हाइकु कवयित्री
सुलोचना सिंह
हाइकु
1.
प्राची की डोली
दिनकर उदित
छिड़ा संगीत ।
2.
मृदुल गीत
पक्षी का कलरव
गाये प्रभात ।
3.
हँसे प्रभास
आदित्य अगुवाई
निशा विदाई ।
4.
निशा रूपसी
सुधाकर मोहित
सितारों सजी ।
5.
छलकी आंखें
ह्रदय की गागर
भाव सागर ।
6.
निशा प्रांगण
चंद्र पुष्प है खिला
नाची चाँदनी ।
7.
भटका मन
इन्द्रधनुषी स्वप्न
प्रेम गबन ।
8.
निशी दर्पण
देखे और तड़पे
चंद्र चकोर ।
9.
मन दर्पण
बंद आंखें देखतीं
प्रिय का मुख ।
10.
भक्ति चंदन
महके कण-कण
ईश दर्शन ।
11.
जीवन कला
अनुभव निखार
छायी बहार ।
12.
चांद सूरज
प्रकृति उपहार
ईश नमन ।
13.
दो मीठे बोल
उपहार स्वरूप
बढ़ता प्रेम ।
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□ सुलोचना सिंह
भिलाई, दुर्ग [छत्तीसगढ़]
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