हाइकु मञ्जूषा (समसामयिक हाइकु संचयनिका)

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सोमवार, 5 अगस्त 2019

हाइकु कवयित्री डॉ. सुरंगमा यादव जी के हाइकु

हाइकु कवयित्री 

डॉ. सुरंगमा यादव 


हाइकु 


आसमान में
घटाओं का पहरा
सूर्य सहमा ।

बरखा आयी
कोयल की विदा का
संदेशा लायी ।

गरीबी भार
आसमान के संग
टपकी छत ।

वक्त की धूप
कुम्हला ही जाता है
चीजों का रूप ।

चीजों का रूप
दिखता कुछ ऐसा
भाव हो जैसा ।

सूर्य ने ओढ़ा
मेघों का आवरण
छिपाये तन ।

गुलाब जैसे
सुधियों की सुरभि
सदा महके ।

बड़े विचित्र
मन- कैनवास पे
यादों के चित्र ।

मन फिरता
क्षितिज को ढूँढता
पायेगा कहाँ ।

यादें थीं सोयी
सावनी फुहारों ने
आ के जगाया ।

मेघों को देखा
भीगने के डर से
सूरज भागा ।

□   डाॅ. सुरंगमा यादव

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