ 200
● Availability :
      • pkdash399@gmail.com
      • Ayan prakashan Delhi
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08.)

Pradeep kumar Dash "Deepak"
● Kashturi ki Talash ( कस्तूरी की तलाश )
    First renga book in world. [2017]
● Publisher : Ayan prakashan Delhi
● Price : ₹ 300
● Availability :
     • pkdash399@gmail.com
     • Ayan prakashan Delhi.
     • haikumanjusha.blogspot.in
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09.)

Pradeep kumar Dash "Deepak"
● Tanka Ki Mahak ( ताँका की महक )
   A great collection of 271 hindi Tanka poet. [2017]
● Publisher : Ayan prakashan Delhi
● Price : ₹ 500
● Availability :
      • pkdash399@gmail.com
      • Ayan prakashan Delhi

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10.)

Pradeep kumar Dash "Deepak"
● Haiku manjusha ( हाइकु मञ्जूषा )
    A great collection of 489 Hindi haiku poet. [2018]
● Publisher : Utkarsh prakashan Delhi.
● Price : ₹ 500
● Availability :
      • pkdash399@gmail.com
      • Utkarsh prakashan Delhi.
      • PDF copies available in online.
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11.)

Pradeep kumar Dash "Deepak"
● Chhattishgarh ki Haiku Sadhna ( छत्तीसगढ़ की हाइकु साधना )
   A collection of 113 haiku poet on Chhattishgarh [2018]
● Publisher : Utkarsh prakashan Delhi.
● Price : ₹ 300
● Availability :
     • pkdash399@gmail.com
     • Utkarsh prakashan Delhi.
     • PDF copies available in online
     • Read online.

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