हाइकु मञ्जूषा (समसामयिक हाइकु संचयनिका)

卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ हाइकु मञ्जूषा (समसामयिक हाइकु संचयनिका) संचालक : प्रदीप कुमार दाश "दीपक" ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐 ~•~ 卐

बुधवार, 12 मई 2021

~•~ हाइकु कवयित्री राजश्री राठी जी के हाइकु ~•~

हाइकु कवयित्री 

राजश्री राठी 


हाइकु 

--0--


1.

हुई सुभोर

पधारे दिनकर

धरा पावन ।


2.

नूतन वर्ष

आस्था में रमे तन

चेतन मन ।


3.

बिखरा जादू

चमत्कारी किरणें

खेत हैं सजे ।


4.

सजी है धरा

लगा गगन तले

सुंदर मेला ।


5.

आये हैं रवि

स्वागत में सुमन

महके सृष्टि ।


6.

मन मंदिर 

प्रभु सम हो लीन 

भक्ति की धार ।


7.

प्रभु चरण

लगे अति पावन 

हर्षित मन ।


8.

निर्झरणी में 

झाँक रहा है रवि 

दमके नीर ।


9.

सरिता लगे 

कुंदन सी सुंदर 

ओढ़ी चुनर ।


10.

पाखी निकले 

छू रहे हैं गगन

मीठी चहक ।


11.

मल्हार चला 

अपनी ही डगर 

गा रहा गीत ।


12.

पाखी हैं संग 

मस्ती में गतिशील 

दे रहे सीख ।


13.

है माँ की छाया 

चाहे ना रहें माया 

मिली संतुष्टि ।


14.

गगन तले 

हरियाली से सजे 

पेड़ हैं घने ।


15.

बहे झरनें 

सरिता से मिलते 

पूजे हैं जाते ।


16.

है मधुरम 

प्यारा सा कलरव 

सजा संगीत ।


17.

पावन बेला 

स्फूर्ति देती अपार 

मोहक दृश्य ।


18.

है मनोरम 

सजे रश्मि किरण 

मस्त गगन ।

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□  राजश्री राठी

अकोला (महाराष्ट्र)

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