हाइकु मञ्जूषा (समसामयिक हाइकु संचयनिका)

卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ हाइकु मञ्जूषा (समसामयिक हाइकु संचयनिका) संचालक : प्रदीप कुमार दाश "दीपक" ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐

गुरुवार, 31 अक्तूबर 2019

समसामयिक हाइकु संचयन (अक्टूबर - 2019)


🎋 हाइकु मंच छत्तीसगढ़ 🎋

समसामयिक हाइकु संचयनिका

अक्टूबर 2019 के श्रेष्ठ हाइकु

~ • ~

जीने की राह
सरल है उपाय
सेवा का भाव ।

□ श्रवण चोरनेले "श्रवण"

दूषित शिक्षा
छिनता बचपन
रोता खिलौना । 

□ मनीलाल "नवरत्न"

रात्रि प्रहर
छप्पर से छाँकती
चन्द्र किरणें ।

□ सुकमोती चौहान "रुचि"

चाँद के अश्रु 
कमल के पत्रों ने
सहेजे बिन्दु ।

□ प्रदीप कुमार दाश "दीपक"

मेघा बरसी
भीगी सारी धरती
फसल उगी ।

□ सुशीला साहू "शीला"

अमृत वर्षा 
शीतल सी यामिनी 
स्निग्ध चाँदनी ।

□ सुधा शर्मा

आज पूर्णिमा 
खीर के भोग पर
सुधा अणिमा ।

□ प्रदीप कुमार दाश "दीपक"

शशि बिखेरे 
शुभ्र धवल आभा
हर्षित धरा ।

□ वृंदा पंचभाई

आँखें ज्यों रोतीं
दर्पण पे उगते
आँसू के मोती ।

□ अमन चाँदपुरी

तप्त हृदय
लुटता  हुआ प्यार
मूक दर्शक ।

□ सुनील गुप्ता

साँझ जो हुई
अस्ताचल में चले
सुस्ताने रवि ।

□ सुशीला साहू "शीला"

मैं सुहागन
दोनों चाँद बसते
मेरे नयन ।

□ मंजू सरावगी "मंजरी"

खिले सुमन
पिया संग जीवन
महका मन ।

□ वृंदा पंचभाई

संकरा रास्ता 
खाई सटा पहाड़
पथिक तन्हा ।

□ सुनील गुप्ता

धुरी के बिना
घुम रही है पृथ्वी
पीसेंगे सभी ।

□ सुशीला साहू "शीला"

अस्त्र की होड़
विकास या विनाश
अंधी ये दौड़ । 

□ मनीभाई नवरत्न

मृदंग थाप
नाच रही मगन
दिव्यांग बाला ।

□ क्रान्ति

शोषण हुआ
संवेदनाएं जागीं
पोषण हुआ ।

□ सुनील गुप्ता 


रंगोली सजी
पुलकित धरती
मुस्करा उठी ।

□ सुजाता मिश्रा

तम हरता
स्वयं जल दीपक
प्रेरणा देता ।

□ मंजू सरावगी "मंजरी"

पुष्प महके 
दीप करे रौशन
धनतेरस ।

□ मधु गुप्ता "महक"

रंगोली सजी
मेरे मन आंगन 
सजे जीवन ।

□ वृंदा पंचभाई

अमा की रात 
दीपक लड़ रहा
तम के साथ ।

□ प्रदीप कुमार दाश "दीपक"

करता जंग 
घना तिमिर संग 
दीप अनंग ।

□ सुधा शर्मा

भाई का प्यार 
रोली और अक्षत
दमके भाल । 

□ स्वाति "नीरव"

ताजी सब्जियाँ
मिले गाँव के हाट
जैविक खाद ।

□ डाॅ. पुष्पा सिंह "प्रेरणा"

बेसूध गंध
हवा में बिखेरता
खेत का धान ।

□ सुशीला साहू "शीला"

