हाइकु मञ्जूषा (समसामयिक हाइकु संचयनिका)

卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ हाइकु मञ्जूषा (समसामयिक हाइकु संचयनिका) संचालक : प्रदीप कुमार दाश "दीपक" ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐

शनिवार, 30 दिसंबर 2023

डॉ. रामनिवास 'मानव' जी के हरियाणवी हाइकु

डॉ. रामनिवास 'मानव' जी द्वारा रचित हरियाणवी हाइकु


डॉ. रामनिवास 'मानव'


हरियाणवी हाइकु


1.

सूरज आग्गै 

अंधेरा का राकस 

डर कै भाग्गै ।


2.

खिलै जै फूल 

हंसै घर-आंगण 

महकै धूळ ।


3.

हार के जीत 

सभ खेल भाग का 

समझो रीत ।


4.

जीवण-खेत 

हुया इब उस्सर 

उड़ै सै रेत ।


5.

मन सै तोत्ता 

अर तन पिंजरा 

घुट कै रोत्ता ।


6.

किसी सै खैर 

बैरी हुया जमाना 

अपणा गैर ।


7.

सांप-सपेरा 

मिलैं कदे राह मैं 

जाळ-मछेरा ।


8.

काम जो लाग्या 

कदे ना कदे भाग 

उसका जाग्या ।


9.

सो टंच खरी 

लाग्गै अपणी भासा 

गुड़-मिसरी ।


10.

मिले सैं कांट्टे 

हमनै तो फेर बी 

फूल ए बांट्टे ।


~ डॉ. रामनिवास 'मानव'

571, सैक्टर-1, पार्ट-2

नारनौल-123001 (हरियाणा)

मोबाइल : 8053545632

रविवार, 3 दिसंबर 2023

'नवचेतना' -- "हाइकु कवयित्री आ. आभा दवे जी द्वारा रचित एक प्यारा सा हाइकु संग्रह

"नवचेतना" -- हाइकु कवयित्री आभा दवे जी द्वारा रचित एक प्यारा सा हाइकु संग्रह

नवचेतना (हिंदी हाइकु संग्रह)

रचनाकार : आभा दवे

प्रथम संस्करण (पैपरबेक) : 2023

पृष्ठ- 107    मूल्य - 195/--

ISBN : 978-93-92915-24-6


        'हाइकु' तीन पंक्ति की एक संपूर्ण कविता है, 05-07-05 वर्ण क्रम की तीन पंक्ति में एक संपूर्ण काव्य संस्कार । हाइकु कवयित्री आ. आभा दवे जी द्वारा रचित सुंदर आवरण युक्त 107 पृष्ठीय प्रथम हाइकु संग्रह की पुस्तक 'नवचेतना' प्रकाशन वर्ष 2023 आज की डाक से हस्तगत हुई है ।  प्रकृति से प्रारंभ होते हुए 62 विभिन्न विषयों पर बहुत अच्छे-अच्छे हाइकु बिंब इस संग्रह में संग्रहित हुए हैं । कुछ हाइकु देखें-

नवप्रभात/चहकते परिंदे/झूमते पात । (प्रकृति शीर्षक हाइकु)

ओस की बूँदें/प्रभात में चमके/मोती दमके । (प्रभात कालीन बिंब)

हरी धरती/मनमोहन रूप/मन हरती । 

टूटी झोपड़ी/थाली में आ के गिरी/चाँद की रोटी । (भूख व गरीबी का एक मार्मिक चित्र)

नदी किनारे/बैठी है शाम सजी/सूर्य निहारे ।

शाम उतरी/आसमान के नीचे/निशा मुस्काई । (सांध्यकाल का सुंदर मानवीकरण)

न्यारा सृजन/सम्पूर्ण सृष्टि रूप/प्रभु के हाथ । (आध्यात्मिक बिंब)

वो कामगार/सिर पर आकाश/बेपरवाह । (श्रम के महत्व पर सुन्दर शब्द चित्र)

एक सितारा/जग का रखवाला/प्रभु हमारा  ।

मौन पत्थर/गढ़ दिया गया है/प्रभु मूरत । (आस्था पर आधारित)

पत्थर दिल/बन रहे इंसान/डोला ईमान । (संवेदनहीनता पर प्रहार करता समसामयिक हाइकु)

ढूँढती आँखें/चाँद को गगन में/पिया मन में । (प्रिय के प्रति पतिव्रता नारी का निश्छल प्रेम)

छवि सँवारे/नदी बनी दर्पण/यौवना हँसी ।

राधा का प्यार/दूर रह कर भी/कृष्ण हैं साथ । 

वामन पग/रखा अपना पग/नापी धरती ।

आगे बढ़ते/छूट जाता मंजर/जिंदगी यही । 

तूफान उठा/अंतर झकझोरा/मन को खोला । (जीवन यथार्थ पर सुन्दर शब्द चित्र)

    संग्रह के अंत में एक सुंदर सी हाइबुन रचना एवं दो हाइकु मुक्तक संग्रहित हैं । हाइकु साहित्य संसार में एक सुंदर, प्यारा सा एवं प्रभावी हाइकु संग्रह 'नवचेतना' के प्रवेश से मन प्रसन्न हो गया । संग्रह के प्रकाशन अवसर पर संग्रह की विदूषी कवयित्री आभा दवे जी को अनेकानेक शुभकामनाएं व हार्दिक बधाइयाँ ।


दिनांक - 03 दिसम्बर 2023


~ प्रदीप कुमार दाश 'दीपक'

संपादक : हाइकु मञ्जूषा

दूरभाष : 7828104111

शनिवार, 2 दिसंबर 2023

~ डॉ. मिथिलेश दीक्षित जी द्वारा रचित अवधी के हाइकु ~

डॉ. मिथिलेश दीक्षित

अवधी हाइकु


1.

पतझरवा

चुराय कै लै गवा

पेड़ पतवा !


2.

उडै चिरैया

मुँह का छुपाय कै

हंसै चिरैया !


3.

झुलवा झूलै

पात-पात छुई कै

चिरवा झूमै !


4.

छोड़ किनार

आगे बढ़त जात

पानी कै धार !


5.

संझा बतिया

अम्मा जलावै दीया

आवौ जिजिया !


~ डॉ. मिथिलेश दीक्षित

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