हाइकु मञ्जूषा (समसामयिक हाइकु संचयनिका)

卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ हाइकु मञ्जूषा (समसामयिक हाइकु संचयनिका) संचालक : प्रदीप कुमार दाश "दीपक" ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐

शुक्रवार, 26 मई 2023

हिन्दी हाइकु काव्य के प्रमुख हस्ताक्षर

 हिन्दी हाइकु के स्वर्णिम पथ पर चिह्नित मील के पत्थर के रूप में- 'हिन्दी हाइकु काव्य के प्रमुख हस्ताक्षर' 


      संस्कृत शब्द 'ध्यान' चीनी में 'चान' या 'छान' तथा जापान में 'जेन' हुआ । जापानी जेन संत कवियों द्वारा सहज ध्यान से  सृजित लघु काव्य रचना 'हाइकु' भारतीय आध्यात्मिकता से पूरी तरह प्रभावित है । भारत में अच्छे हाइकुओं अथवा अच्छे रचनाकारों की कमी नहीं है, परंतु यहाँ हाइकु सृजन के क्षेत्र में संख्यात्मकता का एक दंभ व्याप्त है । हाइकु के मर्म को समझकर यहाँ सृजन करने वाले रचनाकारों की नितांत कमी है । 'हिन्दी हाइकु काव्य के प्रमुख हस्ताक्षर' ग्रंथ निश्चय ही इस संख्यात्मकता के गुरुर को तोड़ने का काम करता है ।

       देश-विदेश में हाइकु का परचम फहराने वाली हिंदी हाइकु की परम विदुषी डॉ. मिथिलेश दीक्षित जी द्वारा संपादित 'हिंदी हाइकु काव्य के प्रमुख हस्ताक्षर' ग्रंथ में उर्मिला कौल, डॉ. कुंदन लाल उप्रेती, डॉ. जगदीश व्योम, प्रदीप कुमार दास 'दीपक', डॉ. भगवतशरण अग्रवाल, डॉ. मिथिलेश दीक्षित, डॉ. रमाकांत श्रीवास्तव, रामनिवास पंथी, राजेंद्र वर्मा, शंभू शरण द्विवेदी 'बंधु' एवं डॉ. शैल रस्तोगी जी जैसे हिंदी हाइकु के ग्यारह महान साधकों को हिंदी के ग्यारह प्रमुख हस्ताक्षर के रूप में चयन कर इन रचनाकारों के परिचय, अवदान तथा इनके प्रत्येक के पचास-पचास उत्कृष्ट हाइकुओं को प्रस्तुत कर वर्तमान तथा आगामी भविष्य की पीढ़ी के रचनाकारों को मार्गदर्शन प्रदान करने का महत्वपूर्ण ऐतिहासिक कार्य हुआ है । इस महनीय ग्रंथ के सम्माननीय रचनाकारों में मुझे भी सम्मिलित करने हेतु मैं स्वयं को गौरवान्वित महसूस करते हुए आ. दीदी मिथिलेश दीक्षित जी के प्रति मैं अपनी कृतज्ञता व साथ ही मनःपूर्वक हार्दिक आभार व्यक्त करता हूँ ।

         हिंदी हाइकु के शलाका पुरुष स्वर्गीय प्रोफेसर आदित्य प्रताप सिंह जी तथा हाइकु के महान साधक स्वर्गीय डॉ. लक्ष्मण प्रसाद नायक जी को समर्पित यह महत्वपूर्ण धरोहर ग्रंथ निश्चय ही हिन्दी हाइकु के प्रशस्त पथ में मील के पत्थर (mile stone) रुप में कार्य करेगा, ऐसा मेरा विश्वास है ।


      ~ प्रदीप कुमार दाश 'दीपक'

