हाइकुकार
मनोज शर्मा "चिन्तक"
हाइकु
--0--
नाच रहे हैं !
पेड़ में पत्ते-पत्ते
मन शीतल ।
सागर नदी
रचना और कवि
खुली किताब !
कीट-पतंग
रोशनी की तलाश
जीवन लीला !
उदार पेड़
चाहे पत्थर मारो
फल ही देता ।
आकाश गंगा
अल्हड़ बादल पे
संध्या किरण ।
दूर गगन
आंखें खुली या बन्द
मन दर्पण !
---00---
~ मनोज शर्मा "चिन्तक"

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