हाइकु कवयित्री
राजश्री राठी
हाइकु
--0--
1.
हुई सुभोर
पधारे दिनकर
धरा पावन ।
2.
नूतन वर्ष
आस्था में रमे तन
चेतन मन ।
3.
बिखरा जादू
चमत्कारी किरणें
खेत हैं सजे ।
4.
सजी है धरा
लगा गगन तले
सुंदर मेला ।
5.
आये हैं रवि
स्वागत में सुमन
महके सृष्टि ।
6.
मन मंदिर
प्रभु सम हो लीन
भक्ति की धार ।
7.
प्रभु चरण
लगे अति पावन
हर्षित मन ।
8.
निर्झरणी में
झाँक रहा है रवि
दमके नीर ।
9.
सरिता लगे
कुंदन सी सुंदर
ओढ़ी चुनर ।
10.
पाखी निकले
छू रहे हैं गगन
मीठी चहक ।
11.
मल्हार चला
अपनी ही डगर
गा रहा गीत ।
12.
पाखी हैं संग
मस्ती में गतिशील
दे रहे सीख ।
13.
है माँ की छाया
चाहे ना रहें माया
मिली संतुष्टि ।
14.
गगन तले
हरियाली से सजे
पेड़ हैं घने ।
15.
बहे झरनें
सरिता से मिलते
पूजे हैं जाते ।
16.
है मधुरम
प्यारा सा कलरव
सजा संगीत ।
17.
पावन बेला
स्फूर्ति देती अपार
मोहक दृश्य ।
18.
है मनोरम
सजे रश्मि किरण
मस्त गगन ।
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□ राजश्री राठी
अकोला (महाराष्ट्र)

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