●●●☆●●●

~ हाइकु कवयित्री डाॅ. पुष्पा सिंह "प्रेरणा" जी के हाइकु ~


हाइकु कवयित्री 

डाॅ. पुष्पा सिंह "प्रेरणा"


हाइकु 

उन्मुक्त पंछी
रंगोली में दर्शाती
महिला बन्दी ।
•••

गोधूलि बेला
मन्दिर की सीढ़ी पे
अबोध शिशु ।
•••

नदी किनारे
मगर के मुख में
मृग शावक ।
•••

संध्या आरती
गंगा के तट पर
शव दहन ।
•••

ताजी सब्जियाँ
मिले गाँव के हाट
जैविक खाद।
•••

□  डॉ. पुष्पा सिंह "प्रेरणा"

~ हाइकुकार डाॅ. सुशील शर्मा जी के हाइकु ~

हाइकुकार 

डाॅ. सुशील शर्मा 


हाइकु 

नन्हा सा दीप
चारों तरफ फैला
घोर तमस ।
••

दीप मालाएँ
वृक्षों पर झूलतीं
हरी लताएँ ।
••

असंख्य दीप
जल में लहराते
तारों के बिम्ब ।
••

घर आँगन
गोवर्धन की पूजा
प्रकृति प्रेम ।
••

दीप उत्सव
झोपड़ी में लटका
एक कंदील ।
•••


□  डॉ. सुशील शर्मा

मंगलवार, 29 अक्तूबर 2019

~ हाइकुकार गंगा प्रसाद पांडेय जी के हाइकु ~

हाइकुकार 

गंगा प्रसाद पांडेय "भावुक"

हाइकु


एक किरण
प्रकाश की ख़ातिर
हारेगा अंध ।
●●

फैली चमक
लो हुआ जगमग
अंधेरा छुपा ।
●●

ज्योति दिये की
कायर था अंधेरा
है दिया तले ।
●●

आंखों का नूर
दिखता जग सारा
ईश का वर ।
●●

हिय प्रकाश 
आत्मा की ज्योति
ज्ञान जलाये ।
●●●

□  गंगा प्रसाद पांडेय "भावुक"

~हाइकु कवयित्री डाॅ. सुरंगमा यादव जी के हाइकु~

हाइकु कवयित्री 

डाॅ. सुरंगमा यादव

हाइकु 

आगत शीत
स्वागत को उत्सुक 
दीपमालिका ।

जलते दीप 
प्रकाश की श्रृंखला 
बनाये खड़े ।

दीपों का डेरा
पराजित अंधेरा 
अमा की रात ।

जलता दीप 
शलभ ने बनाया
समाधिस्थल ।

गहन तम
आशान्वित करता
छोटा-सा दीप  !
●●●

□  डाॅ. सुरंगमा यादव

सोमवार, 28 अक्तूबर 2019

~ हाइकु कवयित्री सुधा शर्मा जी के हाइकु ~


हाइकु कवयित्री  

सुधा शर्मा 

हाइकु 

मावस निशा 
दीपक जल रहे
संग शलभ ।
●●

चीरती तम
फैला रहा उजास
नवल आस ।
●●

देहरी बैठ
जलती रही शमां 
तके आसमां ।
●●

करता जंग 
घना तिमिर संग 
दीप अनंग ।
●●

तमस हारा
अर्पित नन्हा दीप
जीवन सारा ।
●●●

□  सुधा शर्मा 
राजिम (छत्तीसगढ़)

