हाइकुकार
स्व. राधेश्याम जी
(जन्म - 14 जनवरी 1922)
(देहावसान - 18 अप्रैल 2015)
स्व. राधेश्याम जी के हाइकु
हाइकु
--0--
धरा का ताप
देख न सके मेघ
रोना आ गया ।
--0--
खोल नयन
जो देखा दरपन
चुभते मन ।
--0--
बन्धन खुले
केश हवा में हिले
मन मचले ।
--0--
वन उदास
बुढ़ापा आसपास
फूला रे कास ।
--0--
रात अकेली
गिनती रही तारे
पिया न आये ।
--0--
हर अदाएँ
नज़ाकत की रस्में
गाती है नग्मे ।
--0--
तेरे सपने
बने मेरे अपने
प्रेम के संग ।
--00--
□ राधेश्याम (स्व.)184/2, शील कुंज, आई.आई.टी. कैम्पस, रुडकी-247667, जिला - हरिद्वार (उ.खण्ड)
स्व. राधेश्याम जी
(जन्म - 14 जनवरी 1922)
(देहावसान - 18 अप्रैल 2015)
स्व. राधेश्याम जी के हाइकु
हाइकु
--0--
धरा का ताप
देख न सके मेघ
रोना आ गया ।
--0--
खोल नयन
जो देखा दरपन
चुभते मन ।
--0--
बन्धन खुले
केश हवा में हिले
मन मचले ।
--0--
वन उदास
बुढ़ापा आसपास
फूला रे कास ।
--0--
रात अकेली
गिनती रही तारे
पिया न आये ।
--0--
हर अदाएँ
नज़ाकत की रस्में
गाती है नग्मे ।
--0--
तेरे सपने
बने मेरे अपने
प्रेम के संग ।
--00--
□ राधेश्याम (स्व.)
184/2, शील कुंज, आई.आई.टी. कैम्पस,
रुडकी-247667, जिला - हरिद्वार (उ.खण्ड)