हाइकु मञ्जूषा (समसामयिक हाइकु संचयनिका)

卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ हाइकु मञ्जूषा (समसामयिक हाइकु संचयनिका) संचालक : प्रदीप कुमार दाश "दीपक" ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐

रविवार, 18 फ़रवरी 2024

~ संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी को श्रद्धांजलि के हाइकु ~

छत्तीसगढ़ के डोंगरगढ़ स्थित चन्द्रगिरि तीर्थ (chandragiri dongargarh jain temple) में शनिवार देर रात 2:35 बजे आध्यात्मिक चेतना के पुंज,  प्रातः वंदनीय, मूकमाटी के रचयिता, महान तपस्वी, ज्ञानी हाइकुकार परम पूज्य 108 आचार्य भगवन जैन महामुनिराज विद्यासागर जी की संलेखनापूर्वक समाधि ।

संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी

18/02/2024

श्रद्धांजलि के हाइकु 


शोक लहर 

विलीन हुई देह

विद्या सागर ।


🌻🙏🌻


मौन हो प्राण 

निकल पड़ी यात्रा 

महा प्रयाण ।


🌻🙏🌻


रुठी बाँसुरी 

अपूरणीय क्षति 

मौन तपस्वी ।


🌻🙏🌻


~ प्रदीप कुमार दाश 'दीपक'


बुझी न शमा

संयम मार्ग पर 

मिली ज्योत से ।


🌻🙏🌻


परमहंस 

समाए अरिहंत 

आत्मा अनन्त ।


🌻🙏🌻


संत जीवन

संसार से विमुख 

निर्मोही पथ ।


🌻🙏🌻


~ राजेन्द्र सिंह राठौड


तन माटी का

फिर कैसा गुमान

कद काठी का ।


🌻🙏🌻


जीवन तुला

सुख दुख पलड़े

कर्म वजन ।


🌻🙏🌻


~ अभिषेक जैन


धर्म आध्यात्म

संवाहित सरल

नित कर्मठ ।


🌻🙏🌻


योग निष्ठित

संलेखना में स्थित

अश्रुपूरित ।


🌻🙏🌻


वाणी वाग्दत्ता

विद्या सागर पथ

ब्रह्म में स्थित ।


🌻🙏🌻


~ सुशील शर्मा


विघासागर

ज्ञान भक्ति से भरी

भक्ति गागर ।


🌻🙏🌻


सबके मन

जलाई ज्ञान ज्योति

मिटा अज्ञान ।


🌻🙏🌻


गुरु के वचन

हर लेते हैं तम

भींगे अंतस ।


🌻🙏🌻


~ सुनीता दीक्षित 'श्यामा'


संत तपस्वी 

चिर निद्रा में लीन

महाप्रयाण ।


🌻🙏🌻


असीम श्रद्धा

हम नतमस्तक

वैराग्यमूर्ति ।


🌻🙏🌻


~ चंद्र प्रभा


पूज्य  सन्त  को

कोटि - कोटि नमन

पुण्य  स्मरण  !


