हाइकु मञ्जूषा (समसामयिक हाइकु संचयनिका)

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शनिवार, 3 अगस्त 2019

हाइकु : विनय मोहन्ता

हाइकुकार 

विनय मोहन्ता

हाइकु


कोई हो मित्र
करें  जिससे बात
कटे जो रात ।

कटे वो रात
भयावह तिमिर
आस हो मित्र ।

मित्र है आस
लिए दीप विश्वास
सुझाए राह ।

मैत्री निभाता
अपना सा लगता
वो हमदर्द ।

जीवन पथ
मित्र जो हो साथ तो
हो आलोकित ।

काश सिद्धार्थ
होता तुम्हारे पास
कोई तो मित्र ।

पावन रंग
निस्वार्थ भाव संग
मात्र मित्रता  ।

जीवन भर
स्पंदन संवेदित
मात्र मित्रता ।

सांस सांस में
मधुर मदिर है
मात्र मित्रता ।

दुर्लभ धन
अनमोल रत्न है
मात्र मित्रता ।

□ विनय मोहन्ता

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