रविवार, 27 अक्तूबर 2019

~ हाइकुकार संतोष कुमार सिंह जी के हाइकु ~

हाइकुकार 

संतोष कुमार सिंह 
हाइकु 

【1】
किया कमाल
दीपकों ने ठोकी है
तमों से ताल ।

【2】
ये मत भूल
हिलाता एक दीप
तम की चूल ।

【3】
हारें या जीतें
लडेंगे रातभर
तम से दीप ।

【4】
भरा है पाप
घर के साथ मन
कर तू साफ ।

【5】
झुग्गी के द्वारे
जलेंगे दीप कैसे
तेल न पैसे ।

【6】
दिये हमारे
देखते रहे रात
नभ से तारे ।

【7】
न था निर्झर
प्रकाश से नहाया
मेरा भी घर 

【8】
धरा के दिये
जलते देख, जले
नभ के तारे ।
●●●

□  सन्तोष कुमार सिंह

शुक्रवार, 18 अक्तूबर 2019

हाइकु कवयित्री डाॅ. सुरंगमा यादव जी के हाइकु

हाइकु कवयित्री 

डाॅ. सुरंगमा यादव 

हाइकु 


निशा सो गयी
अंक में भरकर
साँझ शिशु को ।

•••

गाती सुबह
दौड़ रहा दिवस
थकी रजनी ।

•••

चाँद आया तो
उछल पड़ा कैसे !
देखो सागर ।

•••

नदी विकल
फिर भी न ठहरी
पल दो पल ।

•••

निष्फल हुई 
पाषाण हृदय पे
आँसू की वृष्टि 

•••

रेतीला तट
कलाकार के भाव
पाते आकार

•••

गाँव से आये
फुटपाथ पे पड़े
कितने स्वप्न 

••••

□  डाॅ. सुरंगमा यादव

गुरुवार, 17 अक्तूबर 2019

~ हाइकुकार प्रदीप कुमार दाश जी के हाइकु ~

हाइकुकार 

प्रदीप कुमार दाश "दीपक"


हाइकु

--0-- 


पीर सताती
जुटा न पाया बाप
दो वक्त रोटी ।

•••

हाय जिंदगी 
भौतिकता की चाह
दौड़ लगाती ।

•••

पाना जो चाहा
सब कुछ पा लिया
मन क्या भरा ?

•••

जीवन जान
मन और चेतना
सर्वस्व मान ।

•••

□ प्रदीप कुमार दाश "दीपक"

सोमवार, 14 अक्तूबर 2019

~ हाइकु कवयित्री सुशीला साहू जी के हाइकु ~

हाइकु कवयित्री 

सुशीला साहू "शीला"


हाइकु
====


नभ शोभित 
अम्बर में सुमन
किरण छटा ।

••

दूर किरण
झिलमिल सितारे
ओस भ्रमित ।

••

अगणित भू
कुमुद सी चाँदनी
पराग कण ।

••

शरद चाँद
दुग्ध धवल खीर
सुधा पयोद ।

••

क्षितिज प्रभा
धवल शशी रंग
धरती शुभा ।

••

ठिठुर रग
मौसम मन भात
ओस की बूँद ।

••

चाँदनी रात
सुधा अति प्रितम
सखी भावनी ।
•••

□  सुशीला साहू "शीला"

रायगढ़ (छत्तीसगढ़)