🌻🙏🌻


~ डॉ. मिथिलेश दीक्षित


नश्वर देह

परमात्मा मिलन

देह त्यागते ।


🌻🙏🌻


आत्मा अमर

दिल में विराजते

संत महान ।


🌻🙏🌻


~ गीता पुरोहित


संदली राहें 

दिव्यात्मा अंतर्लीन

दुःखित मन । 


🌻🙏🌻


महाप्रस्थान

पवित्र आत्मीयता 

अपूर्ण क्षति । 


🌻🙏🌻


~ भुपिन्दर कौर


कोटि नमन

परमात्मा मिलन

ज्ञान भवन ।


🌻🙏🌻


आत्मा अमर

तजा देह नश्वर

जग समर ।


🌻🙏🌻


श्रृद्धा सुमन

विनम्र श्रद्धांजलि

गुरु नमन ।


🌻🙏🌻


~ कमलेश कुमार वर्मा


समाधि लीन

मुनी विद्यासागर

ज्योति स्वरूप ।


🌻🙏🌻


ज्ञान दर्पण

समाधि से दर्शन

आशीष आस ।


🌻🙏🌻


वात्सल्य भाव

मनुष्य कल्याणार्थ

मार्ग प्रशस्त ।


🌻🙏🌻


गुरु वचन

धरोहर संसार

मुक्ति का मार्ग ।


🌻🙏🌻


~ कुन्दन पाटिल


गुरु की वाणी

अहिंसा के रक्षार्थ

शस्त्र का साथ ।


🌻🙏🌻


पग जो रखो

प्राणियों को बचाओ

बचो काँटों से ।


🌻🙏🌻


~ ऋता शेखर 'मधु'


विद्या सागर

पथिक प्रेम पथ

ज्ञान गागर ।


🌻🙏🌻


ऋतु पावस

श्रद्धावनत सब

जन मानस ।


🙏💐🙏


~ मुरारी स्वामी


चेतना पुंज

श्री विद्यासागर जी

समाधि लीन ।


🌻🙏🌻


आत्ममंथन

सरल आचरण

संत जीवन ।


🌻🙏🌻


ज्ञान दीपक

चेतन में जगाते

संत महान ।


🌻🙏🌻


~ विद्या चौहान


तपस्वी कवि

जपे हाइकु माला 

समाधि तक ।


🌻🙏🌻


साधक कर

हाइकु से श्रृंगार

साहित्य सार ।


🌻🙏🌻


~ निर्मला सुरेंद्रन


मौत बेदर्द

रुक न सका पल

ले गया छिन ।


🌻🙏🌻


काल का क्षण

दुख दे जाता सदा

मृत्यु सत्य है ।


🌻🙏🌻


अमृत वाक

गुरुदेव से मिला

शाश्वत सत्य ।


🌻🙏🌻


नतमस्तक 

रहूँ तेरे शरण

हे गुरुदेव । 


🌻🙏🌻


~ रूबी दास "अरु"


चन्द्रगिरि पे

चेतना पुंज लिया

समाधि आज ।


🌻🙏🌻


विद्यासागर

हाइकु में देखे थे

अहोभाव को ।


🌻🙏🌻


~ अजय चरणम्  


एक ही लक्ष्य

उत्कर्ष राह पर

ब्रह्म विलीन ।


🌻🙏🌻


योग जन्मा थे

क्षणिक जीवन में

सिद्धि साधन ।


🌻🙏🌻


माटी का तन

एक दिन जाना था

आत्मा की राह ।


🌻🙏🌻


~ विद्युत प्रभा


निर्मोही संत 

मूकमाटी सा जग 

जग प्रणेता ।


🌻🙏🌻


अमृत वाणी 

अंग प्रत्यंग झरे 

अतुल्य तेज ।


🌻🙏🌻


कभी न हारे 

विषमता के आगे 

अडिग शैल ।


🌻🙏🌻


~ मनोरमा जैन 'पाखी'


कर्म रहेंगे

गर चल भी दिये

संत नमन ।


🌻🙏🌻


~ श्रद्धा वाशिमकर


महान संत

पंचतत्त्व - विलीन

यात्रा अनंत ।


🌻🙏🌻


~ डॉ. विष्णु शास्त्री 'सरल'


सबके प्रिय

पंचतत्व विलीन

महान संत ।


🌻🙏🌻


ज्ञान संदेश

देकर चले गए

प्रभु के देश ।


🌻🙏🌻


~ प्रमोदिनी शर्मा 


विद्या सागर  

चेतना रूप ब्रह्म

तुम्हें नमन ।


🌻🙏🌻


हुई  अमर 

संयम ग्यान जोत

दिखाती दिशा ।


🌻🙏🌻


रचे हाइकु  

त्याग तप संयम   

थाती अमर ।


🌻🙏🌻


~ पुष्पा मेहरा


निर्मानमोही

श्रेष्ठपदाधिकारी

सिद्ध जीवन ।


🌻🙏🌻


~ संतोष कुमार प्रधान


भक्ति सागर

संतो में शिरोमणि

विद्यासागर ।


🌻🙏🌻


~ सुनीता दीक्षित 'श्यामा'


