हाइकुकार
विवेक कवीश्वर
हाइकु
--0--
धूप का गौना
धूप को लजाने का
मिला बहाना ।
--0--
बिजुका देखे
लहलहाते रंग
हुआ मलंग ।
--0--
मन बादल
तन मोरपंख सा
भाव तरल ।
--0--
अश्व रवि के
थके हैं; चुके नहीं
फिर दौड़ेंगे ।
--0--
कुटिल नभ
यायावर सन्दर्भ
साज़िश गढ़ी ।
--0--
रक्तबीज हैं
दिशाहीन धरने
और उगेंगे ।
--0--
पैरों के चिन्ह
सब हुए बैरागी
बस, जाने के ।
--0--
भूख से मरे
पिता का श्राद्ध हुआ
कौवा है तृप्त ।
--0--
सिर्फ़ वो लम्हे
जो ना थे कभी मेरे
रहे नूरानी ।
--0--
जीवन रेत
मृगतृष्णा वहन
पूर्णविराम ।
---0---
□ विवेक कवीश्वर
39-बी, सूर्या अपार्टमेन्ट्स
नई दिल्ली, पिन - 110019
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें