🎋 हाइकु मंच छत्तीसगढ़ 🎋
समसामयिक हाइकु संचयनिका
अक्टूबर 2019 के श्रेष्ठ हाइकु
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जीने की राह
सरल है उपाय
सेवा का भाव ।
□ श्रवण चोरनेले "श्रवण"
दूषित शिक्षा
छिनता बचपन
रोता खिलौना ।
□ मनीलाल "नवरत्न"
रात्रि प्रहर
छप्पर से छाँकती
चन्द्र किरणें ।
□ सुकमोती चौहान "रुचि"
चाँद के अश्रु
कमल के पत्रों ने
सहेजे बिन्दु ।
□ प्रदीप कुमार दाश "दीपक"
मेघा बरसी
भीगी सारी धरती
फसल उगी ।
□ सुशीला साहू "शीला"
अमृत वर्षा
शीतल सी यामिनी
स्निग्ध चाँदनी ।
□ सुधा शर्मा
आज पूर्णिमा
खीर के भोग पर
सुधा अणिमा ।
□ प्रदीप कुमार दाश "दीपक"
शशि बिखेरे
शुभ्र धवल आभा
हर्षित धरा ।
□ वृंदा पंचभाई
आँखें ज्यों रोतीं
दर्पण पे उगते
आँसू के मोती ।
□ अमन चाँदपुरी
तप्त हृदय
लुटता हुआ प्यार
मूक दर्शक ।
□ सुनील गुप्ता
साँझ जो हुई
अस्ताचल में चले
सुस्ताने रवि ।
□ सुशीला साहू "शीला"
मैं सुहागन
दोनों चाँद बसते
मेरे नयन ।
□ मंजू सरावगी "मंजरी"
खिले सुमन
पिया संग जीवन
महका मन ।
□ वृंदा पंचभाई
संकरा रास्ता
खाई सटा पहाड़
पथिक तन्हा ।
□ सुनील गुप्ता
धुरी के बिना
घुम रही है पृथ्वी
पीसेंगे सभी ।
□ सुशीला साहू "शीला"
अस्त्र की होड़
विकास या विनाश
अंधी ये दौड़ ।
□ मनीभाई नवरत्न
मृदंग थाप
नाच रही मगन
दिव्यांग बाला ।
□ क्रान्ति
शोषण हुआ
संवेदनाएं जागीं
पोषण हुआ ।
□ सुनील गुप्ता
रंगोली सजी
पुलकित धरती
मुस्करा उठी ।
□ सुजाता मिश्रा
तम हरता
स्वयं जल दीपक
प्रेरणा देता ।
□ मंजू सरावगी "मंजरी"
पुष्प महके
दीप करे रौशन
धनतेरस ।
□ मधु गुप्ता "महक"
रंगोली सजी
मेरे मन आंगन
सजे जीवन ।
□ वृंदा पंचभाई
अमा की रात
दीपक लड़ रहा
तम के साथ ।
□ प्रदीप कुमार दाश "दीपक"
करता जंग
घना तिमिर संग
दीप अनंग ।
□ सुधा शर्मा
भाई का प्यार
रोली और अक्षत
दमके भाल ।
□ स्वाति "नीरव"
ताजी सब्जियाँ
मिले गाँव के हाट
जैविक खाद ।
□ डाॅ. पुष्पा सिंह "प्रेरणा"
बेसूध गंध
हवा में बिखेरता
खेत का धान ।
□ सुशीला साहू "शीला"
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