हाइकु मञ्जूषा (समसामयिक हाइकु संचयनिका)

卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ हाइकु मञ्जूषा (समसामयिक हाइकु संचयनिका) संचालक : प्रदीप कुमार दाश "दीपक" ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐

मंगलवार, 4 दिसंबर 2018

हाइकु दिवस प्रस्तुति

हाइकु मञ्जूषा
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"04 दिसम्बर 2018 - हाइकु दिवस"
आज के चयनित प्रतिनिधि हाइकु
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{1}
धान की बाली
महकती कुटिया
खुश कृषक ।

□ प्रदीप कुमार दाश "दीपक"

{2}
कर्ज की पीड़ा
किसान की तड़प
खेतों को झाँके ।

□ पूनम आनंद

{3}
पके फसल
हर्षित है कृषक
हुआ सफल ।

निमाई प्रधान "क्षितिज"

{4}
आँधी का वेग
बरबाद फसल
रोता कृषक ।

□ डाॅ. रेखा जैन

{5}
कृषक दंग
मौसम का अंदाज
हुआ बेढंग ।

□ प्रकाश कांबले

{6}
फाड़े जो धरा
उगायें अन्न धन
वही विपन्न ।

□ गंगा प्रसाद पांडेय "भावुक"

{7}
आज कृषक
करता आत्महत्या
कर्ज में डूबा ।

□ हारुन वोरा

{8}
मौसम आग
कृषक का दुर्भाग्य
फसल राख ।

□ नवल किशोर सिंह

{9}
शीत- बरखा
कृषक के भाग्य में
रहता सूखा ।

□ सुधा राठौर

{10}

लगती प्यारी
खेतों खड़ी फसल
श्रम है भारी ।

□ संतोष खन्ना

{11}
बाग-बगीचे
खेत व खलिहान
स्तंभ किसान ।

□ माधुरी डड़सेना

{12}
पार्टी जीतती
किसान हारता है
हर चुनाव ।

□ मनीलाल पटेल

{13}
रंग लायी है
कृषक के खेत में
फसल अच्छी ।

□ ए. ए. लूका

{14]
कृषक स्वेद
सींच गई धरती
अन्न की भेंट ।

□ गीता द्विवेदी

{15}
सपने बोये
अरमानों की खाद
फसल कटी ।

□ अलका त्रिपाठी

{16}
बैल व हल
कृषक का है बल
मिलता फल ।

□ मधु गुप्ता "महक"

{17}
मिले रतन
मिट्टी पर उपजे
स्वर्ण की बाली ।

□ तेरस कैवर्त्य "आँसू"

{18}
कर्म बुआई
कृषक हाथ खाली
ऋण कटाई ।

□ पूर्णिमा साह

{19}
सूखे खेत हैं
चढ़ आए बादल
खुश कृषक ।

□ कश्मीरी लाल चावला

{20}
खड़ी फसल
मन मोहित करे
खुशी असल ।

□ श्रवण चोरनेले "श्रवण"

{21}
स्वेद की स्याही
श्रम का महाकाव्य
रचे किसान ।

□ डाॅ. सुरंगमा यादव

{22}
रोता किसान
हरजाई मौसम
बदले रंग ।

□ स्नेहलता "स्नेह"

{23}
नई फसल
किंकर्तव्यविमूढ़
कृषि निर्जल ।

□ शेख़ शहज़ाद उस्मानी

{24}
रजत वर्षा
भू से उपजा स्वर्ण
कृषक हर्षा ।

□ ऋतुराज दवे

{25}
जाड़े में गाँव
अलसाया सूरज
धुएँ में नाव ।

□ सुशील कुमार शर्मा

{26}
प्रखर भानु
विश्व है विभूषित
नत जगत ।

□ पूर्णिमा सरोज

{27}
होगा सवेरा
हटा कर अंधेरा
रवि का फेरा ।

□ पद्ममुख पंडा

{28}
सर्द मौसम
सुमन पे बिखरे
ओस के मोती ।

□ सविता बरई "वीणा"

{29}
मौसम सर्द
छोड़ गया है सिर्फ़
दर्द ही दर्द ।

□ सूर्यनारायण गुप्त "सूर्य"

{30}
सर्दी की शाम
अलाव जला तापें
दादा अकेले ।

□ मंजू शर्मा

{31}

सर्द मौसम
ले रहा अंगड़ाई
रजाई ओट ।

□ किरण मिश्रा "स्वयंसिद्धा"

{32}
करवट ली
मौसम ने, देखो न
छाई बदली ।

□ दीपाली ठाकुर

{33}
शहरोन्नति
दूब का मोल पूछे
कन्या का पिता ।

□ विभा रानी श्रीवास्तव

{34}
सावन-मन
शब्द हथेली पर
रचें हाइकु ।

□ नरेंद्र श्रीवास्तव

{35}
काव्य के वन
महकते हाइकु
चंदन बन ।

□ अभिषेक जैन

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प्रस्तुति : ----
संचालक : हाइकु मञ्जूषा
□ प्रदीप कुमार दाश "दीपक"
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