रविवार, 13 अक्तूबर 2019

~ हाइकु कवयित्री वृंदा पंचभाई जी के हाइकु ~

हाइकु कवयित्री 

वृंदा पंचभाई


हाइकु


शरद ऋतु 
धवल शीतलता 
बिखेरे विभु ।

पूरनमासी 
किशन राधा संग 
नाचे गोकुल ।

शशि बिखेरे 
शुभ्र धवल आभा
हर्षित धरा।

रास रचाए
मदमस्त झूमता
शरद रात ।

शरद पून्नी
अमृत बरसाए
चंद्र धरा पे ।

शरद चंद्र
खुशियाँ बरसाए 
स्वाति की बूंद ।

आस लगाये 
ये चकोर ताकता
स्वाति की बूंद ।

टपके खुशी
शरद चंद्र संग 
नभ से आज ।
~ ● ~

□  वृंदा पंचभाई

~ हाइकु कवयित्री सुशीला साहू जी के हाइकु ~

हाइकु कवयित्री 

सुशीला साहू


हाइकु
~~~~

मेघा बरसी
भीगी सारी धरती
फसल उगी ।

•••

किसान सूनी
अन्न का भोग सुखी
बंजर भूमि ।

•••

सरिता बही 
नमी हवा ने सोखी
पहाड़ ऊँची ।

•••

घटा है काली
छा गए हैं बदली
हवा है चली ।

•••

मिलो भी जहां
सागर की गर्त में
अलग कहाँ ।

~ ••• ~

□  सुशीला साहू "शीला"
रायगढ़ (छत्तीसगढ़)

~ हाइकु कवयित्री सुधा शर्मा जी के हाइकु ~

हाइकु कवयित्री 

सुधा शर्मा 


हाइकु 


शरद पूर्णिमा 
जगमगाता चाँद  
दुग्ध धवल ।

चंद्रकिरण 
झिलमिल वसन
ओढी वसुधा ।

अमृत वर्षा 
शीतल सी यामिनी 
स्निग्ध चाँदनी ।

धवल स्नान 
प्रकृति आवरण
रजत प्रभा ।

हर्षित मन
शरद आगमन
पुष्प महके ।
~ ● ~

□ सुधा शर्मा
राजिम (छत्तीसगढ़)

शनिवार, 5 अक्तूबर 2019

"चारु चिन्मय चोका" हेतु महानुभावों के प्रतिभाव


 

चारु चिन्मय चोका 
(चोका संकलन)

                  दिनांक 02 अक्टूबर 2019 को गांधी जयंती के पावन अवसर पर कवि संगम रायगढ़ (छत्तीसगढ़) द्वारा आयोजित मासिक काव्य गोष्ठी रायगढ़ में भारत के ख्यातिप्राप्त 80 रचनाकारों का साझा चोका संग्रह "चारु चिन्मय चोका" का लोकार्पण.....
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            "चारु चिन्मय चोका" व "परछाइयाँ" दोनों पुस्तकें आज मुझे एक साथ प्राप्त हुईं, आपने इन पुस्तकों में बेहद श्रम किया है ।
            "चारु चिन्मय चोका" पुस्तक के आवरण चित्र का चयन अनुपम है, आवरण पृष्ठ का चित्र देखते ही मुझे गीता के पंद्रहवें अध्याय का -

"ऊर्ध्वमूलमधःशाखमश्वत्थं प्राहुरव्ययम् 
छन्दांसियस्य पर्णानि  यस्तं वेद स वेदवित् ।।"

          प्रथम श्लोक याद आ गया ।  विधा के भाव अनुसार इस आवरण पृष्ठ के चित्र में जो गूढ़ भाव छिपे हुए हैं, उसे हर कोई नहीं समझ सकता । 
          आप जैसे कर्मठ व समर्पित व्यक्तित्व को प्राप्त होना हिन्दी हाइकु विधा का सौभाग्य है । चोका की इस महत्वपूर्ण पुस्तक के प्रकाशन के साथ  इन जापानी विधाओं में आप छत्तीसगढ़, भारत, जापान ही नहीं पूरे विश्व के प्रतिष्ठित रचनाकारों में अपना स्थान बना लिए हैं । शुभकामनायें....
 मेरा आशीर्वाद सदा आपके साथ है । 