नभ में सूर्य

सद्गुरु धरा पर

आलोक प्रसू ।


🌻🙏🌻


मुमुक्षु जन

अर्जित ब्रह्मज्ञान

पा जाते त्राण ।


🌻🙏🌻


~ इन्दिरा किसलय


साध संयम

चल पड़ा तपस्वी

अनंत पथ ।


🌻🙏🌻


पूर्ण साधक

बांटता रहा योगी

जीव भावना ।


🌻🙏🌻


~ शर्मिला चौहान


प्रातः नमन 

हे जैन महामुनि

श्रद्धा सुमन ।


🌻🙏🌻


तप तल्लीन 

थे विद्या के सागर

ब्रह्म में लीन ।


🌻🙏🌻


जर्जर काया

तपस्या प्रतिमूर्ति

ब्रह्म समाया ।


🌻🙏🌻


~ गंगा पांडेय "भावुक"

शुक्रवार, 5 जनवरी 2024

~ ସମଲପୁରି ହାଇକୁକାର ନିହାର ବେହେରାଙ୍କ ସମଲପୁରି ହାଇକୁ ~

ନିହାର ବେହେରାଙ୍କ ସମଲପୁରି ହାଇକୁ 


ନିହାର ବେହେରା 

ହାଇକୁ 


ଅସତ କଥା 

ଦୁଇଦିନିଆଁ ରଙ୍ଗ 

ସରଲା ଢଙ୍ଗ ।


ସତ ସପନ 

ନୁହେଁ କେଭେଁ ଭରମ 

ମାହାପ୍ରୁ ମନ ।


ଦୁଖ ତ ସୁଖ 

ଦୁଖ ଗଲେ ଜିବନ 

ଥରେ ମରନ ।


ମନଟା କାଚ 

ଥରେ ଭାଙ୍ଗଲେଁ ଗଲା 

ସବୁ ସରଲା ।


ମହତ କଥା 

ମହତ ଏକା ଗୁନ

ମନର ଧୁନ ।


ଆମର ଭାସା 

ସରଗର ଅମୃତ 

ସବୁ ସୁରୁତ ।


ଭାବର ନଦିଁ 

ଥରେ ହେଲେଁ ଗାଧିନେ 

ସବୁ ଦେଖିନେ ।


ସୁରୁଜ ଜନ 

ତରା ମେଘ ପୁରଥି 

ମାଆଁ ଧରତି ।


ଖରା ବରସା 

ସିତ କାକର କଥା 

ଜିବନ ଲଥା ।


ଜିବନ ଗୁଟେ

ହର ରଙ୍ଗ ସପନ 

ଜିବା ସରନ ।


ଆତ୍ମାର ସାଁଗେଁ 

ପରମାତ୍ମା ମିଲନ 

ନୁଆଁ ଝରନ ।


କେନକେ ଜିବୁ

କାହିଁ ଆରୁ ପଲାବୁ 

ଥରେ ଜାନବୁ ।


ହେ ଭଗବାନ 

ତୁମର ନା ଧରମି 

ଭବୁଁ ତରମି ।


ମା ସମଲେଇ 

ଦୁଖ ପାପ ହରନି

ଗୁନ ଗାଏମି  ।


ବନିହାଁ ଦୁର 

ଆମେ ତ ସଭେ ଜିମା 

ଠାନେ ରହେମା ।


ମହତ ପନ 

ଜୁଗ ଜୁଗ ଆକାସ 

ସତ ଝକାସ ।


ସମଲପୁରି 

ଢୋଲ ନିସାନ ତାସା

ବଢ଼େ ସରସା ।


ହିରାକୁଦର 

ହିରା ନିଲାର ପାନି 

ମନ ମହନି ।


ପାଚଲା ଧାନ 

ସୁନା ଖେତ ହଁସଲା 

ମନ ନାଚଲା ।


ଚୁଟକୁ ଚୁଟା 

ରାଗେଁ ନୁନ ମିରଚା 

ଢେଁକିର କୁଟା ।


ବାସି ପଖାଲ 

ଟିକେ ନୁନ ମିରଚା 

ଉଏଲ କଁଚା ।


କଲିଆ କାନୁ 

କେତେ ଉତପତିଆ 

ବାଜଲା ବେନୁ ।


କାଣା ଜେ ହେବା 

ମୋର ଜିବନ ଯାଉ 

ଫୁଲ କଁହରୁ ।


ନାଗର ଫେନ 

ଫୁଟଲା ଫୁଲ ଜେନ୍ତା

ବିସର କଁଟା ।


ସମଲପୁରି 

ଖଣ ଖଣ ଖିରସା 

ମଧୁର ମେସା ।