         संपादक : हाइकु मञ्जूषा

गुरुवार, 11 मई 2023

~ श्रवण कालवा जी के राजस्थानी हाइकु ~

श्रवण कालवा 


राजस्थानी हाइकु 


पेलो सावण

लगाय दिणी लाय

केड़ो जोबण ।


घर आँगणो

लिपयोड़ो गोबर

हामीं बळद ।


तपता धोरा

बाटा नाळे दो आँखा

बरसो मेघा ।


घर आँगण

धूड़ो उडावतो ओ

आयो फागण ।


सुखोड़ा खेत

केर सांगरी अर

बळती रेत ।


हाथा रा छाला

खुरपी री मूठ आ

घणो तावड़ो ।


गांव शहर

बाट जोवे डोकरा

टूटा सबर ।


म्हारी घरनी

हूको लीलो जीस्यो है

काळ दोन्या रो ।


केड़ो जमाणों

मिनखपणो कठे

स्वार्थ में आँधो ।


किनणे केऊँ

पीड़ा रो समंदर

के समझाऊँ ।


थें परदेसां

किंवाड़ ओटे खड़ी

जोवे हैं बाटा ।


नाड़ी री पाळ

है संझया री भेळा

उतरे ढोर ।


चेत मानखा

मिनख सूं मिनख

डरे बावळा ।


सबणे खोयो

विश्वास आपणो ही

कठे ठिकाणो ।


लुगायां हांची

जबर बात कहीं

समझो कदी ।


कुण थूं बता

करमां रो लेख है

औकात कई ।


ऐ म्हारी बाता

सगळी सब साची

बाकी नाजोगा ।

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~ श्रवण कालवा

सोमवार, 8 मई 2023

प्रकृति एवं हाइबुन

 प्रकृति एवं हाइबुन

हाइबुन संकलन

संपादक - डॉ. मिथिलेश दीक्षित 


     हाइबुन एक गद्य कविता है, इसके गद्य में पद्य के पुट रहते हैं । इसे यात्रा विवरण के रुप में लिखा जाता है । यात्रा संदर्भ में बाशो का कथन है कि - "हर दिन एक यात्रा है, और यात्रा ही घर है ।" हाइबुन का "गद्य" हाइकु का स्पष्टीकरण नहीं होता और इसमें उल्लेखित हाइकु गद्य की निरंतरता भी नहीं है । गद्य पाठ में प्रत्येक शब्द की गिनती गद्य कविता की तरह होनी चाहिए । स्तरीय हाइबुन गद्य पाठ को सीमित करता है, जैसे कि उत्तम हाइबुन में 20 से 180 शब्द एवं अधिकतम दो पैराग्राफ़ पर्याप्त हैं । इस लघु गद्य में कसावट आवश्यक है । हाइबुन में आमतौर पर केवल एक हाइकु सम्मिलित किया जाता है, जो गद्य के बाद होता है, गद्य के चरमोत्कर्ष के रूप में "हाइकु" अपनी सेवा प्रदान  करते  हुए हाइबुन का प्रतिनिधित्व करता है ।

         गद्य और हाइकु दोनों के मिश्रण में रस ही महत्वपूर्ण है । गद्य को उस गहराई से जोड़ना चाहिए जिसके साथ हम हाइकु का अनुभव कर सकें । हाइबुन की महत्ता हाइकु को गद्य के अर्थ से सहज जोड़ना बहुत महत्वपूर्ण है । हाइबुन के लेखक को संवेदनशील होकर भी निरपेक्ष होना चाहिए अन्यथा यात्रा के स्थान पर यात्री के प्रधान हो उठने की संभावनाएं बढ़ जाएगी, तथा वह अभिव्यक्त यात्रा साहित्य हाइबुन न रहकर आत्म चरित्र या आत्म स्मरण बन सकता है । इस विधा के पीछे का उद्देश्य हाइबुन लेखक के रमणीय अनुभवों को हुबहू पाठक तक प्रेषित करना है । जिसके माध्यम से पाठक उस अनुभव को आत्मसात  कर  सके उसे अनुभव कर सके ।

