हाइकु मञ्जूषा (समसामयिक हाइकु संचयनिका)

卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ हाइकु मञ्जूषा (समसामयिक हाइकु संचयनिका) संचालक : प्रदीप कुमार दाश "दीपक" ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐

बुधवार, 28 अक्तूबर 2020

~ हाइकु कवयित्री उषा चतुर्वेदी जी के हाइकु ~

 हाइकु कवयित्री

उषा चतुर्वेदी 


हाइकु 

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गुलाबी सर्दी

सूरज सुहावन

हिया मुदित ।

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रवि उदय

चहुँ ओर लालिमा

ताप सुहाना ।

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मग निहारे

कजरारे नयन

प्रेम दीवानी ।

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यमुना कूल

कदम्ब तरुवर

खिले प्रसून ।

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मही हरित

फसल लहरायी

कृषक खुश ।

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नभ गरजा

कृषक अकुलाया

तृप्त वसुधा ।

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गीली लकड़ी

सुलगी धुँआ देती

रुलाती भी है ।

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चमका रवि 

हँसे सूरजमुखी

हुलसा माली ।

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रवि रिसाय

तपती वसुधा

राही विकल । 

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चंचल मन

चिन्तातुर रहता

हिया बेचैन ।

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उषा चतुर्वेदी

मंगलवार, 20 अक्तूबर 2020

~ हाइकुकार भैरव प्रसाद जी के हाइकु ~

 हाइकुकार 


भैरव प्रसाद 


हाइकु 


डूबता देश

बगुलों ने बदला

अपना वेश  !

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नन्हा सा द्वीप 

तैर रहा कछुआ

मन के बीच !

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मन के बिल

शक का छछूंदर 

फंसा अंदर !

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प्यासा पीपल

झाँकता कूप-जल

पपीहा वन !

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प्रेम सुगंध

उड़ गयी तितली

इंद्रधनुष !

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टूटी टहनी

कुछ टूटा भीतर

तुम क्या जानो ?

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मुँह मरोड़

बैठी है पिछवाड़े

खिन्न खटिया !

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गेहूँ गरीब

पक रहीं रोटियां

तपती धूप !

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गेहूँ फकीर

फटी छाती लेटा है

मंडी की भीड़ !

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जरा सी बात

लाल हो गई, री 

मूरख मिर्ची !

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□ भैरव प्रसाद

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