•••


~ ନିହାର ବେହେରା 

ରେମତା ହାଇସ୍କୁଲ, ବ୍ଳକ - ବରପାଲି 

ଜିଲା - ବରଗଡ଼ (Odisha)

Pin - 768029

Mob. 9861274310

शनिवार, 30 दिसंबर 2023

डॉ. रामनिवास 'मानव' जी के हरियाणवी हाइकु

डॉ. रामनिवास 'मानव' जी द्वारा रचित हरियाणवी हाइकु


डॉ. रामनिवास 'मानव'


हरियाणवी हाइकु


1.

सूरज आग्गै 

अंधेरा का राकस 

डर कै भाग्गै ।


2.

खिलै जै फूल 

हंसै घर-आंगण 

महकै धूळ ।


3.

हार के जीत 

सभ खेल भाग का 

समझो रीत ।


4.

जीवण-खेत 

हुया इब उस्सर 

उड़ै सै रेत ।


5.

मन सै तोत्ता 

अर तन पिंजरा 

घुट कै रोत्ता ।


6.

किसी सै खैर 

बैरी हुया जमाना 

अपणा गैर ।


7.

सांप-सपेरा 

मिलैं कदे राह मैं 

जाळ-मछेरा ।


8.

काम जो लाग्या 

कदे ना कदे भाग 

उसका जाग्या ।


9.

सो टंच खरी 

लाग्गै अपणी भासा 

गुड़-मिसरी ।


10.

मिले सैं कांट्टे 

हमनै तो फेर बी 

फूल ए बांट्टे ।


~ डॉ. रामनिवास 'मानव'

571, सैक्टर-1, पार्ट-2

नारनौल-123001 (हरियाणा)

मोबाइल : 8053545632

रविवार, 3 दिसंबर 2023

'नवचेतना' -- "हाइकु कवयित्री आ. आभा दवे जी द्वारा रचित एक प्यारा सा हाइकु संग्रह

"नवचेतना" -- हाइकु कवयित्री आभा दवे जी द्वारा रचित एक प्यारा सा हाइकु संग्रह

नवचेतना (हिंदी हाइकु संग्रह)

रचनाकार : आभा दवे

प्रथम संस्करण (पैपरबेक) : 2023

पृष्ठ- 107    मूल्य - 195/--

ISBN : 978-93-92915-24-6


        'हाइकु' तीन पंक्ति की एक संपूर्ण कविता है, 05-07-05 वर्ण क्रम की तीन पंक्ति में एक संपूर्ण काव्य संस्कार । हाइकु कवयित्री आ. आभा दवे जी द्वारा रचित सुंदर आवरण युक्त 107 पृष्ठीय प्रथम हाइकु संग्रह की पुस्तक 'नवचेतना' प्रकाशन वर्ष 2023 आज की डाक से हस्तगत हुई है ।  प्रकृति से प्रारंभ होते हुए 62 विभिन्न विषयों पर बहुत अच्छे-अच्छे हाइकु बिंब इस संग्रह में संग्रहित हुए हैं । कुछ हाइकु देखें-

