हाइकु मञ्जूषा (समसामयिक हाइकु संचयनिका)

卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ हाइकु मञ्जूषा (समसामयिक हाइकु संचयनिका) संचालक : प्रदीप कुमार दाश "दीपक" ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐

बुधवार, 19 मार्च 2025

आरती परीख जी के गुजराती हाइकु एवं हिंदी अनुवाद

आरती परीख जी के गुजराती हाइकु एवं हिंदी अनुवाद

આરતી પરીખ


આંગણું


વંડી ઠેકીને

આવે સૂર્ય કિરણો

નાચે આંગણું ।

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અંતરે પિયુ

ઠાલા બારણાં વાસી

તપે આંગણું ।

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ભરબપોર

બંધ બારી બારણાં

તપે આંગણું ।

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શરદ રાત

તાપણે વાર્તાલાપ

જાગે આંગણું ।

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ઢોલિયો ઢાળી

વૈશાખી વાયરાઓ

માણે આંગણું ।

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પૂનમ રાત

ચાંદનીમાં ન્હાઈને

શ્વેત આંગણું ।

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અમાસી રાત

કાળી કાંબળી ઓઢી

પોઢે આંગણું ।

*****

ઢોલ ઢબૂકે

કન્યા વિદાય વેળા

સૂનું આંગણું ।


~ આરતી પરીખ


आंगन


दीवार लांघ

आती सूर्य किरणें

नाचे आंगन ।

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पियु विरह 

सूनी सी दहलीज 

तप्त आंगन ।

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दुपहरी में

बंद द्वार-खिड़कीं

दग्ध आंगन ।

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शरद रात

अलाव संग बातें

जगे आंगन ।

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खटियाँ ताने 

बैसाखी बयार में

सोया आंगन ।

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पूर्णिमा रात

चंद्रिका आग़ोश में 

श्वेत आंगन ।

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कृष्ण पक्षांत

काली चादर तले

लैटा आंगन ।

**

ढोल की गूंज 

कन्या विदाई बेला

सूना आंगन ।


~ आरती परीख

सोमवार, 10 मार्च 2025

हाइकुकार अंजनी कुमार शर्मा जी के अंगिका हाइकु

अंजनी कुमार शर्मा

अंगिका हाइकु


1.

बोली नै भाषा

छै हमरो अंगिका

अंगो के टीका ।


2.

विक्रमशिला

अजगैबी, मंदार

अंगो के द्वार ।


3.

जेंठा छै केला

लीची अफराद

बदलै स्वाद ।


4.

लहरावै छै

आमो केरो बगीचा

अंग-अंग में ।


5.

शरतचंद्र

के जेंठा ननिहाल

आदमपुर ।


6.

दानी कर्ण भी

रहै यहीं के राजा

मुस्कावै प्रजा ।


7.

सती प्रथा के

नींव पड़लै यहीं

जनपद में ।


8.

दस ठो बच्चा

जन्मवावै छै लुच्चा

ठग समुच्चा ।


9.

अंग धरा के

पांव पखारै गंगा

आरो कोशी भी ।


10.

शिक्षा के केंद्र

छिकै भागलपुर

दूर-दूर सें । 


11. नै अपमान

करो नारी सम्मान

माय समान ।


12 

नै छै अबला

नारियो छै सबला

पूजनीय छै ।


13.

माय के पूजो

होथोंन बरक्कत

बनो सशक्त ।


14.

जत्ते कूदतै 

बंदरवा गाछी पे

दर्द भागतै ।


15.

धुडखेल भी

छिकै होली के रूप

चेहरा भूप ।


16.

गंजेरी पीथें

बनै बकबकिया

खोजथों श्रोता ।


17.

जर-जनानी

कानों काटे मर्दो के

आगू वर्दो के 


18.

 हाइकु छिकै

साहित्य के ही विधा

खुब्भे सुविधा ।


19.

सरंगो भेलै

युगो में घर द्वार

जैवो आसान ।


20.

लिखै के आवै

अंजनी के भेले बूध

लिखे छै खूब ।

~~~*~~~


~ अंजनी कुमार शर्मा

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