हाइकु मञ्जूषा (समसामयिक हाइकु संचयनिका)

卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ हाइकु मञ्जूषा (समसामयिक हाइकु संचयनिका) संचालक : प्रदीप कुमार दाश "दीपक" ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐

शनिवार, 31 अगस्त 2019

~ हाइकु कवयित्री सुधा शर्मा जी के हाइकु ~


हाइकु कवयित्री 

सुधा शर्मा 


हाइकु 

1.
हरितालिका
निर्जल  सुहागिनें
शक्ति प्रतीक ।

2.
बहनें बेटी 
भर रही उल्लास 
दुलार पातीं ।

3.
शिव पूजन 
कठिन उपवास 
आत्म विश्वास ।

4.
श्रृंगार मय
खिलखिलाती नारी
अटूट तप ।

5.
भरा आँगन 
घर घर बेटियाँ
खुशी बहार ।
~ • ~

□  सुधा शर्मा 

राजिम (छत्तीसगढ़)

हाइकु कवयित्री मंजू सरावगी "मंजरी" जी के हाइकु

हाइकु कवयित्री 

मंजू सरावगी "मंजरी"

हाइकु 


1.
आंखों में आस
अपनों की चाहत
ढूंढता मन ।

2.
पंछी सा मन
उड़ता जाता रहा
ठौर की चाह ।

3.
दानों की आस
कौवे भी मड़राते
कोई आ जाता ।

4.
अपने छूटे
कुर्सी का क्या करना
सपने टूटे ।

5.
पंछी का बसेरा
भोर होते सन्नाटा
अकेलापन ।
~ • ~

□  मंजू सरावगी "मंजरी"

रायपुर (छतीसगढ़)

~ हाइकुकार डॉ. सुशील शर्मा जी के हाइकु ~

हाइकुकार 

डॉ. सुशील शर्मा 

हाइकु 


1.
चिड़िया उड़ी
आसमान में ऊंची
खाली घोंसला ।

2.
चिड़िया चूजा
मेरे साथ खेलता
देखती बिल्ली ।

3.
धुंधला सूर्य
कोहरे के बादल
ओढ़े धरती ।

4.
ओस की बूँदें
दूब की फुनगियां
धूप समेटे ।

5.
नील लोहित
आसमान के संग
लौटी चिड़िया ।

6.
सिंदूरी शाम
गोधूलि की बेला में
रंभाती गाय ।
~ • ~

□  डॉ. सुशील शर्मा

~ • ~ हाइकु कवयित्री क्रांति जी के हाइकु ~ • ~

हाइकु कवयित्री 

क्रांति 


हाइकु 

1.
शुभ सवेरा
यात्रा करते पंछी
छोड़ बसेरा ।

2.
भोर सुहानी
पक्षी हमें सुनाते
मधुर गीत ।

3.
करें स्वागत
सूर्य की किरणों का
नन्ही तितली ।

4.
बाट जोहती
थकी हारी ममता
बेटा न आया ।
~ • ~

□  क्रांति 
सीतापुर, सरगुजा (छत्तीसगढ़)

हाइकु कवयित्री कंचन अपराजिता जी के हाइकु


हाइकु कवयित्री 

कंचन अपराजिता 

हाइकु 

1.
मेघ चंचल
लहराये गोरी के
खुले कुंतल ।

2.
बैठा बुज़ुर्ग
पोटली दवा संग
सूना मकान ।

3.
ताल तल पे
बूँद करती नर्तन
प्रीत अर्पण ।

4.
कस्तूरी मृग
भौतिकता के पीछे
जन के पग ।

5.
संध्या आरती
सरहद पर गूँजे
जय भारती ।

6.
बढ़ते जन 
उँचे होते सदन
घटते वन ।

7.
कागजी फूल
ढ़ूंढ़ रही तितली
पुष्प पराग ।

8.
तपती रेत
मजदूर स्त्री देखे 
पैर के छाले  ।

9.
ओंठों पे हँसी
ढँक रहे तन के
नीले निशान ।

10.
आर्थिक व्यथा
वेतन चंद्र कथा
घटता चाँद ।
~ • ~

  कंचन अपराजिता

~ हाइकुकार कुमार आदेश चौधरी जी के हाइकु ~


हाइकुकार 

कुमार आदेश चौधरी "मौन"