नवप्रभात/चहकते परिंदे/झूमते पात । (प्रकृति शीर्षक हाइकु)

ओस की बूँदें/प्रभात में चमके/मोती दमके । (प्रभात कालीन बिंब)

हरी धरती/मनमोहन रूप/मन हरती । 

टूटी झोपड़ी/थाली में आ के गिरी/चाँद की रोटी । (भूख व गरीबी का एक मार्मिक चित्र)

नदी किनारे/बैठी है शाम सजी/सूर्य निहारे ।

शाम उतरी/आसमान के नीचे/निशा मुस्काई । (सांध्यकाल का सुंदर मानवीकरण)

न्यारा सृजन/सम्पूर्ण सृष्टि रूप/प्रभु के हाथ । (आध्यात्मिक बिंब)

वो कामगार/सिर पर आकाश/बेपरवाह । (श्रम के महत्व पर सुन्दर शब्द चित्र)

एक सितारा/जग का रखवाला/प्रभु हमारा  ।

मौन पत्थर/गढ़ दिया गया है/प्रभु मूरत । (आस्था पर आधारित)

पत्थर दिल/बन रहे इंसान/डोला ईमान । (संवेदनहीनता पर प्रहार करता समसामयिक हाइकु)

ढूँढती आँखें/चाँद को गगन में/पिया मन में । (प्रिय के प्रति पतिव्रता नारी का निश्छल प्रेम)

छवि सँवारे/नदी बनी दर्पण/यौवना हँसी ।

राधा का प्यार/दूर रह कर भी/कृष्ण हैं साथ । 

वामन पग/रखा अपना पग/नापी धरती ।

आगे बढ़ते/छूट जाता मंजर/जिंदगी यही । 

तूफान उठा/अंतर झकझोरा/मन को खोला । (जीवन यथार्थ पर सुन्दर शब्द चित्र)

    संग्रह के अंत में एक सुंदर सी हाइबुन रचना एवं दो हाइकु मुक्तक संग्रहित हैं । हाइकु साहित्य संसार में एक सुंदर, प्यारा सा एवं प्रभावी हाइकु संग्रह 'नवचेतना' के प्रवेश से मन प्रसन्न हो गया । संग्रह के प्रकाशन अवसर पर संग्रह की विदूषी कवयित्री आभा दवे जी को अनेकानेक शुभकामनाएं व हार्दिक बधाइयाँ ।


दिनांक - 03 दिसम्बर 2023


~ प्रदीप कुमार दाश 'दीपक'

संपादक : हाइकु मञ्जूषा

दूरभाष : 7828104111

शनिवार, 2 दिसंबर 2023

~ डॉ. मिथिलेश दीक्षित जी द्वारा रचित अवधी के हाइकु ~

डॉ. मिथिलेश दीक्षित

अवधी हाइकु


1.

पतझरवा

चुराय कै लै गवा

पेड़ पतवा !


2.

उडै चिरैया

मुँह का छुपाय कै

हंसै चिरैया !


3.

झुलवा झूलै

पात-पात छुई कै

चिरवा झूमै !


4.

छोड़ किनार

आगे बढ़त जात

पानी कै धार !


5.

संझा बतिया

अम्मा जलावै दीया

आवौ जिजिया !


~ डॉ. मिथिलेश दीक्षित

गुरुवार, 23 नवंबर 2023

~ हिन्दी की महान साध्वी हाइकु कवयित्री स्वर्गीय डॉ. सुधा गुप्ता जी को समर्पित श्रद्धांजलि के हाइकु ~

 *महान हाइकु कवयित्री स्व. डॉ. सुधा गुप्ता जी*

डॉ. सुधा गुप्ता जी
18 मई 1934 :: 18 नवम्बर 2023


🙏 *श्रद्धांजलि के हाइकु* 🙏

स्मृति के वन

दिवंगत सुधा जी

श्रद्धा सुमन ।


रही न दीदी

भाई के पास अब

शेष हैं स्मृति ।


स्नेहिल सुधा 

हाइकु का संसार

धनाढ्य हुआ ।


~ प्रदीप कुमार दाश 'दीपक'


