हाइकु मञ्जूषा (समसामयिक हाइकु संचयनिका)

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शुक्रवार, 6 सितंबर 2019

हाइकु कवयित्री डॉ. सुरंगमा यादव जी के हाइकु

हाइकु कवयित्री 

डॉ. सुरंगमा यादव 

हाइकु 


1.
प्रेम के किस्से 
दर्द की जागीर है 
हमारे हिस्से ।

2.
पीड़ा के गीत
बन गये अब तो
साँसों के मीत ।

3.
प्रेम की कमी 
मन की धरा पर
दरारें पड़ी ।

4.
जन्मों का साथ 
तभी तुम लगते 
मुझको खास ।

5.
बुझा है मन
उजाले देने लगे
अब चुभन ।

6.
मन निहार
खुशियों का विस्तार 
है आसपास ।

7.
मन पुकार 
पहुँचेगी निश्चय 
क्षितिज पार ।

8.
आँसू ने धोया
नयनों का भवन 
आओ सजन ।
~ • ~

□  डाॅ. सुरंगमा यादव

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