हाइकु


1.
छाये बादल
प्यासी भू ललचायी
पानी की आस ।

2.
बिखरी बूँदें
मोती भरा भू भाग
खिल उठा है ।

3.
घिरी घटा जो
कड़कती दामिनी
चमकती भू ।

4.
भू मुस्कुराती
देख अम्बुदी छटा
भीगी है धरा ।

5.
झूमती बूँद
तृण लता के छोर
सुन्दर रूप ।

6.
झरती बूँद
भू पर मोतियों सी
बुझती प्यास ।
~ • ~

□  कुमार आदेश चौधरी "मौन" 
निस्तौली, गाज़ियाबाद (उ.प्र.)

शुक्रवार, 30 अगस्त 2019

हाइकु कवयित्री अल्पा जीतेश तन्ना जी के हाइकु

हाइकु कवयित्री 

अल्पा जीतेश तन्ना

हाइकु 


1.
रंग-बिरंगी 
तितलियाँ निराली 
मन को भाती ।

2.
उड़ ही जाती
बेटियों की नियति
जैसे तितली ।

3.
कहाँ मिलेगी 
अपनी ही तितली 
उड़ जो चली ।

4.
उड़ ही गया
मन तितली बन
तुम्हारे पास ।

5.
आँगन मेरा
वो कर गई सूना
एक तितली ।

6.
महक रहा
तितली से पुष्प का
स्नेह संवाद ।

7.
प्रेम प्रस्ताव
तितली के समक्ष 
झुके सुमन ।

8.
उड़ जाएगी
एक दिन रूह भी
जैसे तितली ।
~ • ~

□  अल्पा जीतेश तन्ना

~हाइकु कवयित्री रीमा दीवान चड्ढा जी के हाइकु~


हाइकु कवयित्री 

रीमा दीवान चड्ढा 


हाइकु 

1.
प्रकृति बोली
ऋतु ये रूपवाली
है मतवाली ।

2 .
ये अनुबंध
मौसमी फूल संग
मन का बंध ।

3.
गगन भरे
धरा के मन देखो
प्रीत के रंग ।

4.
पुलकित है
वसुंधरा का तन
मन आँगन ।

5.
ह्रदय बजे
मृदुल मधुर सी
मीठी सी धुन ।

6.
पवन कहे
सुन रे सखी री तू
ये रुनझुन ।

7.
मन उमंग 
बजते चहुँ ओर
ढोल मृदंग ।

8.
पैजनी बजा
थिरकी है ये धरा
देह को सजा ।

9.
सिंगार देख
लाज से भर गई
नारी सी धरा ।

10.
हटा कर ये
हौले हँसी है जब 
लाज घूँघट ।

11.
सूर्य से प्रीत
बरसों है पुरानी
धरा दीवानी ।

12.
आया बसंत
ऋतु चक्र ये बढ़ा
वही कहानी ।
~ • ~

□  रीमा दीवान चड्ढा

~ हाइकु कवयित्री गीता पुरोहित जी के हाइकु ~


हाइकु कवयित्री

गीता पुरोहित 

हाइकु

(१)

ये तो है नैया
डूबते को तिनका
होता सहारा ।

(२)

छोटी है नाव
हौंसले हैं बुलंद
पार करेंगे ।

(३)

सुकर्म करें
नैया लगेगी पार
दृढ़ विश्वास ।

(४)

सत की नाव
खेवटिया प्रभुजी
नैया हो पार ।

(५)

हिम्मते मर्दा
कोशिश करने से
नैया हो पार ।

(६)

सेना जवान
तूफान में ले नाव 
जान बचाते ।

(७)

केवट नैया
राम-लखन-सीता
हुए सवार ।

(८)

पाँव पखारे
केवट राम जी के
नाव बिठावे ।
~ • ~

□  गीता पुरोहित

~ हाइकुकार डॉ. सुशील शर्मा जी के हाइकु ~

हाइकुकार 

डॉ. सुशील शर्मा 

हाइकु 


1.
बया का नीड़
पेड़ के नीचे घूमें
शंख के घोंघे ।

2.
जल दर्पण
आईने में झांकता
पूर्णिमा चाँद ।

3.
पाषाण शिला
ध्यान में मग्न साधु
पेड़ के नीचे ।

4.
सिंधु मिलन
तोड़ती तटबंध
निर्द्वंद नदी ।

5.
भरे तालाब
प्रथम वर्षा भरी
सौंधी महक ।

6.
कचरा लदी
शहर में बहती
शक्कर नदी ।
~ • ~

□  डॉ. सुशील शर्मा

हाइकुकार गंगा प्रसाद पांडेय भावुक जी के हाइकु

हाइकुकार 

गंगा प्रसाद पांडेय "भावुक"


