हाइकु कवयित्री
डॉ. सुरंगमा यादव
हाइकु
1.
प्रेम के किस्से
दर्द की जागीर है
हमारे हिस्से ।
2.
पीड़ा के गीत
बन गये अब तो
साँसों के मीत ।
3.
प्रेम की कमी
मन की धरा पर
दरारें पड़ी ।
4.
जन्मों का साथ
तभी तुम लगते
मुझको खास ।
5.
बुझा है मन
उजाले देने लगे
अब चुभन ।
6.
मन निहार
खुशियों का विस्तार
है आसपास ।
7.
मन पुकार
पहुँचेगी निश्चय
क्षितिज पार ।
8.
आँसू ने धोया
नयनों का भवन
आओ सजन ।
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