□  डाॅ. सुधा गुप्ता 
काकली, (मेरठ उ.प्र.)

प्रदीप जी का
प्रदीप्त सा प्रयास
आस्था विश्वास ।
       प्रदीप कुमार दाश दीपक जी की धुन का ये कमाल......
         सतत सफलता के पथ पे
चलें यही शुभ कामना......

□ अविनाश बागड़े

हार्दिक बधाई आ.प्रदीप भाई... निरंतर चल रहे आपके प्रयास अभिनंदनीय...

□ सुधा राठौर

जापानी काव्य विधा "चोका" की विलक्षण पुस्तक 'चारू चिन्मय चोका' प्राप्त। इस उत्कृष्ट पुस्तक मे मेरी भी दस रचनाएँ सम्मिलित । जापानी काव्य में मील का पत्थर साबित होने वाली इस पुस्तक में स्थान देने हेतु प्रदीप कुमार दाश जी का आभार ।प्रदीप जी की मेहनत इसमें परिलक्षित है ।

       □ डाॅ. अखिलेश शर्मा

आदरणीय मुझे अभी "चारू चिन्मय चोका" की प्रतियाँ प्राप्त हुई हैं ।
बेहद सुंदर पुस्तक ।
मैं स्वयं को इस पुस्तक में सम्मिलित पाकर खुद को भाग्यशाली महसुस कर रहा हूँ ।
आपका प्रयास एवं परिश्रम निश्चित रूप से प्रशंसनीय है, जो आपको कहाँ से कहाँ ले जा सकता है । पुस्तक पढ़ने के बाद मै फिर हाजिर होऊंगा।
 साहित्य सृजन में आपका कोई सानी नहीं  । बहुत-बहुत बधाइयाँ और शुभकामनाएँ । 

□ प्रकाश कांबले 

       आदरणीय प्रदीप जी हार्दिक बधाइयाँ ...
        आप ऐसे ही नये  नये कीर्तिमान स्थापित करते रहें । 
हमें भी लेखन में उत्साह मिलता  है ।  साथ में चोका लेखन में शरीक होने  वाले सभी रचना कारों  को भी बहुत बहुत बधाइयाँ । 

□  मधु सिंघी 

बधाई होवे
चारु चिन्मय चोका
शुभकामना।।

        "चारु चिन्मय चोका" के समस्त
रचनाकारों को मुद्रण की शुभकामनाएं, लिखें और लिखते जाएं, अच्छा लिखें और अच्छा लिखें ।।
        अंत में प्रदीप जी के सार्थक श्रम 
की जितनी प्रशंसा की जाय कम होगी ।।
     अपने एकाकी प्रयास से जो हाइकु, तांका, रेंगा एवं अब चोका संग्रह का राष्ट्रीय स्तर पर संकलन एवं
संपादन कर ज्ञान का जो दीपक जलाया है निःसन्देह बधाई के पात्र हैं ।।
       ईश्वर करे इनका ये जुनून दिनों दिन परवान चढ़ता रहे एवम इनकी सार्थक श्रम की भूख दिनों दिन बढ़ती रहे।
        हिंदी साहित्य आपके इस सार्थक प्रयास के लिए आपका ऋणी रहेगा ।
अंत में अनन्त शुभकामनाएं।।।

□ गंगा प्रसाद पांडेय "भावुक"

            "चारु चिन्मय चोका" के प्रकाशन पर आदरणीय संपादक महोदय प्रदीप जी को व समस्त रचनाकारों को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं, और मेरी रचनाओं को स्थान देने हेतु हार्दिक आभार व्यक्त करती हूँ ।

□ पूर्णिमा सरोज

प्रदीप कुमार दाश "दीपक जी द्वारा संपादित चोका संकलन "चारू चिन्मय चोका" जिसमें मैं भी शामिल हूँ ..आज प्राप्त हुई । प्रदीप जी हार्दिक आभार ....
       उत्कर्ष प्रकाशन द्वारा प्रकाशित इस पुस्तक का कलेवर बहुत सुंदर है ही ..साथ ही इसकी रचनायें, इसका संपादन भी बेहतरीन है..
