हाइकु मञ्जूषा (समसामयिक हाइकु संचयनिका)

卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ हाइकु मञ्जूषा (समसामयिक हाइकु संचयनिका) संचालक : प्रदीप कुमार दाश "दीपक" ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐

मंगलवार, 10 जून 2025

~ हाइकु कवयित्री अनिता गोयल जी के हाइकु ~

हाइकु कवयित्री अनिता गोयल जी के हाइकु 

अनिता गोयल

हाइकु 


शुभ प्रभात 

भोर लाई सौगात 

बढ़ते रहो ।


भीषण गर्मी

ठंडी हवा का झोंका 

आनंद आया ।


काली बदली

उमड़ के है आई 

नहीं बरसी ।


गुजरी रात

आई शुभ प्रभात 

नमन करो ।


नदिया चली

सागर को मिलने

मंज़िल मिली ।


यह जीवन 

है नदिया की धारा

चलना होगा ।


व्यापार बढ़ा

कछुए की खाल का

कष्ट में जाति ।


छप्प छपाक 

बगुले का झपटा

फिर सन्नाटा ।


नीड़ बनाया

तिनका चुन चुन

बंदर तोड़ा ।


नौतपा मस्त 

मौसम आशिक़ाना

गाए तराना ।


बहुत किया

प्रकृति का शोषण 

लोभी मानव ।


~ अनिता गोयल

पंचकूल, हरियाणा (भारत)

गुरुवार, 5 जून 2025

ग्रीष्म व वर्षा से सम्बन्धित डॉ. मिथिलेश दीक्षित जी के हाइकु

ग्रीष्म व वर्षा से सम्बन्धित हाइकु

डॉ. मिथिलेश दीक्षित 

 


हाइकु


थम गयी है

हवा की धड़कन 

बहुत गर्मी !


*

नयी पौध की

सूखती पल -पल

यह फसल !


*

छाया देकर 

हमसे ऊंचा हुआ

हमारा पेड़ !


*

उन्हें बचा लें 

जिन पेड़ों की जड़ें 

सूखने ‌वाली !


*

सूखे ‌ हैं ‌वृक्ष

सूख रही‌ चेतना 

जीवन बिना !


*

तीव्र आतप 

फिर भी हरे -भरे 

स्मृति -पादप !


*

गर्मी का दौर 

धूप में सुलगता 

पाखी का‌ ठौर !


*

सांस भी लेना

गर्मी के शासन में 

मुश्किल है ना !


*

तपन में भी

मुस्कराते नीम ये 

कितने ‌हरे !


*

गंगा ‌को दिये 

एक दिन ‌तो दिये 

फिर ‌कचरे !


*

आते‌ विचार 

हरे-भरे वृक्षों ‌की

शोभा ‌निहार‌ !


*

कोशिश होगी

अमर‌ बेल यह

सूख न पाये ! 


***


~ डॉ. मिथिलेश दीक्षित

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