हाइकु मञ्जूषा (समसामयिक हाइकु संचयनिका)

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मंगलवार, 27 अगस्त 2019

हाइकु कवयित्री डॉ. सुरंगमा यादव जी के हाइकु

हाइकु कवयित्री 

डाॅ. सुरंगमा यादव
हाइकु 

हवा ने छेड़ा
सहम तो गयी लौ
हार न मानी ।

नारी की व्यथा
जीवन और मृत्यु 
दोनों ही ख़फा ।

मन मकान 
यादों ने कर लिया
अपने नाम ।

रेत की भीत
ढह जायेगी देह
रहेगी प्रीत ।

असंख्य तारे
खोया न जाने कहाँ 
भाग्य का तारा ।

अमा की रात
चन्द्रमुख अपना
छिपाये निशा ।
~ • ~

□  डॉ. सुरंगमा यादव

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