       प्रदीप जी तथा अन्य सहयोगी रचनाकार को शुभकामनायें..

□ कंचन अपराजिता

आद० श्री. प्रदीप कुमार दाश दीपक सर जी को "चारू चिन्मय चोका" का अति सुंदर संकलन एवं संपादन के लिए हृदय तल से अनंत हार्दिक बधाई एवं अनंत शुभकामनाएँ!

सभी रचनाकारो को भी बहुत बहुत हार्दिक बधाई एवं हार्दिक अभिनंदन !

काव्य सुमन
चारू चिन्मय चोका
महके गंध  !!

दीप प्रदीप्त
जग करे रोशन
गुरु महान !!

□  रामेश्वर बंग

आदरणीय प्रदीप कुमार दाश दीपक जी, चारू चिन्मय चोका (चोका संकलन) और आपका अतीव साहित्य के लिए योगदान  के लिए जितनी भी प्रशंसा करें कम है। अनंत शुभकामनाएं।

□  प्रकाश कांबले

आज विद्यालय से लौटते ही "चारु चिन्मय चोका" का उपहार मिला । पुस्तक देखते ही खुशी का ठिकाना न रहा । बहुत-बहुत धन्यवाद आपको । सुंदर व्यवस्था, सुंदर छपाई, पृष्ठ अनमोल ....प्रत्येक चीज का ध्यान रखा है अापने, पुस्तक की छपाई में अनुभव झलकता है । बधाइयाँ ....

□ रंजना श्रीवास्तव 
नागपुर (महाराष्ट्र)

ये दीपक सा
व्यक्तित्व तुम्हारा है
प्रकाशमयी ।

बहुत बहुत बधाई प्रदीप जी.....

□  शीला भार्गव

लोकार्पण
चारु चिन्मय चोका
माइल स्टोन
अस्सी रचनाकार
राष्ट्रीय पहचान।।

दीपक जला
अंधेरे के ख़िलाफ़
रोशनी छायी
हाइकु ज्योति उगी
सबको दूं बधाई।।

□  गंगा प्रसाद पांडेय "भावुक"
           
निश्चय ही प्रदीपजी की जापानी विधाओं के प्रति निष्ठा प्रेम एवं प्रसार की अभिलाषा अतुल्य है।
रचनाकारों के प्रति उनका सहयोगी दृष्टिकोण प्रशंसनीय है।
🌹🙏🌹

□ इंदिरा किसलय

"चारु चिन्मय चोका" प्रदीप कुमार दाश जी द्वारा संपादित चोका संकलन प्राप्त हुआ । रचना चयन और प्रस्तुतिकरण दोनों ही दृष्टि से इस संकलन का दर्जा बहुत ही ऊँचा है । प्रदीप कुमार दाश जी की मेहनत और लगन का यह सुंदर नतीजा है । आदरणीय प्रदीप कुमार जी यकीनन आप बधाई के पात्र हैं ।

□ तुकाराम पुण्डलिकराव खिल्लारे

काव्य विधा जापान की, गुरु प्रदीप निष्णात ।
उनसे  पाया  ज्ञान  है , बड़े  गर्व ‌ की  बात ।।

"चारु चिन्मय चोका" अत्यंत सुंदर कलेवर में प्राप्त हुई। आंतरिक विषय को चरितार्थ करता मुखपृष्ठ पर एक समृद्ध वृक्ष ।

आदरणीय प्रदीप जी की परिकल्पना, संरचना, अथक परिश्रम और सम्पादन सभी अभिनंदनीय, साहित्याकाश में दैदीप्यमान एक चमकते नक्षत्र की तरह ।

नई नई विधाओं से परिचित कराना, फिर रचनाओं को पुस्तकबद्ध करना, यह हमारे लिए अत्यंत गौरव की बात । आ.प्रदीप जी की अन्वेषक दृष्टि नित नये आयाम रचती है ।

यह संग्रह मुझे बस अभी-अभी प्राप्त हुआ अतः सबको पढ़ नहीं पाई हूँ । मेरे सभी सह-रचनाकारों को हार्दिक बधाई और आ.प्रदीप जी का हृदय पूर्वक अभिनंदन और अनेकों धन्यवाद ।