भाव लेखनी

चाँद का कैनवास

सुधा के चित्र ।


प्रकृति मित्र

हाइकु के विन्यास

सुधा के चित्र ।


सुधा कृतित्व

देती है श्रद्धाजंलि

मृत्यु अटल ।


~ सुशील शर्मा


दुखद घड़ी 

विनम्र श्रद्धांजलि

भावों से भरी ।


मन क्रंदन

सुधाजी को हमारा

कोटि वंदन ।


उगता चांद

तारों के घराने में

गुम हो गया ।


मृत्यु अटल

हुआ सुधा के बिना

सूना पटल ।


स्मृतियां शेष

हाइकु रचनाएं

लिखी विशेष ।


~ सुनीता दीक्षित 'श्यामा'


दीदी के खत

मेरी डायरी में ही

याद आयेगी ।


रो नहीं पाया 

शोक समाचार पा

आंसू नैन में ।


नभ से टूटा

चमकीला सितारा

मन तो रोया ।


मेरा नमन

हे महा आत्म प्राण

विदग्ध मन ।


~ देवेन्द्र नारायण दास


ये मोमबत्ती

लेखन अविरत

याद उनकी ।


सुरभिमय

हाइकु सा जीवन

संचित धन ।


श्रद्धा सुमन

सुधा गुप्ता सृजन

व्यथित मन ।


द्रवित मन

करते है मनन

सुधा सृजन ।


लिखे हाइकु

शब्द शब्द संजोय

लो थमे भाव ।


स्मृति ही शेष

बात यह विशेष

सुधा सृजन ।


~ अविनाश बागड़े 


स्मृतियाँ शेष

हाइकु महारानी

श्रद्धा सुमन ।


सुधा बहन

गागर में सागर

हाइकु भरे ।


~ पुरोहित गीता


आशीष चाह

मन में रह गई 

आप जो नहीं ।


दर्द गहरा 

हाइकु वाणी संग 

आप विलुप्त ।


यादें है शेष 

साहित्य परिचय 

डाॅ. सुधा गुप्ता ।


~ कुन्दन पाटिल


अम्मा की छवि

सुधा दीदी में दिखी

गर्दन झुकी ।


~ आर. बी. अग्रवाल


शब्दों की याद

अब है मरीचिका

बुझे न प्यास ।


~ विवेक कवीश्वर


भीगे मन से

श्रद्धांजलि अर्पित

कठिन घड़ी ।

                          

आत्मा की शांति

दिवंगत के प्रति

कृतघ्न धरा ।


हाइकु सूना

मुस्कुराता चेहरा

स्मृतियां शेष ।


~ पूनम भू


दूर देश को

सुधा कलश ले

विलीन आत्मा । 


मन-मंदिर 

यादों में विराजती

नमन उन्हें ।


शब्द मौन हैं 

देते हैं श्रद्धांजलि

भर अंजुलि । 


~ आभा दवे


साहित्य को ही

प्रेरणा स्रोत बना 

जीवन बीता ।


साधना लीन

उत्कृष्ट व्यक्तित्व हो 

जीवन जिया ।


सहज बन

मोह ममता तज

प्रयाण किया ।


मेरा नमन

सुधा नाम विभूति

ज्ञानदीप को ।


~ चन्द्र प्रभा


छीन ली "सुधा"

देवों की शांत हुई

फिर से क्षुधा ।


गयी है "सुधा"

फिर देवों के पास

छोड़ वसुधा ।


यही नियति

देवलोक में ही है

"सुधा" का स्थान ।


~ अलंकार आच्छा


लो रिक्त हुआ !

अमृत से भरा वो –

‘सुधा’ कलश ।

 

क्या कहा – अस्त ?

न...न... कवि रहते 

सदा अमर ! 


सदा ही दिया 

ज्ञान उन्होंने, आज....  

खालीपन भी !


