हाइकु मञ्जूषा (समसामयिक हाइकु संचयनिका)

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रविवार, 21 जून 2020

~ हाइकुकार विवेक कवीश्वर जी के हाइकु ~

हाइकुकार

विवेक कवीश्वर

हाइकु 
--0--

धूप का गौना
धूप को लजाने का
मिला बहाना ।
--0--

बिजुका देखे 
लहलहाते रंग 
हुआ मलंग ।
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मन बादल 
तन मोरपंख सा 
भाव तरल ।
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अश्व रवि के 
थके हैं; चुके नहीं 
फिर दौड़ेंगे ।
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कुटिल नभ 
यायावर सन्दर्भ 
साज़िश गढ़ी ।
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रक्तबीज हैं 
दिशाहीन धरने 
और उगेंगे ।
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पैरों के चिन्ह
सब हुए बैरागी
बस, जाने के ।
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भूख से मरे
पिता का श्राद्ध हुआ
कौवा है तृप्त ।
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सिर्फ़ वो लम्हे 
जो ना थे कभी मेरे 
रहे नूरानी ।
--0--

जीवन रेत
मृगतृष्णा वहन 
पूर्णविराम ।
---0---

□ विवेक कवीश्वर
39-बी, सूर्या अपार्टमेन्ट्स
नई दिल्ली, पिन - 110019

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