हाइकु कवयित्री
मंजू सरावगी "मंजरी"
हाइकु
1.
आंखों में आस
अपनों की चाहत
ढूंढता मन ।
2.
पंछी सा मन
उड़ता जाता रहा
ठौर की चाह ।
3.
दानों की आस
कौवे भी मड़राते
कोई आ जाता ।
4.
अपने छूटे
कुर्सी का क्या करना
सपने टूटे ।
5.
पंछी का बसेरा
भोर होते सन्नाटा
अकेलापन ।
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