हाइकु मञ्जूषा (समसामयिक हाइकु संचयनिका)

卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ हाइकु मञ्जूषा (समसामयिक हाइकु संचयनिका) संचालक : प्रदीप कुमार दाश "दीपक" ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐

मंगलवार, 6 नवंबर 2018

रेंगा के आलोक पथ पर

शुभ दीपावली

दीप पर्व उपलक्ष्य में, रेंगा के आलोक पथ पर ज्योतिर्मय स्वागत ।
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उड़े  आकाश
करने आलोकित
आकाशदीप (प्रदीप कुमार)
जगमगाते दीप
कहलाते प्रदीप (अविनाश)
एक उम्मीद
आंधियों पर भारी
जलता दीप (प्रदीप दाश)
अँधेरा हो निरस्त
दीप-कर्म सतत ( सुधा )
आलोकधन्वा
तिमिर का नाशक
वो अविनाशी (प्रदीप कुमार)
जलता है सतत
उजास अभिलाषी ( रीमा)
पावन दीप
शुभता का प्रतीक
आस्था पुनीत ( सुधा )
अंधकार हटाना
है दीपक की रीत (रीमा)
दीप श्रृंखला
रोशन हुई धरा,
दीपावली है   ( पूनम मिश्रा)
हर घर में आभा
सुंदर निराली है (रीमा )
तम को चीर
अंधियारी राह में
लड़े निर्भीक  (प्रदीप कुमार)
मेरा दीप अकेला
हटे तम का डेरा (अविनाश)
पर्व हमारे,
खुशियों का तोहफा,
रिश्ते मिठास (पूनम मिश्रा)
दीवाली का उत्साह
होता है बेमिसाल (मधु सिंघी)
मन का दीप
रौशन हुआ जग
खुशी आलम (नीलम शुक्ला)
तम कर दे कम
हर ले हर तम (विनय मोहन्ता)
फैले ऊजास
हिय करता आस
प्रेम विश्वास (मधु सिंघी)
पात-फूल लड़ियाँ
सज उठे है द्वार ( पूनम मिश्रा)
अमावस है
पूर्णिमा सा नज़ारा
रात दीवाली (अविनाश)
जीवन उत्कर्ष से
मिटा दे अवसाद (विनय मोहन्ता)
आँगन सजे
जगमग से दीये
नभ में तारे (मधु सिंघी)
टिमटिमाती हैं लौ
पाँच दिन तक ये (डॉ. विजय आचार्य )
वर्ष भर हो
आशामयी चाँदनी
हर मन में (मधु सिंघी)
रोज रहे दीवाली
जन में खुशहाली (सुधा)
कुबेर लक्ष्मी
विधिवत पूजन
मन रौशन ( रंजना श्रीवास्तव )
सजीं बंदनवारे
हर चौखट द्वारे ( सुधा )
दीप त्योहार
उमंग अंतस में
आज उमड़े (रंजना श्रीवास्तव)
अंतर दीप भव
ज्योतिर्मय जगत (अविनाश)
दीप प्रेम का
खुशिया चहुँ ओर
मन विभोर (नीलम शुक्ला)
हिन्दु मुख्य त्योहार
हर्ष भाव अपार ( रंजना श्रीवास्तव )
परोपकारी
जीवन हो हमारा
दिये के जैसा (नीलम शुक्ला)
प्रकाशित हो पथ
चले जीवन रथ (मधु सिंघी)
मिट्टी का जाया
उम्मीदें  ही बाँटता
उजाले  लाता (संतोष बुधराजा)
हुआ आलोकमय
वसुधा का आलय (सुधा)
रंगोली सजी
घर आँगन द्वार
मुख प्रसन्न (रंजना श्रीवास्तव)
तिमिर से प्रकाश
करे जग उजास (आरती एकता)
बाती बेनाम
तेल हुआ तमाम
दीये  का नाम (राकेश)
जलती तो बाती है
दीप की वाहवाही ( सुधा )
बाती जलती
तेल उसे सींचता
दीप आश्रय (रंजना श्रीवास्तव )
एक दूजे के बिना
दोनों ही हैं अधूरे ( सुधा )
दिया औ बाती
संग-संग की प्रीत
लें जग जीत ( आरती)
सांध्य शुभदा वेला
ऊर्जा हो प्रसारित (रंजना श्रीवास्तव)
संध्या दीपक,
आरती करे सब,
धूप नैवेद्य ( पूनम मिश्रा)
टिमटिमाती शाम
दे अधर मुस्कान (आरती)
काजल रीति
नयन हों निरोगी
कुटुंब प्रीति (रंजना श्रीवास्तव)
स्वास्थ्य का ये दीपक,
जलाएँ हरदम ( पूनम मिश्रा)
स्वास्थ्य दीपक
प्रज्वलित हमेशा
हाथ हमारे (अविनाश)
संस्कृति ये हमारी
सदैव सुखकारी ( सुधा )
अंजुरी फूल,
अर्पण करे हम,
ज्ञान की ज्योति  ( पूनम मिश्रा)
तुलसी-चौरे पर
दीपक का प्रभास ( सुधा )
प्रकाश पुंज,
जलते चहुँ ओर,
लगती भोर.  ( पूनम मिश्रा)
देहरी पर दीप
आँगन उजियारा ( सुधा )
दीपक जले
न प्रदूषण फैले
स्वास्थ्य पहले (अविनाश)
कमल रथ बैठ
ऐश्वर्य ज्योति आयी (नीलम शुक्ला)
जलती  साथ
उम्मीदों की बाती है
साँसे तेल है ( संतोष बुधराजा)
जीवन दीप जले
आलोकित जग है (रीमा )
मनोकामना
प्रेम  के दीप  जलें
खुशियाँ  छाये (??)
हंसते हुए दीप
दीपक मुस्कुराते (अविनाश)
दीप प्रकाश
करें हृदयंगम
विलुप्त तम (पूर्णिमा सरोज)
भावो में मधुरता
पर्व की विशेषता (नीलम शुक्ला)
पर्व सगर्व
दीप देहरी पर
जय अथर्व (अविनाश)
दीपावली का पर्व
शुभ, समृद्धि, हर्ष (प्रदीप कुमार)
दीप पूजन
रोशन करे जग,
नभ भी साक्षी (पूनम)
साक्षात माई लक्ष्मी
उतरी रंगोली में (अविनाश)
आसमां स्तब्ध
जमीन पर तारे
कैसे उतरे ( सुधा )
अमावस की रात
ज्यू तारो की बारात(नीलम शुक्ला)
दीपमालिका
ज्यों नभ से उतरी
आकाशगंगा ( सुधा )
आलोकित जगत
जागतिक आलोक (अविनाश)
जगमगाता
सौहाद्र का दीपक
जग आंगन (नीलम शुक्ला)
अमावस्या की रात
दीपक की सौगात (रेशम)
न रहा तम
जगमगाई रात
दीयों के संग
शुभ शुभ दिवाली
ख़ुशियाँ हो अपार । (शुचिता राठी)
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(साभार समूह - हाइकु तांका प्रवाह)
संचालक : अविनाश बागड़े
07-11-2018

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