हाइकु 


1.
जीवन जंग
कर्मठता उमंग
तंद्रा भुजंग ।

2.
युद्ध व्यापार
जीवन मझधार
रक्त की धार ।

3.
युद्ध की ज्वाला
जलता तपोवन
जीव हवन ।

4.
शांति किरण
व्याकुल जन गण
स्वर्ण हिरण ।

5.
जग विकल
ढूंढे शांति संबल
नील कमल ।
~ • ~

□  गंगा प्रसाद पांडेय "भावुक"

हाइकुकार डॉ. आनन्द प्रकाश शाक्य जी के हाइकु

हाइकुकार 

डॉ. आनन्द प्रकाश शाक्य 

हाइकु 


1.
मन की पाखें
देख न सकीं कभी
ये दोनों आँखें ।

2.
ये अन्तर्मन
जाने अन्तश्चेतना
सु संवेदना ।

3.
माँ की ममता
सही दिशा निर्देश
मेरी क्षमता ।

4.
मन मयूर
देख श्यामल घटा
नाचता फिरे ।

5.
बरसा जल
फैली है हरीतिमा
ज्यों हरी साड़ी ।
~ • ~ 

□  डाॅ. आनन्द प्रकाश शाक्य

~समसामयिक हाइकु संचयन (अगस्त-2019)~


🎋 हाइकु मंच छत्तीसगढ़ 🎋

समसामयिक हाइकु संचयनिका 

  अगस्त 2019 के श्रेष्ठ हाइकु

~ • ~


बूँदों का शोर
घटा है घनघोर
भीगती भोर ।

□  पूर्णिमा सरोज

गरजे मेघ
दमकती दामिनी
हिय में हूक ।

□  धनेश्वरी देवांगन धरा

बिजली गिरी
झंकृत कर गयी
दिल के तार ।

□  क्रान्ति

गाती कोकिला 
नाचती गिलहरी 
अंबुआ डाली ।

□  सुलोचना सिंह

बादल संग
बरसने की ठानी
वर्षा दीवानी ।
   
□  पूर्णिमा सरोज

अबोध ईर्ष्या
नित बढ़ाये पाप
करें संताप ।

□  रंजन कुमार सोनी

प्यासी धरती
सावन बीत चला
कैसे हो खेती ।

□  शशि मित्तल

कोयल कूके
आम्र दरख्त झूला
मन चहके ।

□  स्वाति गुप्ता "नीरव"

बरसात में
उफनती नदियाँ
टूटा घरौंदा ।

 □  रविबाला ठाकुर

खुद सिमटा
बाकी सब बिखरा
जीवन मुक्ति । 

□  मनीभाई "नवरत्न"

दीपक जले
गम के अंधकार 
पल में हरे ।

□  क्रांति

पानी बरसा
पौधे में आई जान
मुस्काई धरा ।

□  स्वाति गुप्ता "नीरव"

सुहानी शाम
महकती फिजायें
वाह आराम ।

□  रंजन कुमार सोनी

काली परत
खोखली हुई भूमि
बस्ती उजड़ी ।

□  स्वाति गुप्ता "नीरव"

जलता देश 
हिटलर का राज 
केवल चुप्पी । 

डरे कपोत 
सहमे परवाज
घात में बाज ।

क्यों यहाँ शोर
जंगल  में  मंगल 
नाचता   मोर ।

□  सुनील गुप्ता

कैसी बदरी
बदलती रहती
लोगों के जैसे ।

□  पूनम दूबे

जीवन यात्रा 
वक़्त की चाक पर
दिन व रात ।

□  सुलोचना सिंह

~~~~~~~ •◇• ~~~~~~~
~~~ • ~~~

~ हाइकु कवयित्री मंजू सरावगी जी के हाइकु ~


हाइकु कवयित्री 

मंजू सरावगी "मंजरी"


