हाइकु कवयित्री
सुजाता दाश
हाइकु
[१]
आँखों मैं कौन
माँ की ममता है ये
सदा झलके ।
[२]
मेरा जन्नत
जहाँ होती खुशियाँ
मैया की गोद ।
[३]
अँधेरी रात
प्रज्वलित है दिया
रौनक लिए ।
[४]
हार न मान
मुश्किलों से लड़ना
मत छोड़ना ।
[५]
फूटा अंकुर
जगी आस मन मैं
सुखी संसार ।
[६]
बादल छाए
सतरंगी धनुष
खुशियाँ लाए ।
[७]
सावन आया
पुलकित हो उठा
सारा जगत ।
[६]
बादल छाए
सतरंगी धनुष
खुशियाँ लाए ।
[७]
सावन आया
पुलकित हो उठा
सारा जगत ।

कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें