हाइकु मञ्जूषा (समसामयिक हाइकु संचयनिका)

卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ हाइकु मञ्जूषा (समसामयिक हाइकु संचयनिका) संचालक : प्रदीप कुमार दाश "दीपक" ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐

मंगलवार, 11 मई 2021

हाइकुकार राजकिशोर राजपूत जी के हाइकु

हाइकुकार

राजकिशोर राजपूत

हाइकु 


अंबर नीला

बहुत रही सलिला

पृथ्वी हर्षित ।


शब्द सीमित 

पीड़ा है असीमित 

कैसे व्यक्त हो ?


गोधूलि बेला 

सुहानी सांझ ढले

अंचल तले ।


दुखद घड़ी

संकट में इंसान

रहो सचेत ।


स्वस्थ जीवन 

प्रकृति से मित्रता 

सरल नुस्खा ।


जेठ महीना 

आग सी दुपहरी

छाँव प्रहरी ।


मौत खड़ी है

ये आफत बड़ी है 

रहो सतर्क ।


आशा की नाव

नाविक का हौसला

लड़े तूफ़ाँ से ।


सत्ता का खेल

खूब रेलमपेल

प्रजा मरी है ।


शीतल हवा

मन हुआ मुदित

धूप है खिन्न ।


चुनावी रार

कुटिल तकरार

जन की रार ।


□  राजकिशोर राजपूत

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