कैसे संभव? 

सुधा स्वयं ही लीन 

पंचतत्त्व में । 


बड़ा कठिन! 

ये बताना – ‘क्या खोया’? 

‘उन्हें’ खोकर ।  


जाना तो तय 

फिर भी घबराता 

मन बाँवरा ।  


रह...रह....के 

दिल को कचोटती 

उनकी यादें ! 


शाख से झड़ा  

सर्वश्रेष्ठ गुलाब  

उजड़ा बाग । 


बिन बताए 

चले वे चुपचाप..

कहीं मिलेंगे ? 


अगली यात्रा!

अपने सूरज को

(वे)ढूँढने चली..


कहे स्वयं को 

प्रबुद्ध होकर भी 

‘मैं निर्गुनिया’ ! 


~ डॉ. पूर्वा शर्मा


चन्दन सुधा 

हाइकु अमृत पी 

अमर हुईं ।


कभी न बुझे 

हाइकु ज्ञान ज्योति 

सुधा से जली ।


कोमल मन 

भावों की निर्झणनी

था तव रूप ।


परम आत्मा 

तुम्हारी प्रिय दीदी 

पाए विश्राम ।


~ पुष्पा मेहरा


श्रद्धा सुमन 

विनम्र श्रद्धांजलि 

भावुक मन ।


~ अरुण आशरी 


धरा को छोड़

स्वर्ग के पथ पर

निस्पृह आत्मा ।


सजल नेत्र

सगे और संबंधी

नेह के बंध ।


सुधा सागर

ससक्त हस्ताक्षर

हाइकु रंग ।


~ मनीष कुमार श्रीवास्तव


स्मृति है शेष

बाकी सब निःशेष

सुधा विशेष ।


जीवन जाना

होता है अनिवार्य

यादें हैं खास ।


स्मृतियां अब

करेंगी परेशान

परिजनों को ।


कैसे बनता

भावना का समुद्र

आंखें सजल ।


~ सतीश राठी


सुधा कलश

सिंचित व पुष्पित 

हाइकु वन ।


सजल नैन 

मार्मिक वर्तमान

द्रवित मन ।


सुधा अमृत 

हाइकु कलाकृति

अमर हुई ।


~ प्रमोदिनी शर्मा


सुधा पहुंचीं

सुधा सागर पास

एक होने को ।


सदा रहूंगी

तुम्हारे आसपास

हाइकु बन ।


माथे चंदन

हृदय सुधा रस

दीदी नमन ।


~ अजय चरणम्


सुधा ही सुधा

जीवन से बरसा

हाइकु रूप ।


स्वर्गारोहण

सुधा कलश सम

जीवन धन्य ।


उमड़ी यादें

बरसता दुलार

सुधा अपार ।


रचे हाइकु

मानवता के हेतु

अमृत रूप ।


~ गंगा पाण्डेय "भावुक"


सुधा जी गईं 

इस लोक को छोड़ा 

हुईं विजयी ।


श्रद्धा - सुमन 

सादर समर्पित 

दु:खी है मन ।


सदा जीवंत 

भव्य सृजनालोक 

कभी न अंत ।


स्मृतियाँ शेष

हाइकु विस्तारित 

हुए विशेष ।


सार्थक नाम 

इतिहास बना है

बोलेगा काम ।


यश धवल 

हिमवंत सदृश 

रहे अचल ।


~ डॉ० विष्णु शास्त्री ' सरल '


अनभिज्ञ हूँ

सुधा का अस्तित्व 

जान न पाई ।


जान पाई मैं

पहचान तुम्हारी

जाने के बाद ।


भाग्यहीन मैं

श्रद्धा अर्पण कर

करूँ नमन ।


~ रुबी दास "अरु"


दीप कलश

एक बार खो गया

अब न मिले ।


वह रोशनी 

हाइकू मे रहेगी 

बन भविष्य ।


याद बनी है

हाइकु में रहेगी 

एक रोशनी ।


~ कश्मीरी लाल चावला


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