सुधा राठौर
१०-१०-२०१९

हाइकु, तांका , चोका, सेदोका ....काव्य की इन विधाओं को पूर्ण समर्पित व्यक्तित्व
प्रदीप कुमार दाश दीपक के दो नए शाहकार
आज दोपहर पहुंचे मेरे द्वार।
परछाइयाँ....एक अद्भुत संकल्पना...साधुवाद
देवनागरी लिपि एक
भाषाएँ अनेक

"चारु चिन्मय चोका" में मुझे सहभागिता प्रदान करना
मेरा अहोभाग्य

उत्तरोत्तर
वैश्विक स्तर पर
प्रदीप सर
💐

□ अविनाश बागड़े
नागपुर (महाराष्ट्र)

       प्रदीप कुमार दास "दीपक" एक सच्चे साहित्य साधक हैं  वर्ष - २००० से साहित्य से जुड़े हुए हैं, और आज तक कई साझा संकलनों के संपादन कर चुके हैं। साहित्य साधक जीवन उनके २० साल पूर्ण हो चुके । हमारे छत्तीसगढ़ में उनका पहला छतीसगढ़ी हाइकु संग्रह "मइनसे के पीरा" है । अनुज प्रदीप युवा साहित्य साधक व हाइकु जापानी काव्य विधा के लिए समर्पित साधक हैं ।
मां शारदे की कृपा सदा बनी रहे । मेरी सदा मनसा हृदय में उठते रहे । अभी चोका जापानी काव्य विधा की किताब मिली । रचना कारों की रचनाएं मन को छूते हैं ।
भाई प्रदीप कुमार दास संपादक कला ज्ञान की पराकाष्ठा को और साधना वन के संघर्ष को भी अभिव्यक्त करते हैं ।
शुभ दिवस भाई ।

□ देवेन्द्र नारायण दास

 नमस्कार आदरणीय प्रदीप  जी,

आपके द्वारा संपादित चोका संग्रह देखी हूँ, बहुत  ही मनभावन उसका मुखपृष्ठ है जो हर चोका का प्रतिबिंब  सा एहसास कराता है । आपकी मेहनत संग्रह  मे झलक रही है ।  शुक्रिया  आपने मुझे भी संग्रह  मे स्थान दिया इससे मै स्वयं को गौरवान्वित  महसूस कर रही हूँ । आपका बहुत बहुत धन्यवाद ।

□ पूर्णिमा मिश्रा

     कल "चारु चिन्मय चोका" तथा "परछाइयाँ" दोनों पुस्तकें प्राप्त हुई.. दोनों में अनहद सुंदर व कलात्मक मुखपृष्ठ साथ में अत्यंत  उत्तम छपाई कार्य है...
         आदरणीय प्रदीप सर मैं अंतर्मन से आपकी आभारी हूँ कि आपने मेरी रचनाओं को "चारु चिन्मय चोका"  में स्थान दिया तथा "परछाइयाँ" में गुजराती अनुवादन का अवसर प्रदान किया.. सर चोका,  तांका , रेंगा यह सभी लेखन की विधाओं से आपने अवगत कराया इसलिए आपको अनेक साधुवाद... सभी रचनाकारों को अनेक हार्दिक अभिनंदन..🙏💐

□ अल्पा जीतेश तन्ना

      " चारु चिन्मय चोका" साझा संग्रह की प्रतियाँ आज प्राप्त हो गयीं..

श्री प्रदीप कुमार दाश "दीपक" जी को उनकी मेहनत लगन और श्रम साध्य काम के लिये बहुत बहुत बधाईयाँ.. हृदय से प्रसंशा आशीर्वाद और उनके उज्ज्वल भविष्य के लिये  शुभकामनायें...

ऐसे व्यक्तित्व की जितनी भी प्रसंशा की जाय कम ही होगी...

□ अखिलेश चंद्र श्रीवास्तव

