छत्तीसगढ़ के डोंगरगढ़ स्थित चन्द्रगिरि तीर्थ (chandragiri dongargarh jain temple) में शनिवार देर रात 2:35 बजे आध्यात्मिक चेतना के पुंज, प्रातः वंदनीय, मूकमाटी के रचयिता, महान तपस्वी, ज्ञानी हाइकुकार परम पूज्य 108 आचार्य भगवन जैन महामुनिराज विद्यासागर जी की संलेखनापूर्वक समाधि ।
संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी
18/02/2024
श्रद्धांजलि के हाइकु
शोक लहर
विलीन हुई देह
विद्या सागर ।
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मौन हो प्राण
निकल पड़ी यात्रा
महा प्रयाण ।
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रुठी बाँसुरी
अपूरणीय क्षति
मौन तपस्वी ।
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~ प्रदीप कुमार दाश 'दीपक'
बुझी न शमा
संयम मार्ग पर
मिली ज्योत से ।
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परमहंस
समाए अरिहंत
आत्मा अनन्त ।
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संत जीवन
संसार से विमुख
निर्मोही पथ ।
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~ राजेन्द्र सिंह राठौड
तन माटी का
फिर कैसा गुमान
कद काठी का ।
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जीवन तुला
सुख दुख पलड़े
कर्म वजन ।
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~ अभिषेक जैन
धर्म आध्यात्म
संवाहित सरल
नित कर्मठ ।
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योग निष्ठित
संलेखना में स्थित
अश्रुपूरित ।
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वाणी वाग्दत्ता
विद्या सागर पथ
ब्रह्म में स्थित ।
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~ सुशील शर्मा
विघासागर
ज्ञान भक्ति से भरी
भक्ति गागर ।
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सबके मन
जलाई ज्ञान ज्योति
मिटा अज्ञान ।
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गुरु के वचन
हर लेते हैं तम
भींगे अंतस ।
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~ सुनीता दीक्षित 'श्यामा'
संत तपस्वी
चिर निद्रा में लीन
महाप्रयाण ।
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असीम श्रद्धा
हम नतमस्तक
वैराग्यमूर्ति ।
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~ चंद्र प्रभा
पूज्य सन्त को
कोटि - कोटि नमन
पुण्य स्मरण !
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~ डॉ. मिथिलेश दीक्षित
नश्वर देह
परमात्मा मिलन
देह त्यागते ।
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आत्मा अमर
दिल में विराजते
संत महान ।
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~ गीता पुरोहित
संदली राहें
दिव्यात्मा अंतर्लीन
दुःखित मन ।
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महाप्रस्थान
पवित्र आत्मीयता
अपूर्ण क्षति ।
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~ भुपिन्दर कौर
कोटि नमन
परमात्मा मिलन
ज्ञान भवन ।
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आत्मा अमर
तजा देह नश्वर
जग समर ।
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श्रृद्धा सुमन
विनम्र श्रद्धांजलि
गुरु नमन ।
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~ कमलेश कुमार वर्मा
समाधि लीन
मुनी विद्यासागर
ज्योति स्वरूप ।
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ज्ञान दर्पण
समाधि से दर्शन
आशीष आस ।
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वात्सल्य भाव
मनुष्य कल्याणार्थ
मार्ग प्रशस्त ।
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गुरु वचन
धरोहर संसार
मुक्ति का मार्ग ।
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~ कुन्दन पाटिल
गुरु की वाणी
अहिंसा के रक्षार्थ
शस्त्र का साथ ।
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पग जो रखो
प्राणियों को बचाओ
बचो काँटों से ।
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~ ऋता शेखर 'मधु'
विद्या सागर
पथिक प्रेम पथ
ज्ञान गागर ।
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ऋतु पावस
श्रद्धावनत सब
जन मानस ।
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~ मुरारी स्वामी
चेतना पुंज
श्री विद्यासागर जी
समाधि लीन ।
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आत्ममंथन
सरल आचरण
संत जीवन ।
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ज्ञान दीपक
चेतन में जगाते
संत महान ।
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~ विद्या चौहान
तपस्वी कवि
जपे हाइकु माला
समाधि तक ।
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साधक कर
हाइकु से श्रृंगार
साहित्य सार ।
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~ निर्मला सुरेंद्रन
मौत बेदर्द
रुक न सका पल
ले गया छिन ।
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काल का क्षण
दुख दे जाता सदा
मृत्यु सत्य है ।
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अमृत वाक
गुरुदेव से मिला
शाश्वत सत्य ।
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नतमस्तक
रहूँ तेरे शरण
हे गुरुदेव ।
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~ रूबी दास "अरु"
चन्द्रगिरि पे
चेतना पुंज लिया
समाधि आज ।
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विद्यासागर
हाइकु में देखे थे
अहोभाव को ।
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~ अजय चरणम्
एक ही लक्ष्य
उत्कर्ष राह पर
ब्रह्म विलीन ।
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योग जन्मा थे
क्षणिक जीवन में
सिद्धि साधन ।
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माटी का तन
एक दिन जाना था
आत्मा की राह ।
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~ विद्युत प्रभा
निर्मोही संत
मूकमाटी सा जग
जग प्रणेता ।
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अमृत वाणी
अंग प्रत्यंग झरे
अतुल्य तेज ।
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कभी न हारे
विषमता के आगे
अडिग शैल ।
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~ मनोरमा जैन 'पाखी'
कर्म रहेंगे
गर चल भी दिये
संत नमन ।
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~ श्रद्धा वाशिमकर
महान संत
पंचतत्त्व - विलीन
यात्रा अनंत ।
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~ डॉ. विष्णु शास्त्री 'सरल'
सबके प्रिय
पंचतत्व विलीन
महान संत ।
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ज्ञान संदेश
देकर चले गए
प्रभु के देश ।
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~ प्रमोदिनी शर्मा
विद्या सागर
चेतना रूप ब्रह्म
तुम्हें नमन ।
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हुई अमर
संयम ग्यान जोत
दिखाती दिशा ।
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रचे हाइकु
त्याग तप संयम
थाती अमर ।
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~ पुष्पा मेहरा
निर्मानमोही
श्रेष्ठपदाधिकारी
सिद्ध जीवन ।
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~ संतोष कुमार प्रधान
भक्ति सागर
संतो में शिरोमणि
विद्यासागर ।
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~ सुनीता दीक्षित 'श्यामा'
नभ में सूर्य
सद्गुरु धरा पर
आलोक प्रसू ।
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मुमुक्षु जन
अर्जित ब्रह्मज्ञान
पा जाते त्राण ।
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~ इन्दिरा किसलय
साध संयम
चल पड़ा तपस्वी
अनंत पथ ।
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पूर्ण साधक
बांटता रहा योगी
जीव भावना ।
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~ शर्मिला चौहान
प्रातः नमन
हे जैन महामुनि
श्रद्धा सुमन ।
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तप तल्लीन
थे विद्या के सागर
ब्रह्म में लीन ।
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जर्जर काया
तपस्या प्रतिमूर्ति
ब्रह्म समाया ।
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~ गंगा पांडेय "भावुक"