        जापानी हाइकु कवि बाशो ने इस विधा का प्रारंभ 1690 में किया । जुलाई 2014 में अयन प्रकाशन से प्रकाशित डॉ. सुधा गुप्ता जी की कृति 'सफर के छाले हैं' में पहली बार हिन्दी में उनके 37 हाइबुन प्रकाशन में आए हैं । अंजलि देवधर जी द्वारा 'journeys' (भारत का प्रथम हाइबुन संकलन) में 25 रचनाकारों के अंग्रेजी हाइबुन, वर्ष 2015 में 'journeys 2015' (द्वितीय हाइबुन संकलन), जिसमें 31 कवियों के 145 अंग्रेजी हाइबुन तथा वर्ष 2017 में  'journeys 2017' (तीसरा हाइबुन संकलन) प्रकाशन में आया था, जिसमें 29 कवियों के 133 अंग्रेजी हाइबुन प्रकाशित हुए थे । वर्ष 2014 में भारतीय कवि परेश तिवारी जी के 25 अंग्रेजी हाइबुन 'An inch of sky' में संग्रहित हुए हैं, वर्ष 2017 में 'Raindrops chasing Raindrops' में इनके 61 अंग्रेजी हाइबुन प्रकाशित हुए हैं । वर्ष 2019 में संपादक स्टीव हाॅज और परेश तिवारी जी के संपादन में 'रेड रिवर' नामक अंग्रेजी हाइबुन संकलन का प्रकाशन हुआ जिसमें 61 रचनाकारों के 102 अंग्रेजी हाइबुन संकलित हुए हैं । वर्ष 2021 जनवरी में 'हाइकु से हाइबुन प्रवाह' में (अविनाश बागड़े जी, इंदिरा किसलय जी एवं मेरे) संयुक्त प्रयास से  हाइबुन प्रतियोगिता का आयोजन किया गया था, जिसमें 19 रचनाकारों के हाइबुन आए थे । वर्ष 2021 में ही पूनम मिश्रा पूर्णिमा जी का एक एकल हाइबुन संग्रह अविशा प्रकाशन से प्रकाशित हुआ है, जिसमें उनके 21 हिन्दी हाइबुन संग्रहित हुए हैं । वर्ष 2021 जून में परम आदरणीय डॉ. मिथिलेश दीक्षित जी के संयोजकत्व में विश्व पर्यावरण दिवस अवसर पर हाइबुन की संगोष्ठी का आयोजन किया गया था । इसप्रकार हिन्दी में हाइबुन स्थापित होने लगा है ।  इस बीच बड़े ही आनंद का विषय यह है कि शुभदा बुक्स प्रकाशन द्वारा प्रकाशित इसी वर्ष फरवरी 2023 में डाॅ. मिथिलेश दीक्षित जी के संपादन से हिन्दी का प्रथम हाइबुन संकलन 'प्रकृति एवं हाइबुन' का प्रकाशन हुआ है, जिसमें अजय चरणम् जी, आनन्द प्रकाश शाक्य जी, अंजू श्रीवास्तव निगम जी, इन्दिरा किसलय जी, डॉ. कल्पना दुबे जी, कनक हरलालका जी, निहाल चन्द्र शिवहरे जी, नीना छिब्बर जी, प्रदीप कुमार (स्वयं), पुष्पा सिंघी जी, डॉ. मिथिलेश दीक्षित जी, डॉ. रवीन्द्र प्रभात जी, डॉ. लवलेश दत्त जी, वर्षा अग्रवाल जी, सरस दरबारी जी, डॉ. सुषमा सिंह जी, डॉ. सुकेश शर्मा जी, डॉ. सुभाषिनी शर्मा जी एवं डॉ. सुरंगमा यादव जी के नामानुक्रम से 19 रचनाकारों के 72 उत्कृष्ट हाइबुन संग्रहण हुए हैं । निश्चय ही यह एक श्लाघनीय कार्य है, इस कार्य की जितनी भी प्रशंसा करें वह कम होगी । इस ऐतिहासिक महनीय कार्य हेतु आ. दीदी मिथिलेश दीक्षित जी को तथा संकलन में सम्मिलित सभी रचनाकारों को अनेकानेक शुभकामनाएं व हार्दिक बधाइयाँ  ।


       ~ प्रदीप कुमार दाश 'दीपक'

          संपादक : हाइकु मञ्जूषा

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