      १/ चारु चिन्मय चोका जापानी काव्य विधा की गीत विधा है । प्रियात्मन प्रदीप कुमार दास "दीपक" जी द्वारा संपादित यह चोका विधा में ८० रचनाकारों का साझा संकलन है । यह एक राष्ट्रीय कृत संकलन है, जो हिंदी साहित्य की निधि बन गई है । प्रदीप कुमार दास जी जापानी काव्य विधा के एक कर्मयोगी साधक हैं २० वर्षों से निरंतर साहित्य सेवा करते हुए माँ सरस्वती की पूजा आराधना करते आ रहे हैं ।
इन्होंने "हाइकु वाटिका" हाइकुओं का संकलन है,
२/ "तांका की महक" तांका का साझा संकलन है, ३/ "चारु चिन्मय चोका",चोका साझा संकलन है । प्रदीप कुमार दास संपादन कला के जाने माने साहित्य साधक है । ४. झाँकता चांद
हाइकु का साझा संकलन है यह कृति भी राष्ट्रीय संकलन है।
५/मइनसेकी पीरा, प्रदीप कुमार दास जी का मौलिक हाइकु छत्तीसगढ़ी संकलन है । इस प्रकार प्रदीप कुमार दास जी की साहित्य साधना 20 वर्ष से भी अधिक हो चुकी है । साहित्य की दुनिया में साधना करते ज्ञान की पराकाष्ठा और साहित्य साधना जीवन के संघर्षों को अभिवादन करते हैं,
जापानी काव्य विधा के एक मर्मज्ञ साहित्यकार हैं । मैं इन्हें शुरू से जानता हूँ, इनके संपादन कला का मैं पारखी रहा हूँ । इस प्रकार प्रदीप कुमार दास जी ने हाइकु, तांका, चोका, रेंगा का साझा संकलन निकाल कर हिन्दी साहित्य की निधि में बढ़ोतरी की है । आज भी लेखन और संपादन में व्यस्त हैं, "परछाइयां" में इनके २७/हाइकुओं का देवनागरी लिपि तथा कई भाषाओं में लिप्यतंरण की कई भाषाओं और बोलियों में साहित्यकारों  से अनुवाद कराकर साहित्य में यह साबित कर दिया है कि देश की सबसे अधिक भाषाओं और बोलियों में जापानी काव्य विधा के काव्य लिखे जा सकते हैं ।
हिन्दी साहित्य की निधि में बढ़ोतरी का प्रयास सदा से ही रहा । छत्तीसगढ़ के साहित्यकारों  के योगदान को भूलाया नहीं जा सकता ।
मेरा आशीष हृदय से है ।

□  देवेन्द्र नारायण दास 
बसना (छ. ग.)

आदरणीय प्रदीप कुमार दाश दीपक जी द्वारा संपादित एवं उत्कर्ष प्रकाशन शाहदरा दिल्ली द्वारा मुद्रित व प्रकाशित पुस्तक, 'चारू चिन्मय चोका' (चोका संकलन) हाल ही में प्रकाशित हुई है।
 इस संकलन में भारत के ८० कवियों ने अपनी उपस्थिति दर्ज की है। शिल्प के दृष्टि से चोका की पंक्तियों में क्रमशः ५ और ७ वर्णो की आवृत्ति होती है तथा अंतिम पांच पंक्तियों मे ५,७,५,७,७,वर्णक्रम अर्थात एक तांका के क्रम से कविता पूर्ण होती है। यह जापानी काव्य विधाओं के स्वरूपों मे से एक है। आदरणीय संपादक श्री प्रदीप कुमार दाश दीपक जी के अथक प्रयास से यह सुंदर पुस्तक सफलतापूर्वक प्रकशित हो पाई है वे अभिनंदन और बधाई के पात्र हैं। मेरी भी कुछ कविताएं इस पुस्तक में शामिल की गई है मैं स्वतः को भाग्यशाली महसुस करता हूं । मैं संपादक श्री प्रदीप कुमार दाश दीपक जी को पुनः बधाई एवं अनेक शुभकामनाएं देता हूँ ।

प्रकाश कांबले
३१-१०-२०१९

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