हाइकु

1.
ओस की बूंद
लजरते सुमन
सर्द हवायें ।

2.
शबनम सी
अधरों पर छाई
अतृप्त प्यास ।

3.
शरद ऋतु
प्रकृति उपहार
हीरों का हार ।

4.
निहारे नभ
धरा की सुंदरता
बिखेरे मोती ।

5.
स्वर्णिम आभा
भोर की रश्मि में
ओस की बूंदें ।

6.
समेट रहे
ये शबनमी मोती
सूर्य किरण ।

7.
धरा निहाल
मोतियों का श्रृंगार
खिलते फूल ।

8.
ओस की बूंदें
जलता तन मन
आवारा दिल ।
~ • ~

□  मंजू सरावगी "मंजरी"

रायपुर (छतीसगढ़)

हाइकु कवयित्री डॉ. सुरंगमा यादव जी के हाइकु

हाइकु कवयित्री 

डॉ. सुरंगमा यादव 

हाइकु 


1.
डूबती कश्ती
नाविक मगरूर
किनारा दूर ।

2.
पेट की ज्वाला 
जल से न बुझती
माँगे निवाला ।

3.
जीवन नभ
कभी फैला प्रकाश 
कभी है तम ।

4.
वड़वानल
जलता अंतस्थल 
मानस सिन्धु ।

5.
कितने भ्रम
बिजूका बन खड़े
डरते हम ।

6.
ढूँढते पता
अपना कौन यहाँ 
जीवन बीता ।
~ • ~

□  सुरंगमा यादव

~ हाइकुकार नवल किशोर सिंह जी के हाइकु ~


हाइकुकार

नवल किशोर सिंह


हाइकु


1
श्वेत वसन
काजल की कोठरी
निर्मल तन ।

2
लुप्त सितारे
अमावस की रात
काजल-नीर ।

3
पनारे रैन
कंटक सुख चैन
काजल-रैन ।

4
प्रीत प्रवास
विरहन की रात
सेज पे शूल ।

5
वेवफा मीत
चटक रही प्रीत
हृदय शूल ।

6
बाग के फूल
निर्भय रहे झूल
साथ में शूल ।
~ • ~

□  नवल किशोर सिंह

गुरुवार, 29 अगस्त 2019

~ हाइकु कवयित्री आरती बंसल जी के हाइकु ~


हाइकु कवयित्री 

आरती बंसल


हाइकु 

१.
शाख पे पाती
झूल रही अकेली
जीवन आस ।

२.
कोहरा छंटा
खिल गई प्रकृति
चटकीली सी ।

३.
पेड़ की शाखा
लद गई फूलों से
हँसी प्रकृति ।

४.
अटकी बूँदें
दिखें हीरक सम
पत्तों के कोने ।

५.
शाम सुहानी
छत पर डोलती
माँग सिंदूरी ।
~ • ~

□  आरती बंसल

~ हाइकुकार डॉ. सुशील शर्मा जी के हाइकु ~

हाइकुकार 

डॉ. सुशील शर्मा 


हाइकु 


1.
फूली सरसों
पीतिमा धरती में
नव कोंपलें।

2.
हिम का पात
पेड़ पर बैठा है
अकेला पंछी ।

3.
रश्मि किरण
कोहरे की ओस में
गेहूँ की बाली ।

4.
नन्ही चिड़िया
बिल्ली लगा रही है
बगुला ध्यान ।

5.
नील लोहित
विशाल समन्दर
श्वेत बगुला ।

6.
गोल चंद्रमा
आँगन के चूल्हे में
माई की रोटी ।
~ • ~

□  डॉ. सुशील शर्मा

~ हाइकु कवयित्री सुलोचना सिंह जी के हाइकु ~

हाइकु कवयित्री 

सुलोचना सिंह 


हाइकु 

1.

संघर्ष यात्रा 
चेहरे की झुर्रियाँ 
मिला ईनाम ।

2.

जीवन यात्रा 
वक्त की चाक पर 
दिन व रात ।

3.

निशा की यात्रा 
तारा मंडल साक्षी 
इंदु के साथ ।

4.

सत्य की जीत 
मनमोहन संग 
धर्म की यात्रा ।

5. 

तन का अंत 
जीवन है अनंत 
आत्मा की यात्रा ।
~ • ~

□  सुलोचना सिंह 
भिलाई, दुर्ग (छत्तीसगढ़)

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